हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, श्री राम स्तुति का अर्थ है भगवान श्री राम का स्मरण करना। ऐसा कहा जाता है कि इस स्तुति का जाप करने से व्यक्ति की आत्मा तृप्त हो जाती है और उसे आत्मिक शांति का अनुभव होता है। श्री राम स्तुति का पाठ भक्तों के मन को सुकून और शांति प्रदान करता है। प्राचीन कथाओं के अनुसार, श्री राम स्तुति की रचना महाकवि तुलसीदास जी द्वारा की गई थी।
प्रतिदिन भगवान श्री राम की इस स्तुति, जिसे राम जी की आरती भी कहा जाता है, का जाप करने से भगवान श्री राम और उनके प्रिय भक्त हनुमान जी प्रसन्न होते हैं। यह भक्तों को उनकी कृपा प्राप्त करने और जीवन में सुख-शांति बनाए रखने में सहायक होती है।

श्री राम स्तुति पाठ महत्व (Shri Ram Stuti Paath Mahatva)
सनातन धर्म में भगवान श्रीराम की पूजा का विशेष महत्व है। भगवान श्रीराम को भगवान विष्णु के दस अवतारों में से सातवां अवतार माना जाता है। भगवान श्रीराम ने कई महत्वपूर्ण कार्य किए हैं, जो आज भी प्रशंसा के पात्र हैं। द्वापर युग में, रामलला अयोध्या के राजा दशरथ के घर अवतार लिए थे। मान्यता है कि भगवान श्रीराम की पूजा में श्रीराम स्तुति का पाठ न करने से पूजा का पूरा फल नहीं मिलता। इसलिए नियमित रूप से श्रीराम स्तुति का पाठ करना चाहिए। कहा जाता है कि रोजाना श्रीराम स्तुति का पाठ करने से साधक के जीवन के सभी दुख-दर्द दूर होते हैं और भगवान श्रीराम की कृपा प्राप्त होती है।
श्री राम स्तुति पाठ (Shri Ram Stuti Paath Lyrics)
॥दोहा॥
श्री रामचन्द्र कृपालु भजुमन
हरण भवभय दारुणं ।
नव कंज लोचन कंज मुख
कर कंज पद कंजारुणं ॥१॥
कन्दर्प अगणित अमित छवि
नव नील नीरद सुन्दरं ।
पटपीत मानहुँ तडित रुचि शुचि
नोमि जनक सुतावरं ॥२॥
भजु दीनबन्धु दिनेश दानव
दैत्य वंश निकन्दनं ।
रघुनन्द आनन्द कन्द कोशल
चन्द दशरथ नन्दनं ॥३॥
शिर मुकुट कुंडल तिलक
चारु उदारु अङ्ग विभूषणं ।
आजानु भुज शर चाप धर
संग्राम जित खरदूषणं ॥४॥
इति वदति तुलसीदास शंकर
शेष मुनि मन रंजनं ।
मम् हृदय कंज निवास कुरु
कामादि खलदल गंजनं ॥५॥
मन जाहि राच्यो मिलहि सो
वर सहज सुन्दर सांवरो ।
करुणा निधान सुजान शील
स्नेह जानत रावरो ॥६॥
एहि भांति गौरी असीस सुन सिय
सहित हिय हरषित अली।
तुलसी भवानिहि पूजी पुनि-पुनि
मुदित मन मन्दिर चली ॥७॥
॥सोरठा॥
जानी गौरी अनुकूल सिय
हिय हरषु न जाइ कहि ।
मंजुल मंगल मूल वाम
अङ्ग फरकन लगे।
रचयिता: गोस्वामी तुलसीदास
श्री राम स्तुति पाठ लाभ (Shri Ram Stuti Paath ke Labh)
- मन की शांति और संतुलन प्राप्त होता है।
- जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है।
- समस्याओं से मुक्ति और शांति की प्राप्ति होती है।
- आत्मविश्वास और आत्मसंतोष में वृद्धि होती है।
- परमात्मा की कृपा से कठिनाइयाँ दूर होती हैं।
- भक्ति और श्रद्धा में वृद्धि होती है।
- मानसिक तनाव और चिंता में कमी आती है।
- पुण्य और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।
- जीवन में उन्नति और सफलता मिलती है।
- नकारात्मक विचारों से मुक्ति मिलती है।
श्री राम स्तुति पाठ के नियम (Shri Ram Stuti Paath ke Niyam)
- सफाई का पालन करें।
- शांत और स्वच्छ स्थान पर बैठें।
- भगवान श्री राम का ध्यान करें।
- नियमित रूप से पाठ करें।
- विश्वास और श्रद्धा के साथ पाठ करें।
- 108 बार “राम” मंत्र का जाप करें।
- सुबह या शाम का समय उत्तम है।
- भक्ति और ध्यान के साथ पाठ करें।
- पाठ के बाद भगवान का आभार व्यक्त करें।
- प्रसाद वितरित करें।
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