Bhai Dooj 2024: जाने इस साल भाई दूज पर कितने बजे है शुभ मुहूर्त? साथ ही जाने तिलक विधि का महत्व

भैया दूज का पर्व भारतीय संस्कृति में भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत और प्रेमपूर्ण बनाने के लिए मनाया जाता है। इसे भ्रात द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है। इस पर्व का मुख्य उद्देश्य भाई-बहन के रिश्ते में प्रेम, विश्वास और आशीर्वाद का संचार करना है। इस दिन भाई अपनी बहन के घर जाकर उनका न्योता स्वीकार करते हैं और वहां अन्न-जल ग्रहण करते हैं। इस अनुष्ठान से दोनों के जीवन में सुख, शांति और संपदा बनी रहती है।

DALL·E 2024 11 02 18.22.37 A festive illustration celebrating Bhai Dooj showing a traditional Indian scene with a sister applying a tilak mark on her brothers forehead in a
Bhai Dooj 2024

भैया दूज का पर्व: तिथि और शुभ मुहूर्त (Bhai Dooj 2024 Tithi)

इस वर्ष भैया दूज का पर्व मिथिला पंचांग के अनुसार कार्तिक शुक्ल पक्ष के दिन 3 नवंबर 2024 को मनाया जाएगा। द्वितीया तिथि का आरंभ 2 नवंबर को रात 7:10 बजे होगा और यह तिथि 3 नवंबर को रात्रि 8:32 बजे तक रहेगी। इसलिए भैया दूज का व्रत 3 नवंबर को ही मनाया जाएगा। व्रत के लिए शुभ मुहूर्त दिन में 11:30 बजे से शाम 3:30 बजे तक रहेगा, जो तिलक और पूजा के लिए सबसे अनुकूल माना गया है।

भैया दूज की पौराणिक कथा: यमराज और यमुना की अमर कथा (Bhai Dooj Katha)

Blue Aqua Minimalist Sea Soothes the Soul Quote Instagram Post

भैया दूज का पर्व यमराज और उनकी बहन यमुना की पौराणिक कथा से जुड़ा है। मान्यता है कि यमराज अपनी बहन यमुना से मिलने उनके घर गए और वहां विधिपूर्वक न्योता ग्रहण किया। बहन के प्रेम और सत्कार से प्रसन्न होकर यमराज ने वचन दिया कि जो भी भाई इस दिन अपनी बहन के हाथ से भोजन ग्रहण करेगा और आशीर्वाद लेगा, उसकी रक्षा यमराज स्वयं करेंगे। तभी से यह पर्व मनाया जाने लगा, और भैया दूज को भाई-बहन के अटूट विश्वास का प्रतीक मान लिया गया।

भैया दूज की परंपरा: भाई-बहन का मिलन और आशीर्वाद

इस पावन दिन पर भाई बहन के घर जाकर उनके द्वारा दी गई हर चीज़ का आदर करते हैं। भाई को अपनी बहन के हाथ से भोजन ग्रहण करना शुभ माना जाता है। यह पर्व इस बात का प्रतीक है कि भाई-बहन का रिश्ता केवल खून का नहीं, बल्कि अनमोल आशीर्वाद और परस्पर विश्वास का होता है। बहनें बड़े ही स्नेहपूर्वक अपने भाइयों का स्वागत करती हैं और उनके तिलक की विधि संपन्न करती हैं।

तिलक विधि का महत्व (Bhai Dooj Tilak Mahatva)

भैया दूज के दिन बहन अपने भाई को रोली, अक्षत, दीप और फूलों से तिलक करती है। तिलक के साथ भाई की कलाई पर रक्षा का धागा भी बांधा जाता है। इस प्रक्रिया में बहनें अपने भाइयों के जीवन में सुख-शांति और सफलता की प्रार्थना करती हैं। भाइयों को भी अपनी बहनों का आशीर्वाद लेना जरूरी होता है, चाहे बहन बड़ी हो या छोटी, उसका आशीर्वाद भाई के लिए अनमोल होता है।

अन्न ग्रहण करने का महत्व (Bhai Dooj Anna Grahan Mahatva)

भैया दूज के इस पर्व पर भाई का बहन के हाथ से बना अन्न ग्रहण करना विशेष महत्व रखता है। इस अनुष्ठान के दौरान, भाई का बहन के घर जाकर भोजन करना परिवार के बीच की एकता और प्रेम को मजबूत करता है। बहन अपने भाई को अपने घर में भोजन कराकर उन्हें सम्मान और स्नेह से पूर्ण आशीर्वाद देती है।

यमराज और यमुना की कथा का संदेश

यमराज और यमुना की इस कथा का संदेश यह है कि भाई-बहन का रिश्ता केवल इस जीवन का नहीं बल्कि मृत्यु के बाद भी बना रहता है। यह पर्व भाई-बहन के बीच एक आत्मिक संबंध को स्थापित करता है, जो जीवन के हर उतार-चढ़ाव में एक-दूसरे का साथ देने के लिए तत्पर रहता है।

Leave a Comment