Mangala Gauri Vrat 2025 Date :सनातन धर्म में मंगला गौरी व्रत को विशेष रूप से पवित्र और फलदायक माना गया है। जैसे सावन मास के प्रत्येक सोमवार को भगवान शिव की आराधना की जाती है, उसी प्रकार सावन के प्रत्येक मंगलवार को देवी पार्वती के मंगलमय स्वरूप ‘मंगला गौरी’ की पूजा होती है। इस व्रत को करने से स्त्री के वैवाहिक जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
मंगला गौरी व्रत विशेष रूप से नवविवाहित स्त्रियों द्वारा किया जाता है, ताकि उनके वैवाहिक जीवन में कोई विघ्न न आए और पति की लंबी आयु बनी रहे। यह व्रत विशेष रूप से उस स्त्री के लिए अत्यंत लाभकारी होता है जो वैवाहिक जीवन में प्रेम, समर्पण और स्थिरता चाहती है।सावन 2025 में मंगला गौरी का पहला व्रत 15 जुलाई 2025, मंगलवार को पड़ रहा है। इस दिन माता गौरी की विशेष पूजा-अर्चना करने से वैवाहिक जीवन की सभी समस्याएँ दूर होती हैं और घर में सुख, शांति और सौभाग्य का वास होता है।

मान्यता है कि जो भी स्त्री श्रद्धा और विधिपूर्वक इस व्रत का पालन करती है, उसे अखंड सौभाग्य प्राप्त होता है। इस दिन व्रती स्त्रियाँ व्रत का संकल्प लेकर माता गौरी की पूजा करती हैं और विशेष पूजन सामग्री जैसे—कलश, सुपारी, रोली, अक्षत, पंचमेवा, श्रृंगार सामग्री, हल्दी, फूल, दीपक आदि से देवी का श्रृंगार कर उन्हें प्रसन्न करती हैं।मंगला गौरी व्रत में कथा सुनना भी अनिवार्य होता है, जिससे व्रत पूर्ण फलदायी बनता है। व्रत समाप्ति पर माता को मीठा भोग अर्पित किया जाता है और सुहागन स्त्रियों को दान देकर आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है।
इस प्रकार, मंगला गौरी व्रत न केवल देवी की कृपा पाने का माध्यम है, बल्कि स्त्री के जीवन में सौभाग्य, प्रेम और समर्पण का संबल भी है।
मंगला गौरी व्रत 2025 सूची (Mangala Gauri Vrat 2025 Dates List)
मंगला गौरी व्रत 2025 पहला व्रत -15 जुलाई
दशहरा व्रत – 22 जुलाई
तिसरा व्रत – 29 जुलाई
चौथा व्रत – 5 अगस्त को रखा जायेगा
मंगला गौरी व्रत पूजन सामग्री(Mangala Gauri Vrat Puja Samagri List)
मंगला गौरी व्रत में माता गौरी की पूजा विशेष विधि-विधान और श्रद्धा के साथ की जाती है, जिसके लिए शुद्ध और आवश्यक पूजन सामग्री का होना आवश्यक है। इस व्रत को पूरी आस्था और शुद्धता से करने के लिए निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होती है।
1. फल और भोग सामग्री:
पूजन में ताजे फल, माता को अर्पित करने के लिए मिठाई, घर पर बना शुद्ध भोग, पान, सुपारी, इलायची और लौंग की आवश्यकता होती है।
2. दीपक और घी:
देसी घी का दीपक पूजा में बहुत शुभ माना जाता है। इसे जलाकर माता को अर्पित किया जाता है।
3. सोलह श्रृंगार की सामग्री:
व्रती स्त्री को सोलह श्रृंगार की सामग्री जैसे—काजल, बिंदी, चूड़ी, बिछिया, सिंदूर, मेहंदी, दुपट्टा आदि को माता के चरणों में समर्पित करना चाहिए।
4. फूल और पंचमेवा:
माता गौरी को ताजे लाल पुष्प अर्पित करना शुभ माना जाता है। साथ ही, पंचमेवा (काजू, बादाम, किशमिश, छुहारा, अखरोट) भी अर्पण करना चाहिए।
5. पूजा का आसन और लाल वस्त्र:
माता को बिठाने के लिए लाल वस्त्र में लिपटी हुई प्रतिमा या तस्वीर, पूजन के लिए आसन, और स्वयं व्रती को भी लाल या पीले वस्त्र पहनने की सलाह दी जाती है।
6. देवी की प्रतिमा और पूजन थाली:
माता गौरी की प्रतिमा या चित्र, पूजा की थाली जिसमें कपूर, रोली, अक्षत, हल्दी, चंदन, धूप, माचिस आदि हों—ये सभी सामग्री पूजन के लिए अनिवार्य होती हैं।
7. जल और गंगाजल:
शुद्ध जल और गंगाजल दोनों का उपयोग अभिषेक व स्नान के लिए किया जाता है।
मंगला गौरी व्रत में माता पार्वती की विधिपूर्वक पूजा करने के लिए कुछ विशेष सामग्री की आवश्यकता होती है। यह व्रत विशेषकर नवविवाहित स्त्रियाँ करती हैं, और पूजन सामग्री का उचित चयन पूजा को पूर्ण और फलदायी बनाता है। नीचे मंगला गौरी व्रत में प्रयोग होने वाली आवश्यक सामग्री की सूची दी गई है:
मंगला गौरी व्रत के लिए पूजन सामग्री लिस्ट (Mangala Gauri Vrat Puja Samagri List)
- देवी पार्वती की प्रतिमा या फोटो
- लकड़ी की चौकी
- सफेद व लाल रंग का कपड़ा (चौकी व पूजा स्थल पर बिछाने हेतु)
- आटे से बना चौमुखा दीपक
- धूपबत्ती, कपूर
- अभिषेक के लिए दूध, पंचामृत और शुद्ध जल
- कुमकुम, चावल (अक्षत), अबीर, हल्दी
- लाल फूल और फूलों की माला
- माता के लिए सोलह श्रृंगार की सामग्री (जैसे काजल, बिंदी, चूड़ी, इत्र आदि)
- ताजे फल
- गुड़ से बनी खीर, हलवा और पंचमेवा
- आटे के लड्डू
- 7 प्रकार के अनाज
- 16 सुपारी व पान के पत्ते
- लौंग (2 नग)
- माता गौरी को चढ़ाने के लिए नए वस्त्र
मंगला गौरी व्रत 2025 पूजा विधि
मंगला गौरी व्रत का विशेष महत्व सावन मास के प्रत्येक मंगलवार को होता है। इस दिन सुहागन स्त्रियाँ माता गौरी की विशेष पूजा करती हैं ताकि उन्हें अखंड सौभाग्य और सुखमय वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद प्राप्त हो। नीचे मंगला गौरी व्रत 2025 की संपूर्ण पूजा विधि दी गई है:
मंगलवार की सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल को अच्छे से साफ करें और वहाँ गंगाजल का छिड़काव करें ताकि स्थान पवित्र हो जाए।
एक पवित्र चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं और उस पर माता गौरी की मूर्ति या चित्र को स्थापित करें। अब माता का गंगाजल से अभिषेक करें और वस्त्र अर्पित करें।
घी से बना हुआ आटे का चौमुखा दीपक लें, उसमें 16 बातियां रखें और माता के समक्ष प्रज्वलित करें। माता को सोलह श्रृंगार की सामग्री जैसे—बिंदी, चूड़ी, सिंदूर, काजल, इत्र आदि श्रद्धापूर्वक अर्पित करें।
मां को कमल के फूलों की माला चढ़ाएं। इसके बाद ‘ॐ गौर्यै नमः’ या ‘ॐ उमायै नमः’ मंत्र का जाप करें।
इस व्रत में 16 अंक का विशेष महत्व होता है। इसलिए माता को 16 लड्डू, 16 लौंग, 16 सुपारी, 16 पान के पत्ते, 16 बिंदी आदि अर्पित करें।
पूजा के अंत में मंगला गौरी व्रत कथा का पाठ करें और यदि संभव हो तो घर के अन्य सदस्यों को भी सुनाएं। अंत में माता की आरती करें और पूजा के दौरान हुई भूल-चूक के लिए क्षमा याचना करें।
इस पूजा को पूरी श्रद्धा, नियम और विधिपूर्वक करने से माता गौरी की कृपा प्राप्त होती है और विवाह तथा दांपत्य जीवन से जुड़ी सभी परेशानियाँ दूर होती हैं।
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FAQs
मंगला गौरी व्रत 2025 में कब से शुरू हो रहा है?
सावन 2025 में मंगला गौरी व्रत की शुरुआत 15 जुलाई 2025 (मंगलवार) से होगी। यह व्रत सावन मास के हर मंगलवार को रखा जाएगा और कुल 4 मंगलवार तक चलेगा।
मंगला गौरी व्रत क्यों रखा जाता है?
मंगला गौरी व्रत सुहागिन स्त्रियों द्वारा अपने पति की लंबी उम्र, सुखमय वैवाहिक जीवन और अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए रखा जाता है। यह व्रत माता पार्वती के मंगलमयी स्वरूप की आराधना का प्रतीक है।
मंगला गौरी व्रत में कौन-सी पूजा सामग्री जरूरी होती है?
इस व्रत में मुख्य रूप से 16 श्रृंगार की वस्तुएं, आटे का दीपक, फूल, फल, मिठाई, पान-सुपारी, रोली, अक्षत, हल्दी, धूप, दीप और माता गौरी की मूर्ति या चित्र का उपयोग किया जाता है।
मंगला गौरी व्रत कितने सालों तक करना चाहिए?
परंपरा के अनुसार नवविवाहित स्त्रियाँ इस व्रत को पहली बार विवाह के बाद लगातार 5 साल तक करती हैं। हालांकि, इच्छानुसार महिलाएं इसे जीवनभर भी कर सकती हैं।
मंगला गौरी व्रत की पूजा विधि क्या है?
प्रातः स्नान कर पूजन स्थान को शुद्ध करें। माता गौरी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। उन्हें वस्त्र, 16 श्रृंगार, फूल और मिठाई अर्पित करें। आटे के दीपक में 16 बातियाँ जलाकर आरती करें और व्रत कथा का पाठ करें।