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Rishi Panchami 2024: ऋषि पंचमी 2024 में कब है, तिथि, पूजा विधि और पौराणिक कथा

Rishi Panchami 2024: ऋषि पंचमी, हिंदू धर्म के पवित्र पर्वों में से एक है। यह दिन उन महान विभूतियों, सप्त ऋषियों के सम्मान में मनाया जाता है, जिन्होंने अपने ज्ञान और तपस्या से समाज को प्रकाशित किया। प्रति वर्ष भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाए जाने वाले इस पर्व पर श्रद्धालु ऋषियों की पूजा-अर्चना करते हैं, व्रत रखते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। आइए, इस लेख में ऋषि पंचमी 2024(Rishi Panchami 2024) की तिथि, पूजा विधि, पौराणिक कथाओं और महत्व के बारे में विस्तार से जानें

Rishi Panchami 2024

ऋषि पंचमी 2024: तिथि और शुभ मुहूर्त

2024 में ऋषि पंचमी(2024 Rishi Panchami) का पर्व रविवार, 8 सितंबर को मनाया जाएगा। पंचमी तिथि का प्रारंभ शनिवार, 7 सितंबर शाम 5:37 बजे से होगा और इसका समापन रविवार, 8 सितंबर शाम 7:58 बजे होगा। इस दौरान पूजा का शुभ मुहूर्त माना जाता है।

ऋषि पंचमी 2024 का महत्व

ऋषियों को सृष्टि के रचयिता, ज्ञान के स्रोत और वेदों के संरक्षक के रूप में माना जाता है। इन्होंने अपने तप, ज्ञान और आध्यात्मिक साधना से समाज को सत्य, धर्म और कर्म का मार्ग दिखाया। ऋषि पंचमी का मुख्य उद्देश्य इन्हीं महान विभूतियों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करना और उनके आशीर्वाद को प्राप्त करना है। इस दिन ऋषियों की पूजा अर्चना कर हम उनके मार्गदर्शन के लिए उनका धन्यवाद करते हैं। साथ ही, उनके बताए हुए मार्ग पर चलने का संकल्प लेते हैं।

ऋषि पंचमी 2024 की पूजा विधि (Rishi Panchami 2024 Puja Vidhi)

ऋषि पंचमी(Rishi Panchami) के पर्व पर श्रद्धापूर्वक पूजा-अर्चना की जाती है। आइए जानते हैं इसकी विधि के बारे में –

  1. पूजा की तैयारी: सर्वप्रथम, इस पर्व वाले दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके पश्चात् पूजा स्थल को साफ करके चौकी या आसन बिछाएं। इस चौकी पर भगवान गणेश, शिव, पार्वती और सप्त ऋषियों (कश्यप, अत्रि, भारद्वाज, विश्वामित्र, गौतम, जमदग्नि और वशिष्ठ) की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें।
  2. आवाहन और स्नान: स्थापित मूर्तियों या तस्वीरों का गंगाजल से शुद्धिकरण करें। इसके पश्चात् उनका आवाहन करके उन्हें पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और शक्कर) से स्नान कराएं।
  3. अर्चन और आरती: तत्पश्चात, ऋषियों को वस्त्र, चंदन, पुष्प, धूप और दीप अर्पित करें। इसके बाद, फल और मिठाई का भोग लगाएं। अंत में, विधिपूर्वक ऋषियों की आरती उतारें।
  4. मंत्र जाप: ऋषियों के सम्मान में “ॐ ब्रह्मर्षिभ्यः सवित्रेभ्यः च नमः” या “ॐ ऋषिभ्यो नमः” जैसे मंत्रों का जाप करें। आप चाहें तो ऋषियों के अलग-अलग मंत्रों का भी जाप कर सकते हैं।
  5. व्रत और दान: ऋषि पंचमी के दिन व्रत रखने का विधान है। इस दिन आप अन्न का त्याग कर फलाहार या दूधाहार कर सकते हैं।

ऋषि पंचमी से जुड़ी पौराणिक कथाएं (Rishi Panchami 2024 Katha in Hindi)

ऋषि पंचमी के पर्व से जुड़ी कई रोचक पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं, जिनके माध्यम से इस पर्व के महत्व को समझाया गया है। आइए, इन कथाओं को विस्तार से जानें –

1. भगवान विष्णु का वामन रूप धारण करना:

पौराणिक कथाओं के अनुसार, सतयुग में राजा बलि एक पराक्रमी और दानी राजा थे। उनके बढ़ते हुए बल और साम्राज्य से देवता भयभीत थे। देवताओं की रक्षा के लिए भगवान विष्णु ने वामन रूप धारण किया। ऋषि पंचमी के दिन ही भगवान वामन ने राजा बलि से तीन पग भूमि दान में मांगी थी। राजा बलि ने सहर्ष दान का वचन दिया। वामन रूप धारण किए भगवान विष्णु ने अपने पहले दो पदों में स्वर्ग और पृथ्वी को नाप लिया। तीसरे पग रखने के लिए जब कोई स्थान नहीं बचा, तो राजा बलि ने अपना सिर आगे कर दिया। इस प्रकार, भगवान विष्णु ने राजा बलि को पाताल लोक भेज दिया और देवताओं का राज्य पुनः प्राप्त कर लिया।

2. भगवान परशुराम का क्षत्रियों का संहार:

एक अन्य कथा के अनुसार, भगवान परशुराम, भगवान विष्णु के छठे अवतार माने जाते हैं। इनका जन्म पृथ्वी पर क्षत्रियों के अत्याचार को समाप्त करने के लिए हुआ था। ऋषि पंचमी के दिन ही भगवान परशुराम ने पृथ्वी पर 21 बार क्षत्रियों का संहार किया था। उनका उद्देश्य पृथ्वी को भय और अत्याचार से मुक्त करना था।

3. महर्षि वेदव्यास द्वारा महाभारत का रचना प्रारंभ:

ऋषि पंचमी के दिन ही महर्षि वेदव्यास ने महाभारत ग्रंथ की रचना शुरू की थी। यह ग्रंथ हिंदू धर्म का एक महानतम ग्रंथ माना जाता है, जिसमें धर्म, कर्म, युद्ध, प्रेम, त्याग आदि विषयों का विस्तृत वर्णन मिलता है। ऋषि पंचमी के दिन महाभारत रचना का प्रारंभ यह दर्शाता है कि ज्ञान और सत्य का प्रसार कितना महत्वपूर्ण है।

ऋषि पंचमी 2024 के उपाय (Rishi Panchami 2024 ke Upyay)

ऋषि पंचमी(Rishi Panchami) के दिन कुछ विशेष उपाय किए जा सकते हैं, जिनके द्वारा जीवन में सकारात्मक बदलाव लाए जा सकते हैं। ये उपाय इस प्रकार हैं –

  • गायत्री मंत्र का जाप: ऋषि पंचमी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर गायत्री मंत्र का जप करने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और बुद्धि का विकास होता है।
  • पीपल के पेड़ की पूजा: पीपल का पेड़ सभी पेड़ों में सबसे पवित्र माना जाता है। ऋषि पंचमी के दिन पीपल के पेड़ की पूजा करने और उसकी जड़ में जल चढ़ाने से सौभाग्य और दीर्घायु प्राप्त होती है।
  • ब्राह्मणों को भोजन कराना: ब्राह्मणों को विद्या और सदाचार का प्रतीक माना जाता है। ऋषि पंचमी के दिन ब्राह्मणों को भोजन कराने और दान देने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

उपसंहार

ऋषि पंचमी का पर्व न केवल ऋषियों के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने का अवसर है, बल्कि यह ज्ञान, विद्या और सदाचार के मार्ग पर चलने की प्रेरणा भी देता है। इस दिन व्रत रखकर, पूजा-अर्चना करके और दान-पुण्य करके हम अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं। साथ ही, आने वाली पीढ़ी को भी ऋषियों के आदर्शों को अपनाने के लिए प्रेरित कर सकते हैं।

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