छठ पूजा हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण और पवित्र पर्व है, जिसमें भक्त छठी मैया और भगवान सूर्य की आराधना करते हैं और कठिन व्रत का पालन करते हैं। इस पर्व की विशेषता इसकी कठोरता और आत्म-शुद्धि की भावना में निहित है। यह चार दिवसीय पर्व साल में दो बार मनाया जाता है—एक बार चैत्र माह में और दूसरा कार्तिक माह में। इस वर्ष, वैदिक पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह में छठ पूजा की शुरुआत 5 नवंबर को नहाय-खाय से होगी और इसका समापन 8 नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ होगा।
सूर्य देव की आरती का महत्व
छठ पूजा में सूर्य आरती का विशेष महत्व है। यह पूजा के दौरान भक्तजन भगवान सूर्य की आरती गाते हैं। आरती में भगवान सूर्य की स्तुति करते हुए उन्हें धन्यवाद दिया जाता है। मान्यता है कि आरती करने से भगवान सूर्य प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों को स्वस्थ्य और समृद्ध जीवन का आशीर्वाद देते हैं।
सूर्य देव की आरती
ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।
जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।
धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।
सारथी अरुण हैं प्रभु तुम, श्वेत कमलधारी। तुम चार भुजाधारी।।
अश्व हैं सात तुम्हारे, कोटि किरण पसारे। तुम हो देव महान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।
ऊषाकाल में जब तुम, उदयाचल आते। सब तब दर्शन पाते।।
फैलाते उजियारा, जागता तब जग सारा। करे सब तब गुणगान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।
संध्या में भुवनेश्वर अस्ताचल जाते। गोधन तब घर आते।।
गोधूलि बेला में, हर घर हर आंगन में। हो तव महिमा गान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।
देव-दनुज नर-नारी, ऋषि-मुनिवर भजते। आदित्य हृदय जपते।।
स्तोत्र ये मंगलकारी, इसकी है रचना न्यारी। दे नव जीवनदान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।
तुम हो त्रिकाल रचयिता, तुम जग के आधार। महिमा तब अपरम्पार।।
प्राणों का सिंचन करके भक्तों को अपने देते। बल, बुद्धि और ज्ञान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।
भूचर जलचर खेचर, सबके हों प्राण तुम्हीं। सब जीवों के प्राण तुम्हीं।।
वेद-पुराण बखाने, धर्म सभी तुम्हें माने। तुम ही सर्वशक्तिमान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।
पूजन करतीं दिशाएं, पूजे दश दिक्पाल। तुम भुवनों के प्रतिपाल।।
ऋतुएं तुम्हारी दासी, तुम शाश्वत अविनाशी। शुभकारी अंशुमान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।
ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।
जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।स्वरूपा।।
धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।
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