Apara Ekadashi 2025 | अपरा एकादशी 2025 कब | जाने व्रत की तिथि| पूजा विधि और महत्व

Apara Ekadashi 2025 Date: सनातन धर्म में अपरा एकादशी का विशेष स्थान है। यह पर्व प्रतिवर्ष ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को श्रद्धा एवं भक्ति भाव से मनाया जाता है। इस दिन साधक भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करते हैं तथा लक्ष्मी-नारायण के निमित्त व्रत का पालन करते हैं। धर्मशास्त्रों में उल्लेख मिलता है कि अपरा एकादशी का व्रत करने से साधक के जन्म-जन्मांतर के पाप समाप्त हो जाते हैं और लक्ष्मी-नारायण की कृपा प्राप्त होती है। आइए, जानते हैं अपरा एकादशी 2025 की तिथि और पारण का शुभ मुहूर्त।

अपरा एकादशी
Apara Ekadashi 2025 Date

अपरा एकादशी व्रत का महत्व (Apara Ekadashi/Achala Ekadashi Mahatva)

धार्मिक ग्रंथों और पुराणों में उल्लेख मिलता है कि अपरा एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति के अनेक जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं। यह व्रत न केवल धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करता है, बल्कि मन, वाणी और कर्म की भी शुद्धि करता है। विष्णु सहस्रनाम के जप और श्रीहरि के स्मरण से इस व्रत का पुण्य कई गुना बढ़ जाता है। मान्यता है कि जो भक्त नियमपूर्वक और श्रद्धा से इस व्रत का पालन करते हैं, उन्हें चंद्रलोक तथा विष्णुलोक की प्राप्ति होती है।

अपरा एकादशी 2025 जानें तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि (Apara Ekadashi 2025 Date and Time)

May Ekadashi 2025 Date: वर्ष 2025 में अपरा एकादशी का व्रत 23 मई को रखा जाएगा। पंचांग के अनुसार, एकादशी तिथि 23 मई को रात 01:12 बजे शुरू होकर उसी रात 10:29 बजे तक रहेगी। चूंकि उदया तिथि 23 मई को है, इसलिए इसी दिन व्रत और पूजा करना अत्यंत शुभ माना गया है।

अपरा एकादशी पारण का समय (Apara Ekadashi 2025 Paran Timing)

व्रतधारी 24 मई को पारण कर सकते हैं। पारण का शुभ समय प्रातः 05:26 बजे से प्रारंभ होकर शाम 08:11 बजे तक रहेगा। इस अवधि में स्नान-ध्यान कर भगवान लक्ष्मी-नारायण की विधिपूर्वक पूजा करनी चाहिए और पूजा के बाद अन्न एवं धन का दान कर व्रत संपन्न करना चाहिए।

पूजा विधि और नियम (Apara Ekadashi Puja Vidhi)

अपरा एकादशी के दिन प्रातः स्नान कर व्रत का संकल्प लेना चाहिए। फिर भगवान विष्णु के समक्ष दीपक जलाकर पीले पुष्प, तुलसी दल, फल, पंचामृत और पीतांबर अर्पित कर विधिपूर्वक पूजा करनी चाहिए। इस दिन विष्णु सहस्रनाम का पाठ, श्री विष्णु चालीसा का पाठ और ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जाप करना अत्यंत फलदायी माना जाता है। रात्रि में जागरण करते हुए भजन-कीर्तन करने से व्रत का पुण्य और भी बढ़ जाता है।

व्रत का फल और धार्मिक महत्त्व (Apara Ekadashi Vrat ka Fal)

अपरा एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को पितृ दोष, पापयुक्त विचार, दुर्भाग्य और मानसिक तनाव से मुक्ति मिलती है। जिन जातकों की कुंडली में चंद्रमा या शुक्र ग्रह अशुभ प्रभाव डाल रहे हों, उनके लिए यह व्रत विशेष लाभकारी माना गया है। व्यापार में वृद्धि, संतान सुख, नौकरी में उन्नति और मानसिक शांति जैसे कई लाभ इस व्रत के माध्यम से प्राप्त होते हैं। अपरा एकादशी केवल एक धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि यह आत्मशुद्धि और मोक्ष की दिशा में बढ़ने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। जब साधक श्रद्धा और नियमपूर्वक भगवान विष्णु की भक्ति करता है, तब उसे दिव्य आनंद की अनुभूति होती है और जीवन के सभी दुःख दूर हो जाते हैं।

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