Sawan 2024 Shivratri: हिंदू पंचांग के अनुसार, सावन महीना भगवान शिव को समर्पित होता है। यह महीना श्रावण मास के नाम से भी जाना जाता है और इस दौरान भक्त भगवान शिव की पूजा-अर्चना करते हैं। इस महीने में शिवरात्रि का विशेष महत्व होता है, जिसे सावन शिवरात्रि(Sawan Shivratri) कहा जाता है।
सावन शिवरात्रि 2024 (Sawan Shivratri 2024)
साल 2024 में सावन शिवरात्रि 2 अगस्त, शुक्रवार को मनाई जाएगी। यह व्रत कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को रखा जाता है।
सावन शिवरात्रि का महत्व
सावन शिवरात्रि को अत्यंत पवित्र माना जाता है। इस दिन भगवान शिव की विशेष पूजा-अर्चना करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन भगवान शिव ने अर्धनारीश्वर रूप धारण किया था।
सावन शिवरात्रि व्रत और पूजा विधि
- सावन शिवरात्रि के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- घर के मंदिर में भगवान शिव की प्रतिमा या शिवलिंग स्थापित करें और उन्हें गंगाजल, दूध, दही, घी, शहद, बेल पत्र, धतूरा, फल, फूल आदि अर्पित करें।
- शिव चालीसा, पंचाक्षर मंत्र या शिव स्त्रोत का पाठ करें।
- रात भर जागरण करें और भगवान शिव की आरती करें।
- अगले दिन सूर्योदय के बाद व्रत का पारण करें।
सावन शिवरात्रि के कुछ खास पहलू
- निशिता काल पूजा: सावन शिवरात्रि के दिन निशिता काल (रात के मध्य का समय) विशेष रूप से पूजनीय माना जाता है। इस समय भगवान शिव की पूजा करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है।
- कन्या पूजन: सावन शिवरात्रि के दिन कन्या पूजन का भी विशेष महत्व है। इस दिन 9 कन्याओं को भोजन कराकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए।
- बेल पत्र का महत्व: सावन शिवरात्रि के दिन भगवान शिव को बेल पत्र अर्पित करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
- कावड़ यात्रा: सावन शिवरात्रि के अवसर पर कई श्रद्धालु कावड़ यात्रा निकालते हैं। वे गंगाजल या यमुना जल से भरे कावड़ लेकर हरिद्वार या ऋषिकेश से काशी विश्वनाथ या त्र्यंबकेश्वर जैसे शिव मंदिरों की यात्रा करते हैं।
सावन शिवरात्रि: एक आध्यात्मिक अनुभव
सावन शिवरात्रि केवल एक धार्मिक त्योहार ही नहीं, बल्कि आध्यात्मिक अनुभव भी है। इस दिन भक्त भगवान शिव की भक्ति में लीन होकर अपने मन और आत्मा को शुद्ध करते हैं।
सावन शिवरात्रि से जुड़ी कथाएं (Stories Associated with Sawan Shivratri)
सावन शिवरात्रि से जुड़ी कई कथाएं प्रचलित हैं, जो इस पर्व के महत्व को और भी गहरा बनाती हैं। आइए, जानते हैं उनमें से कुछ प्रमुख कथाओं को:
- समुद्र मंथन और शिव-पार्वती विवाह: पौराणिक कथाओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान हलाहल विष निकला था। यह विष इतना विषैला था कि सारे देवता और असुर मूर्छित हो गए थे। भगवान शिव ने उस विष को पी लिया था, जिससे उनका कंठ नीला पड़ गया था। इसी दिन माता पार्वती ने भगवान शिव को विष के प्रभाव से बचाने के लिए उनका गला दबाया था। माता पार्वती के इस प्रेम और समर्पण को देखकर भगवान शिव ने उन्हें सावन शिवरात्रि के दिन ही अपना जीवन साथी बना लिया था।
- सम्राट मान्धाता की कथा: एक कथा के अनुसार, राजा मान्धाता को अपने अहंकार के कारण भगवान इंद्र का कोप भाजन बनना पड़ा था। उनका पूरा राज्य सूखाग्रस्त हो गया था। तब राजा मान्धाता ने भगवान शिव की कठोर तपस्या की। सावन शिवरात्रि के दिन भगवान शिव प्रसन्न हुए और उन्होंने राजा मान्धाता को क्षमा कर दिया। साथ ही, उनके राज्य में फिर से खुशहाली लौटा दी।
- अर्धनारीश्वर रूप की कथा: शास्त्रों के अनुसार, सावन शिवरात्रि के दिन ही भगवान शिव ने अर्धनारीश्वर का रूप धारण किया था। यह रूप शिव और शक्ति के मिलन का प्रतीक है। यह दर्शाता है कि इस सृष्टि के संचालन के लिए शिव और शक्ति दोनों का ही समान महत्व है।
निष्कर्ष
सावन शिवरात्रि भगवान शिव की आराधना का एक पावन अवसर है। इस दिन भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और आध्यात्मिक उन्नति होती है।
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