Saraswati Puja 2026| सरस्वती पूजा 2026 कब| जाने तिथि और पूजा का शुभ मुहूर्त

Saraswati Puja 2026 Date: माघ मास में आने वाला एक अत्यंत शुभ और आध्यात्मिक दिन सरस्वती पूजा का होता है, जिसे बसंत पंचमी के नाम से जाना जाता है। यह पर्व माघ शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है और विशेष रूप से विद्यार्थियों, कलाकारों तथा ज्ञान की साधना करने वाले लोगों के लिए इसका अत्यधिक महत्व माना गया है। बसंत पंचमी न केवल विद्या की देवी मां सरस्वती की आराधना का दिन है, बल्कि यह वसंत ऋतु के आगमन का भी शुभ संकेत देती है।

सरस्वती पूजा
Saraswati Puja 2026 Date & Time

इस दिन प्रकृति में नवीनता, उल्लास और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होने लगता है। ऐसे में वर्ष 2026 में बसंत पंचमी और सरस्वती पूजा किस दिन मनाई जाएगी, यह जानना श्रद्धालुओं के लिए अत्यंत आवश्यक हो जाता है।

माघ शुक्ल पंचमी और मां सरस्वती की आराधना

हिंदू पंचांग के अनुसार माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि मां सरस्वती को समर्पित मानी गई है। मां सरस्वती को विद्या, बुद्धि, कला, संगीत और वाणी की देवी कहा जाता है। शास्त्रों में उन्हें श्वेत वस्त्र धारण करने वाली, वीणा धारण किए हुए और हंस पर विराजमान बताया गया है, जो पवित्रता और विवेक का प्रतीक है। मान्यता है कि इस तिथि पर मां शारदा की आराधना करने से मनुष्य के जीवन से अज्ञान का अंधकार दूर होता है और ज्ञान का प्रकाश स्थायी रूप से स्थापित हो जाता है। यही कारण है कि इस दिन विद्यार्थी विशेष रूप से मां सरस्वती का पूजन कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

हर वर्ष इसी तिथि को होता है सरस्वती पूजन

सरस्वती पूजा का पर्व प्रत्येक वर्ष माघ शुक्ल पंचमी को ही मनाया जाता है। इसे वसंत पंचमी भी कहा जाता है, क्योंकि इसी समय से वसंत ऋतु का औपचारिक आरंभ माना जाता है। खेतों में फसलें लहलहाने लगती हैं, पेड़ों पर नई कोपलें आती हैं और वातावरण में एक विशेष प्रकार की स्फूर्ति दिखाई देने लगती है। धार्मिक दृष्टि से यह दिन अत्यंत शुभ माना गया है। इस दिन मां सरस्वती की पूजा करने से बुद्धि तीव्र होती है, स्मरण शक्ति बढ़ती है और रचनात्मक क्षमता का विकास होता है। यही कारण है कि स्कूलों, कॉलेजों और शिक्षण संस्थानों में इस दिन विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन किया जाता है।

बसंत पंचमी 2026 की तिथि और समय

वैदिक पंचांग के अनुसार वर्ष 2026 में माघ शुक्ल पंचमी तिथि की शुरुआत 23 जनवरी को प्रातः 2 बजकर 28 मिनट से होगी और इसका समापन 24 जनवरी को सुबह 1 बजकर 46 मिनट पर होगा। पंचमी तिथि के उदयकाल के आधार पर वर्ष 2026 में सरस्वती पूजा और बसंत पंचमी का पर्व 23 जनवरी को मनाया जाएगा। इस दिन श्रद्धालु पूरे विधि-विधान के साथ मां सरस्वती की पूजा कर सकेंगे और ज्ञान व विवेक का आशीर्वाद प्राप्त करेंगे।

बसंत पंचमी 2026 का शुभ मुहूर्त

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार किसी भी पूजा के लिए शुभ मुहूर्त का विशेष महत्व होता है। वर्ष 2026 में बसंत पंचमी के दिन सरस्वती पूजा के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 7 बजकर 13 मिनट से प्रारंभ होकर दोपहर 12 बजकर 33 मिनट तक रहेगा। इस प्रकार लगभग 5 घंटे 19 मिनट का यह समय मां सरस्वती की आराधना के लिए अत्यंत फलदायी माना गया है। इस अवधि में की गई पूजा विशेष पुण्य प्रदान करती है और साधक को मानसिक शांति व एकाग्रता प्रदान करती है।

बसंत पंचमी का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व

सनातन धर्म के ग्रंथों के अनुसार बसंत पंचमी के दिन ही सृष्टिकर्ता ब्रह्मा जी के मुख से देवी सरस्वती का प्राकट्य हुआ था। उनके प्रकट होते ही संसार से अज्ञानता और अव्यवस्था का अंत हुआ और ज्ञान, संगीत तथा वाणी का प्रसार हुआ। इसी कारण इस तिथि को अत्यंत पवित्र माना गया है। बसंत पंचमी को ‘अबूझ मुहूर्त’ भी कहा जाता है, क्योंकि इस दिन किसी भी शुभ कार्य के लिए पंचांग देखने की आवश्यकता नहीं होती। विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन संस्कार जैसे कार्य इस दिन बिना किसी बाधा के किए जा सकते हैं।

विद्यार्थियों और बच्चों के लिए बसंत पंचमी का विशेष महत्व

बसंत पंचमी का दिन विद्यार्थियों के लिए अत्यंत शुभ माना गया है। इस दिन छोटे बच्चों को पहली बार अक्षर लिखवाने की परंपरा है, जिसे ‘अक्षर अभ्यास’ या ‘विद्यारंभ संस्कार’ कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन शिक्षा की शुरुआत करने से बच्चे की बुद्धि प्रखर होती है और वह जीवन में ज्ञान के मार्ग पर निरंतर आगे बढ़ता है। विद्यार्थी इस दिन अपनी पुस्तकों, वाद्य यंत्रों और लेखन सामग्री को मां सरस्वती के चरणों में रखकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

बसंत पंचमी और जीवन में सकारात्मक परिवर्तन

बसंत पंचमी केवल एक पर्व नहीं, बल्कि यह जीवन में नई शुरुआत, आशा और ऊर्जा का प्रतीक भी है। जिस प्रकार वसंत ऋतु में प्रकृति नवजीवन से भर जाती है, उसी प्रकार मां सरस्वती की कृपा से मनुष्य के जीवन में भी सकारात्मक विचारों और सद्बुद्धि का संचार होता है। इस दिन की गई सच्ची आराधना व्यक्ति को मानसिक स्थिरता, आत्मविश्वास और रचनात्मकता प्रदान करती है। यही कारण है कि बसंत पंचमी का पर्व हर वर्ग के लोगों के लिए अत्यंत प्रेरणादायक और मंगलकारी माना गया है।

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