Sawan Purnima 2025 Date| सावन पूर्णिमा कब है| जाने पूजा का शुभ मुहूर्त और चंद्रोदय का समय

August Purnima 2025 Date: सावन महीने के अंतिम दिन आने वाली पूर्णिमा को श्रावण पूर्णिमा, कजरी पूर्णिमा या सावन पूर्णिमा कहा जाता है। हिंदू धर्म में सावन माह को अत्यंत शुभ और पवित्र माना जाता है, जो भगवान शिव की आराधना के लिए विशेष रूप से समर्पित होता है। इस माह में अनेक धार्मिक पर्व और त्योहार मनाए जाते हैं।

सावन पूर्णिमा

हालांकि वर्ष भर में कुल 12 पूर्णिमा आती हैं, लेकिन श्रावण मास की पूर्णिमा का धार्मिक दृष्टि से विशेष महत्व होता है। इसी दिन रक्षाबंधन जैसे पवित्र पर्व का आयोजन होता है और शिव पूजन का भी विधान है। धर्मग्रंथों में इस तिथि पर स्नान और दान करने का विशेष फल बताया गया है। साथ ही, पितरों के तर्पण के लिए भी यह दिन अत्यंत शुभ माना जाता है। आइए जानें वर्ष 2025 में सावन पूर्णिमा की तिथि, पूजा का सही तरीका, शुभ मुहूर्त और चंद्रोदय का समय।

सावन पूर्णिमा 2025 तिथि, पूजन मुहूर्त और चंद्रोदय का समय (Sawan Purnima 2025 Date)

हिंदू पंचांग के अनुसार, सावन महीने की पूर्णिमा तिथि माह के अंतिम दिन आती है। वर्ष 2025 में यह तिथि शनिवार, 9 अगस्त को पड़ेगी। पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ 8 अगस्त को दोपहर 2 बजकर 14 मिनट से होगा और इसका समापन 9 अगस्त को दोपहर 1 बजकर 26 मिनट पर होगा।

धार्मिक मान्यता के अनुसार, स्नान, व्रत, शिव पूजन तथा चंद्र पूजन जैसे सभी धार्मिक कार्य 9 अगस्त 2025 को ही किए जाएंगे, क्योंकि यही उदया तिथि मानी जाती है।

पूजा के लिए शुभ समय:

  • पूर्णिमा प्रारंभ: 8 अगस्त 2025, दोपहर 2:14 बजे
  • पूर्णिमा समाप्त: 9 अगस्त 2025, दोपहर 1:26 बजे
  • चंद्रोदय का समय: 9 अगस्त 2025, शाम 7:21 बजे

जो श्रद्धालु सावन पूर्णिमा पर व्रत रखते हैं, वे प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में 04:28 से 05:16 के बीच स्नान कर सकते हैं। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग रहेगा, जो किसी भी प्रकार की पूजा और धार्मिक कार्यों के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
इसके अतिरिक्त, दोपहर 12:06 से 12:58 तक अभिजीत मुहूर्त रहेगा, जिसे पूजा-पाठ के लिए अत्यंत फलदायक समय माना गया है।

सावन पूर्णिमा पर चंद्र पूजन का महत्व (Sawan Purnima Mahatva)

ज्योतिष के अनुसार, आकाश में कुल 27 नक्षत्र होते हैं, जिनमें प्रत्येक का संबंध चंद्रमा से होता है। इन नक्षत्रों में एक प्रमुख नक्षत्र है श्रवण, और सावन पूर्णिमा के दिन चंद्रमा इसी श्रवण नक्षत्र में गोचर करता है।
इसी कारण इसे श्रावणी पूर्णिमा भी कहा जाता है। चंद्रोदय के बाद चंद्रमा को अर्घ्य देना इस दिन की प्रमुख परंपरा मानी जाती है, जिससे व्रत पूर्ण होता है।
मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा की पूजा करने से कुंडली में चंद्र ग्रह की स्थिति सशक्त होती है और मानसिक शांति की प्राप्ति होती है।

सावन पूर्णिमा पर क्या करना चाहिए? (Sawan Purnima Par Kya Kare)

श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि पर स्नान, दान और पूजा-पाठ का विशेष महत्व होता है। इस दिन श्रद्धालु भगवान शिव और भगवान विष्णु की विधिपूर्वक पूजा करते हैं। व्रत रखकर दिनभर संयम और साधना का पालन किया जाता है।
रात्रि में चंद्रोदय के समय चंद्रमा को अर्घ्य देना आवश्यक होता है, तभी व्रत पूर्ण माना जाता है। यह दिन आध्यात्मिक लाभ, पुण्य अर्जन और चंद्र दोष निवारण के लिए उत्तम माना गया है।

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FAQs

सावन पूर्णिमा 2025 कब है?

सावन पूर्णिमा 2025 में 9 अगस्त (शनिवार) को मनाई जाएगी। यह तिथि श्रावण मास की अंतिम दिन होती है और इसी दिन रक्षाबंधन का पर्व भी मनाया जाता है।

सावन पूर्णिमा पर पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है?

पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 8 अगस्त 2025, दोपहर 2:14 बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त: 9 अगस्त 2025, दोपहर 1:26 बजे
अभिजीत मुहूर्त: 9 अगस्त, दोपहर 12:06 से 12:58 बजे तक
चंद्रोदय समय: 9 अगस्त को शाम 7:21 बजे

सावन पूर्णिमा पर कौन-कौन से देवी-देवताओं की पूजा करनी चाहिए?

इस दिन भगवान शिव, भगवान विष्णु और चंद्रदेव की पूजा विशेष रूप से की जाती है। श्रवण नक्षत्र में चंद्र पूजन का विशेष महत्व होता है।

सावन पूर्णिमा पर व्रत कैसे किया जाता है?

व्रती ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करके व्रत का संकल्प लेते हैं। दिनभर व्रत रखकर भगवान शिव-विष्णु की पूजा करते हैं। रात्रि में चंद्रोदय के समय चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत पूर्ण करते हैं।

सावन पूर्णिमा पर कौन से धार्मिक कार्य शुभ माने जाते हैं?

इस दिन स्नान, दान, व्रत, शिव और विष्णु पूजन, चंद्रमा को अर्घ्य देना, पितरों का तर्पण तथा ब्राह्मणों को भोजन कराना शुभ माना जाता है।

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