Mahakumbh 2025: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में होने वाले महाकुंभ 2025 की तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं। महाकुंभ भारतीय संस्कृति और आस्था का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन माना जाता है, जिसका धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से विशेष महत्व है। प्रयागराज का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि यह गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदियों के संगम स्थल पर स्थित है, जिसे त्रिवेणी संगम कहा जाता है। इस संगम स्थल पर स्नान को मोक्ष प्राप्ति का साधन माना गया है, और लाखों श्रद्धालु यहां अपनी आस्था के साथ आते हैं।
महाकुंभ 2025 (Mahakumbh 2025) का आयोजन पूरे देश में चार पवित्र स्थलों पर किया जाता है, जो प्रयागराज, नासिक, उज्जैन और हरिद्वार हैं। यह आयोजन साधु-संतों और श्रद्धालुओं के लिए बेहद खास होता है, जिसका वे बेसब्री से इंतजार करते हैं। मान्यता है कि महाकुंभ में स्नान करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और आत्मा व शरीर की शुद्धि होती है। महाकुंभ में शाही स्नान की परंपरा का भी विशेष महत्व है, जिसे धार्मिक दृष्टिकोण से अत्यंत शुभ माना जाता है। शाही स्नान में साधु-संतों और अखाड़ों की विशेष भागीदारी रहती है। ऐसे में इस बार महाकुंभ 2025 का पहला शाही स्नान कब होगा, यह जानना श्रद्धालुओं के लिए महत्वपूर्ण है।
महाकुंभ में शाही स्नान की परंपरा (Mahakumbh Shahi Snan 2025)
महाकुंभ 2025 (Mahakumbh 2025) में शाही स्नान की परंपरा का विशेष महत्व है। अयोध्या के ज्योतिष पंडित कल्कि राम के अनुसार, शाही स्नान में सबसे पहले साधु-संत गंगा के पवित्र जल में स्नान करते हैं, जिसके बाद आम श्रद्धालु संगम में डुबकी लगाते हैं। मान्यता है कि महाकुंभ के दौरान ग्रह और नक्षत्रों की विशेष स्थिति के कारण संगम का जल चमत्कारी गुणों से भर जाता है। यह शुभ अवसर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि आध्यात्मिक शुद्धि के लिए भी अनमोल माना जाता है। यही कारण है कि शाही स्नान को अत्यंत पवित्र और शुभ माना गया है।
महाकुंभ 2025: पहली शाही स्नान तिथि (Mahakumbh Shahi Snan 2025 Date and Time)
हिंदू पंचांग के अनुसार, महाकुंभ 2025 का पहला शाही स्नान पौष पूर्णिमा के पावन दिन 13 जनवरी को होगा। यह शुभ तिथि सुबह 5:03 से शुरू होकर 14 जनवरी की रात 3:56 तक रहेगी। इस दौरान ब्रह्म मुहूर्त सुबह 5:27 से 6:21 तक रहेगा, जो स्नान और पूजा के लिए अत्यंत शुभ माना गया है। इसके अलावा विजय मुहूर्त दोपहर 2:15 से 2:57 तक रहेगा। इस पवित्र अवसर पर लाखों श्रद्धालु गंगा में आस्था की डुबकी लगाकर पुण्य लाभ प्राप्त करेंगे। शाही स्नान का यह दिन आध्यात्मिक और धार्मिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है।
महाकुंभ 2025 शाही स्नान के नियम (Mahakumbh 2025 Shahi Snan Rules)
शाही स्नान के दौरान श्रद्धालुओं को कुछ विशेष नियमों का पालन करना आवश्यक होता है। स्नान के समय साबुन, शैंपू या अन्य रासायनिक पदार्थों का उपयोग वर्जित माना जाता है, क्योंकि ये पवित्र जल को अशुद्ध कर सकते हैं। इसके अलावा, स्नान के बाद श्रद्धालु अपनी श्रद्धा के अनुसार दान-पुण्य कर सकते हैं। अन्न, वस्त्र, धन या अन्य उपयोगी वस्तुओं का दान करना इस दिन विशेष पुण्यदायी माना जाता है। साथ ही दीपदान का भी बड़ा महत्व होता है, जिसे करने से शुभ फल प्राप्त होते हैं। इन नियमों का पालन करते हुए श्रद्धालु शाही स्नान का आध्यात्मिक लाभ उठा सकते हैं।
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