होली के पांच दिन बाद एक बार फिर से श्रीपंचमी, जिसे रंग पंचमी कहा जाता है, के दिन रंग और गुलाल खेलने की परंपरा है। इस वर्ष रंग पंचमी 19 मार्च को मनाई जाएगी। इस दिन ब्रजभूमि एक बार फिर से रंगों में सराबोर हो जाती है। 

होली और रंग पंचमी दोनों रंगों से जुड़े पर्व हैं, लेकिन इनका महत्व अलग-अलग है। 

आइए जानते हैं रंग पंचमी के दिन घर पर कैसे पूजा करें और यह शुभ तिथि कब से कब तक रहेगी। 

रंग पंचमी 2025 का शुभ मुहूर्त  रंग पंचमी का उत्सव इस वर्ष 19 मार्च को मनाया जाएगा। पंचांग के अनुसार, चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि का प्रारंभ 18 मार्च की रात 10 बजकर 9 मिनट पर होगा, और इसका समापन 20 मार्च की रात 12 बजकर 37 मिनट पर होगा। 

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उदयातिथि के आधार पर पर्व का निर्धारण किया जाता है, अर्थात जिस दिन सूर्योदय के समय पंचमी तिथि होती है, उसी दिन रंग पंचमी मनाई जाती है। इसलिए इस वर्ष 19 मार्च को यह रंगों से भरा पर्व धूमधाम से मनाया जाएगा। 

रंग पंचमी की पूजाविधि  रंग पंचमी के दिन धन और समृद्धि प्राप्ति के लिए लक्ष्मी-नारायण की पूजा का विशेष महत्व माना जाता है। 

इस दिन कमल के फूल पर विराजमान लक्ष्मी-नारायण भगवान की छवि को घर की उत्तर दिशा में स्थापित करें और साथ में जल से भरा लोटा रखें। 

पूजा में गाय के घी का दीपक जलाएं और लाल गुलाब के फूल अर्पित करें। इसके बाद आसन पर बैठकर "ॐ श्रीं श्रीये नमः" मंत्र का तीन माला जाप करें। भोग में गुड़ और मिश्री अर्पित करें, जिससे लक्ष्मी-नारायण प्रसन्न होते हैं और कृपा बरसाते हैं। 

रंग पंचमी पर इस विधि से पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि आती है और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। मंत्रों के जाप से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। अंत में गुड़ और मिश्री का भोग प्रसाद के रूप में ग्रहण करें।