श्रावण, भगवान शिव को समर्पित पवित्र महीना माना जाता है। इस महीने में किए गए सभी धार्मिक अनुष्ठानों और पूजा-पाठ का विशेष महत्व होता है। श्रावण मास में पड़ने वाली अमावस्या तिथि को श्रावण अमावस्या के नाम से जाना जाता है। यह दिन हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। आइए, इस लेख में हम श्रावण अमावस्या 2024 की तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, व्रत नियमों और फलों के बारे में विस्तार से जानें।

श्रावण अमावस्या 2024 की तिथि और शुभ मुहूर्त (Shravan Amavasya 2024 Date & Time)
इस वर्ष 2024 में श्रावण अमावस्या का पर्व 4 अगस्त, रविवार को मनाया जाएगा। आइए, अब इस दिन के शुभ मुहूर्तों को भी जान लेते हैं:
- अमावस्या तिथि प्रारंभ: 3 अगस्त 2024, दोपहर 3:50 बजे
- अमावस्या तिथि समाप्त: 4 अगस्त 2024, शाम 5:29 बजे
शुभ मुहूर्त:
- स्नान का मुहूर्त: सुबह 5:15 बजे से 6:08 बजे तक (लगभग 53 मिनट)
- पूजा का मुहूर्त: सुबह 6:08 बजे से 7:55 बजे तक (लगभग 1 घंटा 47 मिनट)
- अभिषेक का मुहूर्त: सुबह 7:55 बजे से 9:42 बजे तक (लगभग 1 घंटा 47 मिनट)
- दान का मुहूर्त: दोपहर 1:16 बजे से 2:03 बजे तक (लगभग 47 मिनट)
श्रावण अमावस्या की पूजा विधि (Shravan Amavasya 2024 Puja Vidhi)
श्रावण अमावस्या के पवित्र दिन पर पूजा करने से पहले कुछ आवश्यक तैयारियां करनी चाहिए।
- पूर्व तैयारियां: श्रावण अमावस्या के दिन प्रातःकाल उठकर सबसे पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल को साफ करके गंगाजल से शुद्ध करें। इसके बाद पूजा के लिए आवश्यक सामग्री जैसे फल, फूल, बेलपत्र, दूध, दही, घी, शहद, धूप, दीपक और आसन आदि को एकत्रित कर लें। भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की प्रतिमाएं स्थापित करें।
- पूजा का आरंभ: दीप प्रज्ज्वलित करें और धूप जलाएं। इसके बाद “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करते हुए भगवान शिव का जलाभिषेक करें। जलाभिषेक के बाद भगवान शिव को फल, फूल, बेलपत्र, दूध, दही, घी और शहद चढ़ाएं।
- मंत्र जाप और आरती: भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की विधिवत पूजा करें। “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का उच्चारण करते हुए शिव चालीसा का पाठ करें। अंत में भगवान शिव की आरती उतारें।
- दान का महत्व: श्रावण अमावस्या के दिन दान का विशेष महत्व होता है। इस दिन गौ दान, अन्न दान और वस्त्र दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। ब्राह्मणों को भोजन करवाकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।
- रात्रि जागरण: श्रावण अमावस्या की रात को जागरण करने का विधान है। इस रात भगवान शिव की भक्ति में लीन रहें। भजन-कीर्तन करें और शिव कथा का श्रवण करें।
श्रावण अमावस्या का व्रत नियम (Shravan Amavasya 2024 Vrat Niyam)
श्रावण अमावस्या के फलदायी व्रत को रखने के लिए कुछ नियमों का पालन करना आवश्यक होता है। आइए, अब इन व्रत नियमों को विस्तार से जानते हैं:
- व्रत का संकल्प: श्रावण अमावस्या के एक दिन पूर्व यानि की 3 अगस्त को सूर्योदय से पहले उठकर व्रत का संकल्प लें। संकल्प लेते समय भगवान शिव का ध्यान करें और उनसे व्रत को पूर्ण करने की कृपा मांगें।
- सात्विक भोजन: व्रत वाले दिन सात्विक भोजन ग्रहण करें। एक समय ही भोजन करें जिसमें दाल, रोटी और फल शामिल हों। साबुत अनाज का सेवन करना उत्तम माना जाता है। लहसुन, प्याज और मांसाहार का सेवन वर्जित होता है।
- ब्रह्मचर्य का पालन: व्रत के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। क्रोध, लोभ, मोह और हिंसा जैसे नकारात्मक विचारों से दूर रहें।
- पूजा-पाठ का महत्व: व्रत वाले दिन भगवान शिव की पूजा-अर्चना करें। “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें और शिव चालीसा का पाठ करें। रात्रि जागरण करके भगवान शिव की भक्ति में लीन रहें।
श्रावण अमावस्या का महत्व (Shravan Amavasya 2024 Mahatva)
श्रावण अमावस्या का हिंदू धर्म में अत्यंत महत्व है। इस दिन किए गए धार्मिक अनुष्ठानों और पूजा-पाठ का फल कई गुना बढ़ जाता है। आइए, अब श्रावण अमावस्या के कुछ खास महत्वों को जानते हैं:
- पापों का नाश: श्रावण अमावस्या का व्रत रखने और विधिपूर्वक पूजा करने से पापों का नाश होता है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने और पितृ तर्पण करने से भी पुण्य की प्राप्ति होती है।
- मन की शांति: श्रावण अमावस्या का व्रत रखने और भगवान शिव की आराधना करने से मन को शांति और सद्बुद्धि प्राप्त होती है। इस दिन ध्यान और योग का अभ्यास करने से भी लाभ मिलता है।
- सुख-समृद्धि की प्राप्ति: श्रावण अमावस्या का व्रत करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। इससे जीवन में सुख-समृद्धि, धन-धान्य और वैभव की प्राप्ति होती है। संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाले दंपत्तियों के लिए भी यह व्रत बहुत ही फलदायी माना जाता है।
- पितृ तर्पण का विधान: श्रावण अमावस्या के दिन पितृ तर्पण करने का भी विधान है। इस दिन अपने पूर्वजों को याद करके उनका तर्पण करने से उन्हें शांति मिलती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।
श्रावण अमावस्या से जुड़ी मान्यताएं (Shravan Amavasya Importance)
श्रावण अमावस्या से जुड़ी कुछ लोक मान्यताएं भी प्रचलित हैं। आइए, अब उन पर भी एक नज़र डालते हैं:
- सोमवती अमावस्या: यदि श्रावण अमावस्या सोमवार के दिन पड़ती है तो इसका महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है। इसे सोमवती अमावस्या के नाम से जाना जाता है। इस दिन व्रत रखने और पूजा करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।
- हरियाली अमावस्या: कुछ क्षेत्रों में श्रावण अमावस्या को हरियाली अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन पेड़-पौधों को लगाने और उनकी देखभाल करने का विशेष महत्व होता है।
- ज्योतिषीय महत्व: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार श्रावण अमावस्या के दिन सूर्य और चंद्रमा एक ही राशि में होते हैं। इस दिन ग्रहों की स्थिति विशेष होती है जिसके कारण किए गए धार्मिक अनुष्ठानों का फल कई गुना बढ़ जाता है।
श्रावण अमावस्या से जुड़ी कथाएं (Shravan Amavasya Katha)
श्रावण अमावस्या से जुड़ी कई कथाएं प्रचलित हैं, जो इस पर्व के महत्व को और भी गहरा बनाती हैं। आइए, अब दो प्रमुख कथाओं को जानते हैं:
1. समुद्र मंथन की कथा:
पौराणिक कथाओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान अमृत निकलने से पहले कई विषैले पदार्थ निकले थे। इन विषों के प्रभाव से सृष्टि का नाश होने का भय बना हुआ था। तब भगवान शिव ने विष का सेवन कर लिया था। विष के प्रभाव से उनका गला नीला पड़ गया था, इसलिए उन्हें नीलकंठ के नाम से भी जाना जाता है। श्रावण अमावस्या के दिन ही भगवान शिव ने गंगा नदी को अपनी जटाओं में धारण किया था, जिससे पृथ्वी पर विष का प्रभाव कम हुआ और सृष्टि बचाई गई। इसी कारण श्रावण अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने का विशेष महत्व माना जाता है।
2. सती का त्याग और पार्वती रूप में पुनर्जन्म:
दूसरी कथा के अनुसार, दक्ष प्रजापति के यज्ञ में अपने पति शिव का अपमान सहने में असमर्थ सती ने यज्ञ कुंड में ही आत्मदाह कर लिया था। शिव को सती के वियोग में अत्यंत दुःख हुआ और वे उनके मृत शरीर को लेकर तांडव नृत्य करने लगे। इससे सृष्टि का संतुलन बिगड़ने लगा। तब भगवान विष्णु ने अपने चक्र से सती के शरीर को 51 खंडों में विभाजित कर दिया। माना जाता है कि इन खंडों में से एक खंड धरती पर गिरा था, जहाँ बाद में माता पार्वती के रूप में सती का पुनर्जन्म हुआ। श्रावण अमावस्या के दिन ही माता पार्वती की कठोर तपस्या के फलस्वरूप भगवान शिव उनसे विवाह करने के लिए सहमत हुए थे।
श्रावण अमावस्या के उपाय (Shravan Amavasya 2024 Upaay)
श्रावण अमावस्या के दिन कुछ विशेष उपाय करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। आइए, अब इन उपायों को जानते हैं:
- शिवलिंग अभिषेक: श्रावण अमावस्या के दिन दूध, दही, घी, शहद, जल आदि से शिवलिंग का अभिषेक करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। अभिषेक के साथ ही “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करना भी लाभकारी माना जाता है।
- पीपल पूजन: श्रावण अमावस्या के दिन पीपल के वृक्ष की पूजा करने का विशेष महत्व होता है। सुहागिन महिलाएं कच्चे सूत या कलावा से पीपल की परिक्रमा करती हैं और उसकी पूजा करती हैं। इससे अखंड सौभाग्य और पति की दीर्घायु का आशीर्वाद मिलता है।
- दान का महत्व: श्रावण अमावस्या के दिन गरीबों और जरूरतमंदों को दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। अन्नदान, वस्त्रदान और धन दान आदि का विशेष महत्व होता है।
- शिव मंदिर दर्शन: श्रावण अमावस्या के दिन शिव मंदिर जाकर भगवान शिव के दर्शन करने और उनका जलाभिषेक करने से भी शुभ फल मिलते हैं।
श्रावण अमावस्या का समापन
श्रावण अमावस्या का पर्व आध्यात्मिक शुद्धि और मोक्ष प्राप्ति का द्वार खोलता है। इस दिन व्रत रखने, पूजा करने और दान देने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। जीवन में सुख-समृद्धि आती है और पापों से मुक्ति मिलती है। श्रद्धा और भक्तिभाव से श्रावण अमावस्या का पर्व मनाने से आत्मिक शांति और सद्गति की प्राप्ति होती है।