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Mahashivratri 2025:महाशिवरात्रि में 4 प्रहर की पूजा का क्या महत्व होता है?जाने 4 प्रहर की पूजा का समय और पूजा विधि

महाशिवरात्रि का पावन पर्व 26 फरवरी, बुधवार को मनाया जाएगा। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। महाशिवरात्रि पर रात्रि पूजन का अत्यधिक महत्व होता है, इसलिए इस दिन शिव भक्त चार प्रहरों में रात्रि पूजन करते हैं। आइए जानते हैं चार प्रहर की पूजा का शुभ मुहूर्त और इसका महत्व।

महाशिवरात्रि
Mahashivratri 2025

फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है, और इस वर्ष यह शुभ तिथि 26 फरवरी, बुधवार को पड़ रही है। इस दिन श्रद्धालु भक्त पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ व्रत रखते हैं और भगवान शिव एवं माता पार्वती की विधिपूर्वक पूजा करते हैं।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन ही भगवान शिव अपने निराकार स्वरूप में प्रकट हुए थे। इसके अलावा, इसी दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह भी संपन्न हुआ था। महाशिवरात्रि पर रात्रि पूजन का विशेष महत्व होता है, और इस दिन शिवलिंग की पूजा प्रदोष काल, निशीथ काल एवं चारों प्रहरों में की जाती है।

आइए जानते हैं महाशिवरात्रि पर चार प्रहर की पूजा का महत्व और इसका शुभ मुहूर्त।

महाशिवरात्रि 2025 तिथि और पूजा का शुभ मुहूर्त (Mahashivratri 2025 Date and Time)

महाशिवरात्रि का पर्व इस वर्ष 26 फरवरी, बुधवार को मनाया जाएगा। इस दिन भक्तगण व्रत रखते हैं और भगवान शिव की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करते हैं। आइए जानते हैं महाशिवरात्रि की तिथि, पूजा के मुहूर्त और चार प्रहर की पूजा का समय।

चतुर्दशी तिथि और पूजा मुहूर्त (Mahashivratri 2025 Chaturdashi Tithi)

  • चतुर्दशी तिथि का आरंभ – 26 फरवरी, सुबह 11:11 बजे
  • चतुर्दशी तिथि का समापन – 27 फरवरी, सुबह 8:57 बजे
  • निशीथ काल पूजा मुहूर्त – 26 फरवरी, रात 12:08 से 12:58 बजे तक (50 मिनट)
  • महाशिवरात्रि पारण मुहूर्त – 27 फरवरी, सुबह 6:49 से 8:57 बजे तक

चार प्रहर की पूजा का समय (Mahashivratri 2025 4 Prahar Puja Muhurat)

प्रथम प्रहर – 26 फरवरी, शाम 6:19 से रात 9:26 बजे तक
द्वितीय प्रहर – 26 फरवरी, रात 9:26 से 27 फरवरी, मध्यरात्रि 12:34 बजे तक
तृतीय प्रहर – 27 फरवरी, मध्यरात्रि 12:34 से 3:41 बजे तक
चतुर्थ प्रहर – 27 फरवरी, सुबह 3:41 से 6:48 बजे तक

इस विशेष दिन पर भगवान शिव की आराधना, रात्रि जागरण और शिवलिंग पर अभिषेक करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।

महाशिवरात्रि की चार प्रहर पूजा विधि (Mahashivratri 2025 4 Prahar Puja Vidhi)

महाशिवरात्रि के दिन शिव भक्त रात्रि के चारों प्रहरों में भगवान शिव की पूजा एवं रात्रि जागरण करते हैं। प्रत्येक प्रहर में भगवान शिव का पूजन और अभिषेक भिन्न-भिन्न विधियों से किया जाता है। यदि आप चार प्रहर की पूजा कर रहे हैं, तो निम्नलिखित विधि का पालन करें—

प्रथम प्रहर – भगवान शिव का अभिषेक शुद्ध जल की धारा से करें।
द्वितीय प्रहर – शिवलिंग का अभिषेक दही से करें।
तृतीय प्रहर – भगवान शिव का अभिषेक घी से करें।
चतुर्थ प्रहर – शिवलिंग पर शहद और जल की धारा से अभिषेक करें।

इस विधि से पूजा करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

चार प्रहर की पूजा का महत्व (Mahashivratri 4 Prahar Puja Mahatva)

प्रथम प्रहर – इस प्रहर में भगवान शिव की पूजा करने से उत्तम स्वास्थ्य और दीर्घायु का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
द्वितीय प्रहर – इस प्रहर में पूजन करने से धन, मान-सम्मान, शांति और सुख की वृद्धि होती है।
तृतीय प्रहर – इस समय शिव अर्चना करने से सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं और जीवन के समस्त कष्ट दूर हो जाते हैं।
चतुर्थ प्रहर – इस प्रहर की पूजा से भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष कृपा प्राप्त होती है एवं मोक्ष की प्राप्ति होती है।

चार प्रहर की पूजा करने से भक्त को जीवन में सुख, समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति का लाभ मिलता है।

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