Bhagavad Gita Chapter 2 Verse 41 Shloka 41 | गीता अध्याय 2 श्लोक 41 अर्थ सहित | व्यवसायात्मिका बुद्धिरेकेह…..

Bhagavad Gita Chapter 2 Verse-Shloka 41 – गीता अध्याय 2 श्लोक 41 अर्थ सहित - व्यवसायात्मिका बुद्धिरेकेह..... | Festivalhindu.com

श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 2 श्लोक 41 (Bhagavad Gita Chapter 2 Verse 41 in Hindi): श्रीमद्भगवद्गीता भारतीय दर्शन का अनमोल ग्रंथ है, जो जीवन के हर पहलू में मार्गदर्शन प्रदान करता है। गीता के दूसरे अध्याय का श्लोक 2.41 (Bhagavad Gita Chapter 2 Shloka 41), “व्यवसायात्मिका बुद्धिरेकेह कुरुनन्दन…” हमें यह सिखाता है कि एकाग्रता और दृढ़निश्चय … Read more

Bhagavad Gita Chapter 2 Verse 40 Shloka 40 | गीता अध्याय 2 श्लोक 40 अर्थ सहित | नेहाभिक्रमनाशोSस्ति प्रत्यवायो…..

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श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 2 श्लोक 40 (Bhagavad Gita Chapter 2 Verse 40 in Hindi): भगवद गीता, भारतीय दर्शन का अमूल्य ग्रंथ है, जो जीवन के हर पहलू पर प्रकाश डालता है। इसमें श्रीकृष्ण अर्जुन को जीवन, कर्म और धर्म के गूढ़ रहस्यों को समझाते हैं। गीता के दूसरे अध्याय का यह श्लोक (2.40) (Bhagavad Gita … Read more

Bhagavad Gita Chapter 2 Verse 39 Shloka 39 | गीता अध्याय 2 श्लोक 39 अर्थ सहित | एषा तेSभिहिता सांख्ये…..

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श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 2 श्लोक 39 (Bhagavad Gita Chapter 2 Verse 39 in Hindi): भगवद्गीता का दूसरा अध्याय, अर्जुन को श्रीकृष्ण द्वारा दिए गए शिक्षाओं का संग्रह है जिसमें जीवन, आत्मा, और कर्म की गहराई को समझाया गया है। गीता के श्लोक 2.39(Bhagavad Gita Chapter 2 Shloka 39) में भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को कर्म और … Read more

Bhagavad Gita Chapter 2 Verse 38 Shloka 38 | गीता अध्याय 2 श्लोक 38 अर्थ सहित | सुखदुःखे समे कृत्वा लाभालाभौ…..

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श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 2 श्लोक 38 (Bhagavad Gita Chapter 2 Verse 38 in Hindi): श्रीमद्भगवद्गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को युद्ध के मैदान में जो उपदेश दिए, वे न केवल धर्म के पालन के लिए महत्वपूर्ण हैं बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में मार्गदर्शन करते हैं। श्लोक 2.38(Bhagavad Gita Chapter 2 Shloka 38) में … Read more

Bhagavad Gita Chapter 2 Verse 37 Shloka 37 | गीता अध्याय 2 श्लोक 37 अर्थ सहित | हतो वा प्राप्स्यसि स्वर्गं जित्वा…..

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श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 2 श्लोक 37 (Bhagavad Gita Chapter 2 Verse 37 in Hindi): श्रीमद्भगवद्गीता का हर श्लोक जीवन के किसी न किसी पहलू को स्पर्श करता है और हमें एक दिशा देने का कार्य करता है। भगवद्गीता के श्लोक 2.37 (Bhagavad Gita Chapter 2 Shloka 37) में भगवान श्रीकृष्ण, अर्जुन को युद्ध के लिए … Read more

Bhagavad Gita Chapter 2 Verse 36 Shloka 36 | गीता अध्याय 2 श्लोक 36 अर्थ सहित | अवाच्यवादांश्र्च बहून्वदिष्यन्ति…..

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श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 2 श्लोक 36 (Bhagavad Gita Chapter 2 Verse 36 in Hindi): भगवद गीता के दूसरे अध्याय का 36वां श्लोक (Bhagavad Gita Chapter 2 Shloka 36) अर्जुन को उनके निर्णय पर पुनर्विचार के लिए प्रेरित करता है। श्रीकृष्ण, अर्जुन को समझाने के लिए गीता में न केवल दायित्व और धर्म का सन्देश देते … Read more

Bhagavad Gita Chapter 2 Verse 35 Shloka 35 | गीता अध्याय 2 श्लोक 35 अर्थ सहित | भयाद्रणादुपरतं मंस्यन्ते त्वां…..

Bhagavad Gita Chapter 2 Verse-Shloka 35 – गीता अध्याय 2 श्लोक 35 अर्थ सहित - भयाद्रणादुपरतं मंस्यन्ते त्वां..... | Festivalhindu.com

श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 2 श्लोक 35 (Bhagavad Gita Chapter 2 Verse 35 in Hindi): भगवद गीता का हर श्लोक गहरे जीवन-निर्देशों से भरा हुआ है, और श्लोक 2.35(Bhagavad Gita Chapter 2 Shloka 35) में भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को एक ऐसी चेतावनी देते हैं जो आज भी हमारी जिंदगी में प्रासंगिक है। यह श्लोक हमें साहस, … Read more

Bhagavad Gita Chapter 2 Verse 34 Shloka 34 | गीता अध्याय 2 श्लोक 34 अर्थ सहित | अकीर्तिं चापि भूतानि कथयिष्यन्ति…..

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श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 2 श्लोक 34 (Bhagavad Gita Chapter 2 Verse 34 in Hindi): श्रीमद्भगवद्गीता के श्लोकों में जीवन के अनेक रहस्यों और गूढ़ सिद्धांतों का समावेश है, जो आज भी हमें प्रेरणा देते हैं। गीता के अध्याय 2, श्लोक 34(Bhagavad Gita Chapter 2 Shloka 34) में भगवान कृष्ण अर्जुन को जीवन और सम्मान के … Read more

Bhagavad Gita Chapter 2 Verse 33 Shloka 33 | गीता अध्याय 2 श्लोक 33 अर्थ सहित | अथ चेत्त्वमिमं धर्म्यं सङ्ग्रामं…..

Bhagavad Gita Chapter 2 Verse-Shloka 33 – गीता अध्याय 2 श्लोक 33 अर्थ सहित - अथ चेत्त्वमिमं धर्म्यं सङ्ग्रामं.....| Festivalhindu.com

श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 2 श्लोक 33 (Bhagavad Gita Chapter 2 Verse 33 in Hindi): भगवद गीता के श्लोक 2.33(Bhagavad Gita Chapter 2 Shloka 33) में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को उसके कर्तव्य के प्रति जागरूक किया है। श्रीकृष्ण ने अर्जुन को यह समझाया कि उसका धर्म एक योद्धा का है, और इस धर्म का पालन … Read more

Bhagavad Gita Chapter 2 Verse 32 Shloka 32 | गीता अध्याय 2 श्लोक 32 अर्थ सहित | यदृच्छया चोपपन्नं…..

Bhagavad Gita Chapter 2 Verse-Shloka 32 – गीता अध्याय 2 श्लोक 32 अर्थ सहित - यदृच्छया चोपपन्नं..... | Festivalhindu.com

श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 2 श्लोक 32 (Bhagavad Gita Chapter 2 Verse 32 in Hindi): भगवद्गीता के दूसरे अध्याय का श्लोक 2.32(Bhagavad Gita Chapter 2 Shloka 32) भगवान श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए मार्गदर्शन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस श्लोक में भगवान अर्जुन को उसके क्षत्रिय धर्म का पालन करने और धर्मयुद्ध में भाग … Read more