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Til Dwadashi 2025: तिल द्वादशी का क्यों है इतना महत्व, जानें इस दिन क्या करने से मिलेगा अश्वमेध यज्ञ का फल

नारद और स्कंद पुराण के अनुसार, माघ मास की द्वादशी तिथि पर तिल का दान करना अत्यधिक पुण्यदायक माना गया है। षटतिला एकादशी के अगले दिन तिल द्वादशी व्रत का पालन किया जाता है। इस दिन प्रातःकाल सूर्योदय से पहले उठकर तीर्थ स्नान करना शुभ माना जाता है। यदि तीर्थ स्नान संभव न हो, तो घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं। स्नान के बाद तिल मिश्रित जल से भगवान विष्णु का अभिषेक किया जाता है और अन्य पूजन सामग्री के साथ तिल अर्पित किए जाते हैं।

तिल द्वादशी
Til Dwadashi 2025

पूजन के उपरांत तिल से बना नैवेद्य अर्पित किया जाता है और इसे प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, द्वादशी तिथि के स्वामी भगवान विष्णु हैं। इस दिन यदि रविवार पड़ता है, तो इसका महत्व और भी बढ़ जाता है, क्योंकि रविवार के देवता सूर्य हैं, जो भगवान विष्णु से संबंधित माने जाते हैं।इस दिन व्रत, स्नान और दान करने से कई गुना पुण्य फल की प्राप्ति होती है। षटतिला द्वादशी का धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व जानने के लिए यह अवसर भक्तों के लिए विशेष माना गया है।

तिल दान से मिलता है अश्वमेध यज्ञ का फल

माघ मास की द्वादशी तिथि पर तिल दान का अत्यधिक महत्व है। इस दिन प्रातःकाल सूर्योदय से पहले उठकर तिल मिश्रित जल का सेवन करना शुभ माना जाता है। इसके बाद तिल का उबटन लगाएं और गंगाजल के साथ तिल मिलाकर स्नान करें।इस पवित्र तिथि पर तिल से हवन करना और भगवान विष्णु को तिल से बने नैवेद्य का भोग लगाकर प्रसाद के रूप में तिल का सेवन करना चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति को अश्वमेध यज्ञ और स्वर्णदान के समान पुण्य की प्राप्ति होती है।

भगवान विष्णु को तिल का नैवेद्य अर्पित करें

द्वादशी तिथि के दिन सूर्योदय से पहले तिल मिले जल से स्नान कर भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करें। पूजा से पहले व्रत और दान का संकल्प लें। तत्पश्चात, “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करते हुए भगवान विष्णु की मूर्ति का पंचामृत और शुद्ध जल से अभिषेक करें। इसके बाद पुष्प, तुलसी दल और अन्य पूजा सामग्री अर्पित करें।

पूजा के अंत में भगवान विष्णु को तिल से बने नैवेद्य का भोग लगाएं। प्रसाद ग्रहण करें और इसे अन्य लोगों में वितरित करें। इस विधि से पूजा करने पर कई गुना पुण्य की प्राप्ति होती है, और अज्ञानवश किए गए पापों का क्षय होता है।

तिल दान करने के लाभ

तिल द्वादशी के दिन तिल का दान करने से जीवन की सभी परेशानियों का अंत होता है। इस दिन तिल दान करने से दुख, कष्ट, दुर्भाग्य और विपत्तियों से मुक्ति मिलती है। तिल द्वादशी पर तिल युक्त जल से स्नान करने से व्यक्ति के पापों का नाश होता है।

करियर में नई ऊंचाइयां हासिल करने के लिए इस दिन स्नान और ध्यान के बाद तिलांजलि करें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पितरों को प्रसन्न करने से जीवन में सभी सुख-सुविधाएं प्राप्त होती हैं। ज्योतिष के अनुसार, पितरों को प्रसन्न करने के लिए अमावस्या और पूर्णिमा के दिन तिल से तर्पण करना शुभ माना गया है। तिल द्वादशी पर तिल दान अवश्य करना चाहिए, इससे जीवन में शुभता और समृद्धि आती है।

तिल द्वादशी का महत्व

तिल द्वादशी व्रत को हर प्रकार के सुख और समृद्धि का स्रोत माना गया है। यह व्रत कलियुग के पापों का नाश करने वाला बताया गया है। पद्म पुराण के अनुसार, इस व्रत के दौरान ब्राह्मणों को तिल दान करना, पितरों का तर्पण करना, तिल से हवन और यज्ञ करना अश्वमेध यज्ञ के समान पुण्य फल प्रदान करता है।

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