हनुमान जी की आरती (Hanuman Ji Ki Aarti) का विशेष महत्व है। हनुमान जी को शक्ति, भक्ति, और साहस का प्रतीक माना जाता है। वे भगवान राम के अनन्य भक्त हैं और उनके सेवक हैं। हनुमान जी की आरती से उनके भक्तों को अपार शक्ति, साहस और संकल्प मिलता है। हनुमान जी की आरती के समय उनके भक्त उनके समर्पण, निष्ठा और वीरता की प्रशंसा करते हैं।
हनुमान जी, जिन्हें बजरंग बली (Bajrangbali) के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में एक प्रमुख देवता हैं। वे भगवान राम के परम भक्त माने जाते हैं और उनकी पूजा आरती के माध्यम से की जाती है। “आरती कीजै हनुमान लला की” एक प्रसिद्ध हनुमान जी की आरती है जो भक्तों द्वारा गाई जाती है। इस लेख में, हम हनुमान जी की आरती के महत्व, लाभ और इसके शब्दों पर चर्चा करेंगे।

हनुमान जी की आरती (Hanuman Ji Ki Aarti) का महत्व
हनुमान जी की आरती का महत्व उनके भक्तों के जीवन में बहुत बड़ा है। यह आरती न केवल उनकी भक्ति और शक्ति को दर्शाती है, बल्कि उनके प्रति समर्पण और विश्वास को भी बढ़ाती है। हनुमान जी की आरती करने से व्यक्ति के जीवन में साहस, शक्ति और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यह आरती सभी प्रकार के भय, चिंता और नकारात्मकता को दूर करने में सहायक है। हनुमान जी की आरती गाने से मन को शांति और स्थिरता मिलती है और जीवन में सकारात्मकता बढ़ती है।
हनुमान जी की आरती (Hanuman Ji Ki Aarti) के लाभ
हनुमान जी की आरती करने से कई आध्यात्मिक और मानसिक लाभ होते हैं:
- साहस और बल की प्राप्ति: हनुमान जी को बल और साहस का प्रतीक माना जाता है। उनकी आरती करने से व्यक्ति में साहस और आत्मबल की वृद्धि होती है।
- बाधाओं का नाश: हनुमान जी को संकटमोचक भी कहा जाता है। उनकी आरती करने से जीवन की समस्याओं और बाधाओं का नाश होता है।
- मानसिक शांति: हनुमान जी की आरती से मन को शांति मिलती है और तनाव कम होता है।
- भक्ति और श्रद्धा की वृद्धि: आरती के दौरान हनुमान जी की स्तुति करने से भक्ति और श्रद्धा में वृद्धि होती है।
हनुमान जी की आरती (Hanuman Ji Ki Aarti):
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥
Shree Hanuman Ji Ki Aarti
जाके बल से गिरिवर कांपे। रोग दोष जाके निकट न झांके॥
अंजनि पुत्र महा बलदायी। सन्तन के प्रभु सदा सहाई॥
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥
दे बीरा रघुनाथ पठाए। लंका जारि सिया सुधि लाए॥
लंका सो कोट समुद्र-सी खाई। जात पवनसुत बार न लाई॥
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥
लंका जारि असुर संहारे। सियाराम जी के काज संवारे॥
लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे। लाए संजीवन प्राण उबारे॥
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥
पैठि पाताल तोरि जम-कारे। अहिरावण की भुजा उखारे॥
बाएं भुजा असुर दल मारे। दाहिने भुजा संतजन तारे॥
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥
सुर-नर मुनि जन आरती उतारें। जय जय जय हनुमान उचारें॥
कंचन थार कपूर लौ छाई। आरती करत अंजना माई॥
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥
जो हनुमान जी की आरती गावै। बसी बैकुंठ परमपद पावै॥
लंक विध्वंस किये रघुराई, तुलसी दास स्वामी कीर्ति गाई॥
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥
उपसंहार
हनुमान जी की आरती (Hanuman Ji Ki Aarti) का धार्मिक और आध्यात्मिक जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है। यह आरती उनके प्रति हमारी भक्ति, समर्पण और आस्था को दर्शाती है। हनुमान जी की आरती गाने से व्यक्ति को अद्वितीय शक्ति, साहस और संकल्प मिलता है। यह आरती सभी प्रकार के भय और नकारात्मकता को दूर करती है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है। इस प्रकार, हनुमान जी की आरती हमारे जीवन को सकारात्मकता और ऊर्जा से भरती है और हमें भगवान के प्रति असीम श्रद्धा और भक्ति का अनुभव कराती है।
निष्कर्ष
हनुमान जी की आरती “आरती कीजै हनुमान लला की” को नियमित रूप से करने से जीवन में शांति, साहस और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यह आरती भक्तों के जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करती है और उन्हें आध्यात्मिक उन्नति की ओर ले जाती है। इस आरती को समर्पण और श्रद्धा के साथ करने से हनुमान जी की कृपा प्राप्त होती है।
हनुमान जी की आरती का महत्व हमारे जीवन में अपार है। आइए, हम सब मिलकर हनुमान जी की आरती करें और उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को सुखमय और सफल बनाएं।