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Laxmi Puja 2024 :लक्ष्मी पूजा 2024 कब है, तिथि, पूजा विधि, मंत्र और महत्व

लक्ष्मी पूजा, जिसे दीपावली के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह धन, समृद्धि और सौभाग्य की देवी मां लक्ष्मी की पूजा का पर्व है। इस पावन अवसर पर माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए भक्त विधि-विधान से उनकी पूजा-अर्चना करते हैं. आइए, इस लेख में हम लक्ष्मी पूजा 2024 की तिथि, पूजा सामग्री, विधि, मंत्र और महत्व के बारे में विस्तार से जानें।

Laxmi Puja 2024

लक्ष्मी पूजा 2024: तिथि और शुभ मुहूर्त (Laxmi Puja 2024 Date & Tithi)

भारत के विभिन्न क्षेत्रों में दिवाली को अलग-अलग तारीखों पर मनाया जाता है। कार्तिक मास की अमावस्या तिथि 31 अक्टूबर को सूर्यास्त से पहले शुरू होगी, और 1 नवंबर को एक घटी बाद समाप्त हो रही है। जिस कारण से दिवाली 31 अक्टूबर को मनाई जाएगी।

लक्ष्मी पूजा का महत्व (Laxmi Puja Significance)

लक्ष्मी पूजा का हिंदू धर्म में अत्यंत महत्व है। यह पर्व न केवल धन-धान्य की वृद्धि का प्रतीक है, बल्कि इससे जुड़ी कई अन्य महत्वपूर्ण बातें भी हैं, जिन्हें इस प्रकार समझा जा सकता है:

  • अंधकार पर प्रकाश की विजय: लक्ष्मी पूजा दीपावली के पर्व के रूप में भी मनाई जाती है। दीपावली का शाब्दिक अर्थ है “दीपों की कतार”। इस दिन घरों और मंदिरों में दीप जलाए जाते हैं, जो अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक है। यह बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश देता है।
  • समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति: मां लक्ष्मी को धन और समृद्धि की देवी माना जाता है। उनकी कृपा से भक्तों के जीवन में सुख-शांति, वैभव और ऐश्वर्य का वास होता है। लक्ष्मी पूजा के माध्यम से माता लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है।
  • नकारात्मक शक्तियों का नाश: माना जाता है कि लक्ष्मी पूजा करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और आसपास की नकारात्मक शक्तियां दूर हो जाती हैं। इससे वातावरण शुद्ध होता है और मन को शांति मिलती है।

लक्ष्मी पूजा की तैयारी (Preparation for Lakshmi Puja)

लक्ष्मी पूजा से पहले घर की साफ-सफाई और सजावट का विशेष महत्व होता है। आप इन तरीकों से लक्ष्मी पूजा की तैयारी कर सकते हैं:

  • घर की साफ-सफाई: लक्ष्मी पूजा से कुछ दिन पहले घर की अच्छी तरह से साफ-सफाई कर लें। गंदगी और अव्यवस्था को दूर करें, जिससे घर का वातावरण शुद्ध और दिव्य हो सके।
  • पूजा स्थल की तैयारी: पूजा करने के लिए एक साफ और शुभ स्थान चुनें। इस स्थान को गंगाजल से शुद्ध करें और आसन बिछाएं।
  • मूर्ति या चित्र की स्थापना: पूजा स्थल पर मां लक्ष्मी की सुंदर मूर्ति या चित्र स्थापित करें। आप चाहें तो भगवान गणेश और माता सरस्वती की भी साथ में स्थापना कर सकते हैं, क्योंकि इनका भी पूजा-अर्चना में विशेष महत्व होता है।

लक्ष्मी पूजा की सामग्री (Laxmi Puja Samagri List)

लक्ष्मी पूजा के लिए विभिन्न पूजन सामग्री की आवश्यकता होती है। आप नीचे दी गई सूची से आवश्यक सामग्री जुटा सकते हैं:

  • मूर्ति या चित्र: जैसा कि पहले बताया गया है, पूजा स्थल पर मां लक्षमी की सुंदर मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
  • पूजा की थाली: एक थाली में सभी पूजन सामग्री को सजाकर रखें।
  • दीपक और बत्ती: दीपावली के पर्व में दीपों का विशेष महत्व होता है। आप मिट्टी के दीपक या दीपामाला का इस्तेमाल कर सकते हैं। साथ ही साथ पर्याप्त मात्रा में तेल या घी और बत्ती की भी आवश्यकता होगी।
  • अक्षत: पूजा में अक्षत यानी साबुत चावल का प्रयोग किया जाता है। इसे धोकर और सुखाकर थाली में रखें।
  • कुमकुम और रोली: मां लक्ष्मी को कुमकुम और रोली का चोला चढ़ाया जाता है। आप इन्हें थाली में रख सकते हैं।
  • हल्दी: हल्दी को शुभ माना जाता है। आप चाहें तो थाली में एक छोटी गांठ बनाकर रख सकते हैं।
  • पान का पत्ता: पूजा में पान के पत्ते का भी इस्तेमाल किया जाता है। आप एक या कुछ पान के पत्ते थाली में रख सकते हैं।
  • सुपारी: सुपारी को भी शुभ माना जाता है। आप इसे थाली में रख सकते हैं।
  • लौंग और इलायची: आप अपनी इच्छानुसार थाली में लौंग और इलायची रख सकते हैं।
  • फल और मिठाई: माता लक्ष्मी को भोग लगाने के लिए ताजे फल और मिठाई का प्रसाद तैयार करें।
  • नारियल: एक ताजा नारियल को पूजा में शामिल किया जा सकता है। आप चाहें तो नारियल को कलावा (पवित्र धागा) से भी सजा सकते हैं।
  • दक्षिणा: पूजा के बाद ब्राह्मणों को दक्षिणा देने की परंपरा है। आप अपनी श्रद्धा अनुसार दक्षिणा दे सकते हैं।
  • धूप और अगरबत्ती: पूजा के दौरान शुद्ध धूप और अगरबत्ती का उपयोग किया जा सकता है, जिससे पूजा स्थल में सुगंध का वातावरण बन सके।
  • गंगाजल: पूजा की शुद्धता के लिए गंगाजल का प्रयोग किया जाता है। आप चाहें तो थोड़ा गंगाजल भी पूजा सामग्री में शामिल कर सकते हैं।

ध्यान दें: उपरोक्त सूची में बताई गई सामग्री सांकेतिक है। आप अपनी क्षेत्रीय परंपराओं और आवश्यकताओं के अनुसार पूजन सामग्री का चयन कर सकते हैं।

लक्ष्मी पूजा की विधि (Laxmi Puja Vidhi)

लक्ष्मी पूजा की विधि को विधिपूर्वक करने से माता लक्ष्मी का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। आइए, लक्ष्मी पूजा की विधि को क्रम से समझते हैं:

  1. स्नान और वस्त्र: लक्ष्मी पूजा से पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. संकल्प: पूजा स्थल पर आसन बिछाकर बैठ जाएं और सबसे पहले पूजा का संकल्प लें। संकल्प का अर्थ है कि आप मन में निश्चय करें कि आज के दिन आप लक्ष्मी पूजा विधिपूर्वक कर रहे हैं।
  3. आवाहन: इसके बाद मां लक्ष्मी का आवाहन मंत्र पढ़कर उनका पूजा स्थल पर आह्वान करें। (आगे हम आपको लक्ष्मी पूजा के महत्वपूर्ण मंत्रों की जानकारी प्रदान करेंगे)
  4. षोडशोपचार पूजन: मां लक्ष्मी का विधिवत षोडशोपचार पूजन करें। इसमें उन्हें आसन, जल, स्नान, वस्त्र, आभूषण, गंध, पुष्प, अक्षत, धूप, दीप, नैवेद्य, आचमन, स्वस्ति वाचन, और आरती आदि अर्पित करना शामिल है।
  5. नैवेद्य: माता लक्ष्मी को भोग लगाने के लिए आपने पहले से ही फल और मिठाई का प्रसाद तैयार किया होगा। अब इस प्रसाद को माता लक्ष्मी को अर्पित करें। इसके साथ ही आप उन्हें अपना पसंदीदा भोजन या मिष्ठान भी चढ़ा सकते हैं।
  6. आचमन और स्वस्ति वाचन: पूजा के मध्य में थोड़ा जल ग्रहण कर आचमन करें और फिर शुभ कार्य के लिए मंत्र पढ़कर स्वस्ति वाचन करें।
  7. आरती: आरती की थाल सजाकर मां लक्ष्मी की आरती उतारें। आरती के समय मंत्रों का जाप करना और घंटी बजाना शुभ माना जाता है। आप सामूहिक रूप से या व्यक्तिगत रूप से आरती कर सकते हैं।
  8. प्रार्थना: पूजा के अंतिम चरण में मां लक्ष्मी से सच्चे मन से प्रार्थना करें। अपने कल्याण और सुख-समृद्धि के लिए उनका आशीर्वाद मांगें।
  9. दक्षिणा: पूजा के बाद यदि आप चाहें तो ब्राह्मणों को दक्षिणा दे सकते हैं। दक्षिणा देने की परंपरा है, माना जाता है कि इससे पुण्य की प्राप्ति होती है।
  10. प्रसाद वितरण: पूजा की समाप्ति के बाद प्रसाद को ग्रहण करें और परिवार के अन्य सदस्यों और अतिथियों में वितरण करें।

लक्ष्मी पूजा के महत्वपूर्ण मंत्र (Laxmi Puja Mantra)

लक्ष्मी पूजा के दौरान विभिन्न मंत्रों का जाप किया जाता है। आप अपनी श्रद्धा अनुसार इन मंत्रों का जाप कर सकते हैं। यहां कुछ महत्वपूर्ण मंत्रों को बताया गया है:

  • आवाहन मंत्र:
ॐ श्रीं महालक्ष्मिये नमः
  • षोडशोपचार पूजन मंत्र:

पूजन की प्रत्येक विधि के लिए अलग-अलग मंत्र होते हैं। आप किसी विद्वान पंडित से सलाह लेकर विधि अनुसार मंत्रों का जाप कर सकते हैं।

  • आरती मंत्र:
ॐ जय लक्ष्मी माता, सजय ज्योतिर्मयी।
पद्मासना सुषोभिता, चतुर्भुजा च देवी।।

हस्ते कमल कलशं च, ורधनं सर्व संपदा।
वरदायिनी कृपालयना, सर्वभूतहिते रता।।

सिंहासना गरुड़स्थिता, मेघाभ श्यामल वर्णा।
क्षीर सागर मध्ये च, विष्णु पत्नी त्वं हि गौरव।।

लक्ष्मी रूपेण संस्तुष्टा, सर्वलोक सुखप्रदा।
पापं हरसि दुःखं हरसि, सर्वसिद्धि प्रदायिका।।

ॐ जय लक्ष्मी माता, सजय ज्योतिर्मयी।।

उपरोक्त मंत्रों के अलावा आप “लक्ष्मी गायत्री मंत्र” या “कनकधारा स्त्रोत” का भी पाठ कर सकते हैं।

लक्ष्मी पूजा से जुड़ी कुछ खास बातें (Some special things related to Lakshmi Puja)

लक्ष्मी पूजा से जुड़ी कुछ खास बातें भी हैं, जिन्हें जानना आपके लिए लाभदायक हो सकता है:

  • लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त: जैसा कि पहले बताया गया है, लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त ज्योतिषीय गणनाओं के आधार पर निर्धारित होता है। आप किसी पंडित से सलाह लेकर पूजा का सही समय जान सकते हैं।
  • दीप जलाने का महत्व: लक्ष्मी पूजा के दौरान दीप जलाने का विशेष महत्व होता है। आप घर के मुख्य द्वार से लेकर पूजा स्थल तक दीप जला सकते हैं। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और मां लक्ष्मी का मार्ग प्रशस्त होता है।
  • रात्रि जागरण: माना जाता है कि रात के समय माता लक्ष्मी भ्रमण करती हैं और जागरण करने वालों पर अपनी कृपा बरसाती हैं। हालांकि, अपनी शारीरिक क्षमता का ध्यान रखते हुए ही रात्रि जागरण करना चाहिए।
  • जुआ खेलने की परंपरा: कुछ क्षेत्रों में लक्ष्मी पूजा के दिन दीवाली ताश (ताश का खेल) खेलने की परंपरा है। मां लक्ष्मी को चंचल स्वभाव वाली देवी माना जाता है और ऐसा माना जाता है कि उन्हें जुआ खेलना पसंद है। हालांकि, जुआ खेलते समय सावधानी बरतें और जुए को मनोरंजन के रूप में ही लें।
  • गोवर्धन पूजा: दक्षिण भारत में लक्ष्मी पूजा के अगले दिन गोवर्धन पूजा का आयोजन किया जाता है। इस दिन भगवान कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत को उठाकर इंद्र के कोप से ब्रज वासियों की रक्षा करने की कथा का स्मरण किया जाता है। गोवर्धन पूजा में गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाकर उसकी पूजा की जाती है।
  • धनतेरस और धनिया पूजन: लक्ष्मी पूजा से दो दिन पहले धनतेरस का पर्व मनाया जाता है। इस दिन धन के देवता कुबेर की पूजा की जाती है और लोग नए बर्तन खरीदते हैं। साथ ही, लक्ष्मी पूजा से एक दिन पहले धनिया के बीजों को बोने की परंपरा भी कुछ क्षेत्रों में विद्यमान है। माना जाता है कि इससे धन-धान्य में वृद्धि होती है।
  • लक्ष्मी पूजा का पर्यावरण अनुकूल तरीका: लक्ष्मी पूजा के दौरान पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए भी पूजा की जा सकती है। आप मिट्टी के दीपकों का प्रयोग कर सकते हैं और प्लास्टिक के सामान से बचाव करें। इसके अलावा, आप जल प्रदूषण को रोकने के लिए नदियों में मूर्ति विसर्जन करने से बचें और घर पर ही विसर्जन की व्यवस्था करें।

उपसंहार

लक्ष्मी पूजा का पर्व हमें यह सीख देता है कि धन-धान्य और समृद्धि केवल धन के संचय से ही नहीं, बल्कि कठिन परिश्रम, ईमानदारी और सकारात्मक दृष्टिकोण से भी प्राप्त की जा सकती है। यह पर्व हमें अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने और ईश्वर की कृपा प्राप्त करने की प्रेरणा देता है। लक्ष्मी पूजा के माध्यम से हम अपने परिवार और समाज के साथ खुशियां बांटते हैं और एक दूसरे के प्रति प्रेम और सौहार्द का भाव बढ़ाते हैं।

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