महाभारत के पांडवों में सबसे शक्तिशाली योद्धा भीम को उनकी ताकत और वीरता के लिए जाना जाता है। हालांकि, उनकी शादी से जुड़ी कहानियों के बारे में कम ही लोग विस्तार से जानते हैं। द्रौपदी के साथ उनकी शादी की कथा तो अधिकतर लोगों को ज्ञात है, लेकिन भीम ने द्रौपदी के अलावा तीन और विवाह किए थे। उनकी अन्य पत्नियों और उनसे विवाह की कहानियां भी उतनी ही रोचक और अद्वितीय हैं। आइए, भीम की चारों शादियों के पीछे छुपी दिलचस्प कथाओं के बारे में जानते हैं।
हिडिंबा से विवाह की कथा (Hidimba Bheem Vivah Katha)
महाभारत की प्रसिद्ध कथा के अनुसार, जब पांडव लाक्षागृह की घटना के बाद अपनी जान बचाकर जंगलों में भटक रहे थे, तब उनका सामना एक राक्षस से हुआ। यह राक्षस हिडिम्ब नामक नरभक्षी था, जो पांडवों को खाने के इरादे से आया था। लेकिन उसकी बहन हिडिंबा भी वहां मौजूद थी। हिडिंबा ने जब भीम की शक्ति और पराक्रम देखा, तो वह उन पर मोहित हो गई।
हिडिम्बा ने अपने भाई हिडिम्ब को रोकने का प्रयास किया, लेकिन वह भीम से लड़ाई करने पर अड़ा रहा। भीम ने हिडिम्ब को पराजित कर मार डाला। इसके बाद, हिडिंबा ने कुंती और पांडवों से अनुरोध किया कि वह भीम से विवाह करना चाहती है। कुंती की सहमति से भीम और हिडिंबा का गंधर्व विवाह संपन्न हुआ।
हिडिंबा और भीम का एक पुत्र हुआ, जिसका नाम घटोत्कच रखा गया। घटोत्कच भी अपने पिता की तरह बलशाली और वीर था और उसने महाभारत युद्ध में पांडवों का साथ दिया।
द्रौपदी से विवाह की कथा (Draupadi Bheem Vivah Katha)
भीम की दूसरी और सबसे प्रसिद्ध पत्नी द्रौपदी थी। द्रौपदी का विवाह पांचों पांडवों से हुआ था, लेकिन उनकी कहानी भी विशेष है। जब अर्जुन ने द्रौपदी को स्वयंवर में जीता और पांडव उसे लेकर अपनी मां कुंती के पास आए, तो कुंती ने बिना देखे ही कह दिया, “जो भी लाए हो, उसे आपस में बांट लो।”
कुंती की इस आज्ञा का पालन करने के लिए द्रौपदी ने पांचों पांडवों से विवाह किया। द्रौपदी, हालांकि, अर्जुन की पत्नी मानी जाती थी, लेकिन वह सभी पांडवों की पत्नी भी थी। इस विवाह ने महाभारत की कहानी को एक नई दिशा दी और यह कथा भारतीय पौराणिक इतिहास में एक अद्वितीय उदाहरण बन गई।
बलंधरा से विवाह की कथा (Balandhra Bheem Vivah Katha)
भीम की तीसरी पत्नी बलंधरा थी, जो काशी नरेश की पुत्री थीं। बलंधरा भीम की तरह ही बलशाली और साहसी थी। उनके इसी व्यक्तित्व ने भीम को उनकी ओर आकर्षित किया। बलंधरा का स्वयंवर आयोजित किया गया, जिसमें भीम ने अपनी ताकत और कौशल से विजय प्राप्त कर उनसे विवाह किया।
काली से विवाह की कथा (Kali Bheem Vivah Katha)
भीम की चौथी पत्नी काली थी, जो मद्र देश की राजकन्या थीं। काली का वर्णन महाभारत में बहुत कम मिलता है, लेकिन जो जानकारी उपलब्ध है, उसके अनुसार वह भीम की चौथी पत्नी थीं।
काली और भीम का विवाह संभवतः राजनीतिक गठजोड़ का हिस्सा था, जो पांडवों की शक्ति और प्रभाव बढ़ाने के लिए किया गया। हालांकि, उनके बारे में ज्यादा विवरण नहीं मिलता, लेकिन यह स्पष्ट है कि वह भीम की जीवनसंगिनी के रूप में महाभारत की गाथा का हिस्सा थीं।
भीम की चारों शादियों का महत्व
भीम की चार शादियां केवल व्यक्तिगत या प्रेम संबंधी नहीं थीं, बल्कि उनके पीछे कई गहरे सांस्कृतिक और राजनीतिक कारण भी थे।
- हिडिंबा से विवाह: यह विवाह पांडवों और राक्षस कुल के बीच का एक सामंजस्य था, जिसने घटोत्कच जैसे वीर योद्धा को जन्म दिया।
- द्रौपदी से विवाह: यह विवाह पांचों पांडवों के बीच एकता का प्रतीक था और उनके संघर्षमय जीवन का आधार बना।
- बलंधरा से विवाह: यह विवाह भीम की शक्ति और शौर्य का परिचायक था, जिसमें उन्होंने स्वयंवर जीतकर बलंधरा को पत्नी बनाया।
- काली से विवाह: यह विवाह संभवतः मद्र देश के साथ पांडवों के संबंधों को मजबूत करने के लिए किया गया।
भीम की शादियां महाभारत की कथाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। उनकी पत्नियां न केवल उनके जीवन का अभिन्न हिस्सा थीं, बल्कि उनके जरिए पांडवों की कहानी और भी रोचक बन जाती है। भीम की प्रत्येक शादी में उनका पराक्रम, बल और आदर्श झलकता है।
इन चारों शादियों के पीछे छुपे सामाजिक, राजनीतिक और पारिवारिक कारण हमें यह सिखाते हैं कि हर रिश्ता केवल व्यक्तिगत नहीं होता, बल्कि उसका समाज और परिवार पर भी गहरा प्रभाव पड़ता है। भीम की शादियां हमें महाभारत के विशाल और गहन संसार की एक झलक दिखाती हैं, जो भारतीय पौराणिक साहित्य को और अधिक अद्भुत और अनमोल बनाती है।
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