Vat Savitri Vrat 2025 | वट सावित्री व्रत साल 2025 में कब है | जाने तिथि, पूजा विधि, महत्व और पूजा सामग्री सूची

Last Updated : 22 May 2025

Vat Savitri Vrat 2025 Date: सनातन परंपरा में वट सावित्री व्रत का विशेष महत्व है। यह व्रत विवाहित स्त्रियों द्वारा अपने पति की दीर्घायु और सुखी वैवाहिक जीवन की कामना हेतु रखा जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं और पूर्ण श्रद्धा के साथ व्रत का पालन करती हैं।

वट सावित्री
Vat Savitri Vrat 2025 Date

वैदिक पंचांग के अनुसार, हर वर्ष ज्येष्ठ माह की अमावस्या को यह पावन व्रत मनाया जाता है। इसे लेकर महिलाओं में खास उत्साह रहता है और वे पूरे विधि-विधान से इसकी तैयारी करती हैं। धार्मिक मान्यता है कि इस व्रत के नियमपूर्वक पालन से स्त्रियों को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है, वहीं उनके पति को लंबी उम्र का आशीर्वाद मिलता है।

चलिए जानते हैं कि इस वर्ष वट सावित्री व्रत कब रखा जाएगा और इससे जुड़े आध्यात्मिक लाभ क्या हैं।

वट सावित्री व्रत 2025: जानें तिथि और प्रमुख मुहूर्त

Vat Savitri Vrat 2025 Date and Time: वट सावित्री व्रत 2025 की तिथि को लेकर शास्त्रों के अनुसार स्पष्टता प्राप्त हो चुकी है। वैदिक पंचांग के मुताबिक, ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि का आरंभ 26 मई को दोपहर 12 बजकर 11 मिनट पर होगा और इसका समापन 27 मई की सुबह 8 बजकर 31 मिनट पर होगा। धार्मिक नियमों के अनुसार अमावस्या तिथि यदि दोपहर में शुरू हो, तो व्रत उसी दिन रखा जाता है। इस आधार पर वट सावित्री व्रत सोमवार, 26 मई 2025 को मनाया जाएगा।

वट सावित्री व्रत 2025 पूजन मुहूर्त:

ब्रह्म मुहूर्त – प्रातः 04:03 से 04:44 तक
विजय मुहूर्त – दोपहर 02:36 से 03:31 तक
गोधूलि मुहूर्त – सायं 07:16 से 07:36 तक
निशीथ मुहूर्त – रात्रि 11:58 से 12:39 तक

वट सावित्री व्रत 2025: जानिए इस व्रत से मिलने वाले आध्यात्मिक लाभ और आवश्यक नियम

हिंदू शास्त्रों में वट सावित्री व्रत को स्त्रियों के लिए अत्यंत फलदायी माना गया है। मान्यता है कि इस व्रत को श्रद्धा और विधि-विधान से करने से वैवाहिक जीवन में सौहार्द बना रहता है और पति की दीर्घायु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यह व्रत सुख-शांति, समृद्धि और संतान प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करता है।

बरगद के वृक्ष की छांव में की गई पूजा साधक की सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने में सहायक मानी जाती है। व्रत के प्रभाव से पारिवारिक विवादों और मानसिक तनाव से मुक्ति मिलती है, जिससे जीवन में सकारात्मकता और प्रसन्नता आती है।

व्रत के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें

वट सावित्री व्रत के दिन बरगद के पेड़ की विशेष पूजा की जाती है।
पूजन के समय सावित्री-सत्यवान की कथा अवश्य पढ़नी चाहिए।
इस दिन जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र या धन का दान करना अत्यंत पुण्यदायी होता है।
पूजा के अंत में पेड़ की परिक्रमा करना आवश्यक होता है, यह व्रत का मुख्य भाग माना गया है।
व्रती इस दिन जल और अन्न का त्याग करते हैं, जिससे व्रत की पूर्णता और फल सिद्धि प्राप्त होती है।

वट सावित्री व्रत 2025: पूजा विधि और आवश्यक सामग्री

पूजा विधि (Vat Savitri Vrat Puja Vidhi)


वट सावित्री व्रत के दिन व्रत रखने वाली महिलाओं को ब्रह्म मुहूर्त में जागकर स्नान करना चाहिए। इसके बाद सूर्यदेव को जल अर्पित करें। फिर संपूर्ण श्रृंगार करके वट वृक्ष के नीचे जाकर उसकी सफाई करें और पूजा की प्रक्रिया प्रारंभ करें।

वृक्ष के सामने धूप-दीप जलाकर सात बार उसकी परिक्रमा करें और व्रत की कथा का श्रद्धा से पाठ करें। पूजा पूर्ण होने के बाद भगवान को भोग अर्पित करें। अंत में किसी जरूरतमंद या मंदिर में अन्न और धन का दान करें। इस दिन मन, वचन और कर्म से पवित्र रहना चाहिए—किसी के साथ विवाद न करें और न ही किसी के प्रति बुरे विचार रखें।

व्रत में उपयोग की जाने वाली सामग्री (Vat Savitri Vrat Samagri List)

व्रत में जिन पूजन सामग्रियों की आवश्यकता होती है, उनमें देसी घी, भीगे हुए काले चने, मौसमी फल, अक्षत (चावल), धूपबत्ती, वट वृक्ष की टहनी, गंगाजल, मिट्टी का कलश, सुपारी, सिंदूर, हल्दी और मिठाई प्रमुख हैं।

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