महाभारत के प्रसिद्ध पात्र शिखंडी का जीवन स्त्री से पुरुष बनने की यात्रा का प्रतीक है, जो उन्होंने कौरवों और पांडवों के बीच धर्मयुद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए अपनाई। कथा के अनुसार, शिखंडी कुछ समय तक स्त्री के शरीर में रहे और बाद में पूरी तरह पुरुष बन गए। महाभारत में भीष्म पितामह को पराजित करना असंभव था, लेकिन शिखंडी ने वह भूमिका निभाई, जिससे पांडवों को विजय प्राप्त हुई। भीष्म पितामह ने जीवन भर स्त्रियों पर शस्त्र न उठाने का प्रण लिया था, और शिखंडी ने इस बात का लाभ उठाकर उन्हें युद्धभूमि में परास्त किया। शिखंडी का चरित्र रहस्यमय और दिलचस्प है, जो हर किसी को यह सोचने पर मजबूर करता है कि आखिर उन्हें स्त्री और पुरुष दोनों रूपों में क्यों जीना पड़ा। इस रहस्य को समझने के लिए हमें शिखंडी के पूर्व जन्म की कथा को जानना होगा।
शिखंडी पूर्व जन्म में कौन था?
कथा के अनुसार, शिखंडी का पूर्व जन्म में नाम अम्बा था। वह काशी नरेश की तीन पुत्रियों में सबसे बड़ी थीं। अम्बा ने अपने स्वयंवर में राजकुमार शाल्व को वर के रूप में चुना था। लेकिन भीष्म ने अम्बा और उनकी बहनों, अम्बिका और अम्बालिका, का बलपूर्वक हरण कर लिया और उन्हें हस्तिनापुर के राजा विचित्रवीर्य के लिए ले गए। जब अम्बा ने भीष्म को बताया कि उसने शाल्व को वर के रूप में चुना है, तो भीष्म ने उसे शाल्व के पास जाने की अनुमति दे दी। परंतु शाल्व ने यह कहकर अम्बा को अस्वीकार कर दिया कि वह अब भीष्म द्वारा जीती जा चुकी है। इस घटना से आहत और अपमानित अम्बा ने भीष्म से प्रतिशोध लेने का संकल्प लिया। उसने कठोर तपस्या की, जिसके फलस्वरूप भगवान शिव ने उसे वरदान दिया कि वह अगले जन्म में पुरुष रूप में जन्म लेकर भीष्म का वध करेगी।
अम्बा शिखंडी कैसे बनी ?
अम्बा ने काशी नरेश की राजकुमारी के रूप में अपने प्राण त्यागे और अगले जन्म में राजा द्रुपद के घर शिखंडी के रूप में पुनर्जन्म लिया। जन्म के समय वह कन्या थीं, लेकिन राजा द्रुपद को पुत्र की आवश्यकता थी, इसलिए शिखंडी को बचपन से ही पुरुष के रूप में पाला गया। इस तरह के पालन-पोषण के कारण शिखंडी अपने अस्तित्व को लेकर उलझन में पड़ गए। जब उन्हें अपनी स्त्री होने की सच्चाई का पता चला, तो उन्होंने इसे अपने परिवार की प्रतिष्ठा बचाने के लिए छिपाने का निश्चय किया।
बाद में, उन्होंने तपस्या कर एक यक्ष से सहायता मांगी। यक्ष ने अपनी पुरुषत्व शक्ति शिखंडी को उधार दे दी, जिससे शिखंडी शारीरिक रूप से पुरुष बन गए। महाभारत के युद्ध के दौरान जब शिखंडी भीष्म पितामह के सामने आए, तो भीष्म ने उन पर हथियार नहीं उठाए क्योंकि शिखंडी पूर्वजन्म में स्त्री थीं।
महाभारत युद्ध के बाद, अश्वत्थामा ने शिखंडी का वध उस समय किया जब वह गहरी नींद में थे। शिखंडी के वध के बाद यक्ष को अपनी पुरुषत्व शक्ति वापस मिल गई, जिसे उन्होंने शिखंडी को अस्थायी रूप से प्रदान किया था।
ALSO READ:-
क्यों धारण किया था हनुमान जी ने शेर का रूप? जाने इसके पीछे की पौराणिक कथा
Gita Jayanti 2024: इसी तिथि पर हुआ था 5 हजार 161 साल पहले भगवद गीता का जन्म, जाने पूजा की सही तिथि