May Sankashti Chaturthi 2025: संकष्टी चतुर्थी, भगवान गणेश को समर्पित एक अत्यंत शुभ और फलदायी तिथि है, जो हर माह कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को आती है। यह व्रत विशेष रूप से भगवान गणेश से विघ्नों के नाश और जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति के लिए रखा जाता है। ज्येष्ठ माह में आने वाली संकष्टी चतुर्थी का विशेष महत्व होता है क्योंकि यह ग्रीष्मकालीन तपस्या और आस्था की प्रबलता का प्रतीक मानी जाती है। यह पर्व श्रद्धा, विश्वास और प्रभु गणेश की कृपा प्राप्त करने का श्रेष्ठ अवसर है।

संकष्टी चतुर्थी 2025 तिथि (May Sankashti Chaturthi 2025 Date and Time)
May Sankashti Chaturthi 2025 Date : वर्ष 2025 में ज्येष्ठ महीने की संकष्टी चतुर्थी का व्रत 16 मई, शुक्रवार को मनाया जाएगा। यह व्रत भगवान श्री गणेश को समर्पित होता है और इसे हर माह कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। व्रती सूर्योदय से लेकर चंद्रदर्शन तक उपवास रखते हैं और चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण करते हैं। इस दिन गणेश जी के पूजन के साथ-साथ चंद्रमा को देखने और अर्घ्य देने की विशेष परंपरा होती है।
संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि (May Sankashti Chaturthi Puja Vidhi)
इस दिन प्रातःकाल स्नान आदि से निवृत्त होकर व्रत का संकल्प लें। घर के पूजा स्थल को स्वच्छ करके वहां भगवान गणेश की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। पूजा में दूर्वा, शुद्ध जल, फूल, अक्षत, सिंदूर, धूप, दीपक, लड्डू, और मौसमी फल चढ़ाएं। गणेश जी को मोदक या तिल के लड्डू का भोग लगाएं। “ॐ गं गणपतये नमः” मंत्र का जप करें और गणेश अथर्वशीर्ष का पाठ करना अत्यंत शुभ माना जाता है। रात्रि में चंद्रमा को दूध, जल, और अक्षत से अर्घ्य देकर व्रत संपन्न करें।
संकष्टी चतुर्थी महत्व (May Sankashti Chaturthi 2025 Mahatva)
संकष्टी चतुर्थी को ‘विघ्नहर्ता चतुर्थी’ भी कहा जाता है। इस दिन व्रत रखने से जीवन में आने वाली बाधाएं समाप्त होती हैं, विशेषकर संतान प्राप्ति, शिक्षा, विवाह, करियर व स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं में भगवान गणेश की कृपा प्राप्त होती है। ज्येष्ठ माह की संकष्टी विशेष रूप से तप और साधना का समय होता है, इसलिए इस दिन की गई पूजा एवं व्रत का फल कई गुना अधिक प्राप्त होता है।
संकष्टी चतुर्थी पौराणिक मान्यता (May Sankashti Chaturthi Katha)
मान्यता है कि एक बार देवी पार्वती ने मिट्टी से एक बालक का निर्माण कर उसे द्वार पर बैठा दिया। जब भगवान शिव आए और उन्हें प्रवेश से रोका गया, तो उन्होंने उस बालक का सिर काट दिया। बाद में पार्वती की प्रार्थना पर शिव ने हाथी का सिर लगाकर उसे पुनर्जीवित किया और उसे गणेश नाम दिया, जो सभी देवताओं में अग्रपूज्य बने। चतुर्थी तिथि पर गणेश जी को पूजने की परंपरा यहीं से प्रारंभ हुई।
ज्येष्ठ संकष्टी चतुर्थी 2025 एक ऐसा अवसर है जब श्रद्धालु गणेश जी की पूजा करके अपने जीवन की परेशानियों को दूर करने का संकल्प लेते हैं। यह व्रत न केवल आध्यात्मिक शांति देता है, बल्कि मानसिक संतुलन, सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य लाभ भी प्रदान करता है। इस विशेष दिन पर श्रद्धा और नियम से व्रत करने से भगवान गणेश शीघ्र प्रसन्न होते हैं और जीवन की सभी बाधाओं को दूर करते हैं।
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