Janmashtami 2025| कृष्ण जन्माष्टमी पर भगवान के 108 नामो का जाप करें| होगी हर मनोकामना पूरी

जन्माष्टमी के पावन पर्व पर श्रद्धालु भगवान कृष्ण की आराधना पूरे विधि-विधान के साथ करते हैं। वर्ष 2025 में यह उत्सव 15 और 16 अगस्त को मनाया जाएगा। मान्यता है कि इस दिन प्रभु के 108 नामों का जप करने से वे शीघ्र प्रसन्न होकर भक्तों की सभी इच्छाओं को पूर्ण करते हैं। श्रीकृष्ण के ये 108 पावन नाम हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखते हैं। पुराणों और शास्त्रों में वर्णित ये नाम भगवान के विभिन्न स्वरूपों, गुणों और लीलाओं का सुंदर चित्रण करते हैं। जन्माष्टमी के अवसर पर या किसी भी समय इन नामों का स्मरण करने से न केवल मन को शांति मिलती है, बल्कि जीवन में सुख, समृद्धि और प्रेम का भी वास होता है।

कृष्ण
Janmashtami 2025

श्री कृष्ण के 108 नाम अर्थ सहित

कृष्ण – सर्व आकर्षक

गोविंद – गायों के रक्षक

गोपाल – गोपालक, ग्वालों के स्वामी

माधव – लक्ष्मी के पति

कान्हा – कृष्ण का स्नेहपूर्ण नाम

केशव – सुंदर केश वाले

श्यामसुंदर – गहरे रंग के सुंदर

वसुदेव – वसुदेव के पुत्र

देवकीनंदन – देवकी के पुत्र

यशोदानंदन – यशोदा के पुत्र

नंदलाल – नंद के पुत्र

माखनचोर – माखन चुराने वाले

राधापति – राधा के स्वामी

राधारमण – राधा को प्रसन्न करने वाले

राधावल्लभ – राधा के प्रिय

परमानंद – परम सुख देने वाले

दयालु – करुणामय

विश्वनाथ – जगत के स्वामी

जगन्नाथ – समस्त संसार के नाथ

धर्मपालक – धर्म की रक्षा करने वाले

वामन – अवतार स्वरूप वामन

मुरारी – मुर नामक राक्षस का वध करने वाले

कंसनाशक – कंस का वध करने वाले

पार्थसारथी – अर्जुन के सारथी

रणछोड़ – रणभूमि छोड़ने वाले (धार्मिक कारण से)

द्वारकाधीश – द्वारका के राजा

चक्रधर – सुदर्शन चक्र धारण करने वाले

श्रीधर – लक्ष्मी के स्वामी

वासुदेव – परमात्मा

विष्णु – पालनकर्ता

हरि – पाप हरने वाले

जनार्दन – जनों के पालनहार

अच्युत – जो कभी न गिरें

अनंत – असीम

माधुर्य – मधुर स्वभाव वाले

प्रेममूर्ति – प्रेम के स्वरूप

करुणामूर्ति – दया के स्वरूप

यादवेंद्र – यादवों के राजा

गिरिधारी – गोवर्धन पर्वत उठाने वाले

गोपीनाथ – गोपियों के स्वामी

गोपिकेशव – गोपियों के प्रिय

नवनीतचोर – मक्खन चुराने वाले

मुरलीधर – बांसुरी धारण करने वाले

बनवारी – वन में रहने वाले

वनमाली – वन की माला पहनने वाले

कैलाशपति – देवों के स्वामी

दयामय – दयालु

शरणागतवत्सल – शरण में आए भक्तों के प्रिय

सत्यव्रत – सत्य में अडिग

कुमार – सदा युवा

वृंदावनविहारी – वृंदावन में खेलने वाले

पुनर्वसु – बार-बार जन्म लेने वाले

अद्भुत – आश्चर्यजनक

सर्वेश्वर – सबके ईश्वर

जगत्पति – जगत के स्वामी

योगेश्वर – योग के ईश्वर

व्रजेश – व्रज के स्वामी

व्रजनाथ – व्रज के राजा

व्रजविहारी – व्रज में विहार करने वाले

गोपवृंदपालक – ग्वाल बालों के रक्षक

अविनाशी – नाशरहित

दीनबंधु – दीनों के मित्र

गिरिराजधारी – गोवर्धन उठाने वाले

गोपप्रेमप्रिय – गोपों के प्रिय

माधवेश – माधवों के स्वामी

गोपीनाथ – गोपियों के ईश्वर

भक्तवत्सल – भक्तों के प्रिय

प्राणनाथ – प्राणों के स्वामी

सत्यप्रिय – सत्य के प्रेमी

चरणप्रिय – चरणों के प्रिय

मधुसूदन – मदु नामक असुर का वध करने वाले

दुर्गमहर – कठिनाइयों को हरने वाले

संसाररक्षक – संसार के रक्षक

श्रीकृष्ण – लक्ष्मी के साथ कृष्ण

शरण्य – शरण देने वाले

सुखद – सुख देने वाले

सत्यव्रत – सत्य में दृढ़

आनंदकंद – आनंद का स्रोत

भवभंजक – जन्म-मरण चक्र तोड़ने वाले

विष्वकर्मा – सृष्टि रचयिता

अद्वितीय – जिसका कोई दूसरा न हो

कृपालु – दयालु

पवित्रात्मा – पवित्र आत्मा

श्रीवल्लभ – लक्ष्मी के प्रिय

दयानिधान – दया का भंडार

महायोगी – महान योगी

भक्तशरणागत – भक्तों की शरण में रहने वाले

कल्याणेश्वर – कल्याण करने वाले

शांतस्वरूप – शांति के स्वरूप

मंगलदायक – मंगल देने वाले

करुणाकर – करुणा के भंडार

प्रेमेश – प्रेम के ईश्वर

सत्यरूप – सत्य के स्वरूप

धर्मराज – धर्म के राजा

योगिराज – योगियों के राजा

व्रजराज – व्रज के राजा

व्रजमोहन – व्रज को मोहित करने वाले

प्रेमकुमार – प्रेम के कुमार

सत्यनारायण – सत्य और नारायण

नित्यसुंदर – सदा सुंदर

शरणसिंधु – शरण का महासागर

भवसागरत्राता – जन्म-मरण सागर से पार कराने वाले

दुर्जय – जिन्हें जीतना असंभव

श्रीव्रजेश्वर – व्रज के ईश्वर

रासेश्वर – रासलीला के स्वामी

गोपीनाथेश्वर – गोपियों के नाथ

प्रेमवर्धन – प्रेम बढ़ाने वाले

सर्वानंद – सबको आनंद देने वाले

श्रीकृष्ण के 108 नाम लेने का महत्व

श्रीकृष्ण के 108 नामों का वर्णन कई पुराणों और ग्रंथों में मिलता है। प्रत्येक नाम भगवान के किसी विशेष स्वरूप, गुण या लीला का प्रतीक है।

  • यह नाम भगवान के अनंत स्वरूप को सीमित शब्दों में अनुभव करने का माध्यम हैं।
  • नाम-स्मरण से भक्त के भीतर भक्ति, प्रेम और श्रद्धा का संचार होता है।
  • ये नाम व्यक्ति के चित्त को एकाग्र करते हैं, जिससे साधना और ध्यान की गहराई बढ़ती है।
  • नाम जप से पाप कर्मों का क्षय होता है और जीवन में पुण्य का संचय होता है।

श्रीकृष्ण के 108 नाम लेने के लाभ

  • मन को शांति और स्थिरता प्रदान करता है।
  • नकारात्मक विचारों, चिंता और तनाव से मुक्ति मिलती है।
  • आत्मविश्वास और सकारात्मक सोच विकसित होती है।
  • भगवान की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है।
  • ध्यान और साधना में एकाग्रता बढ़ती है।
  • मोक्ष की ओर अग्रसर होने में सहायता मिलती है।
  • परिवार में सुख, शांति और आपसी प्रेम बढ़ता है।
  • आर्थिक समृद्धि और सफलता के मार्ग खुलते हैं।
  • जीवन के संकट और बाधाएं कम होती हैं।

श्रीकृष्ण के 108 नाम कब लें

श्रीकृष्ण के 108 नाम किसी भी समय लिए जा सकते हैं, लेकिन कुछ विशेष अवसरों पर इसका फल कई गुना बढ़ जाता है।

  • जन्माष्टमी: इस दिन भगवान का जन्मोत्सव होने से नाम जप का विशेष महत्व है।
  • एकादशी व्रत: विष्णु जी के दिन होने के कारण इस दिन नाम-स्मरण का पुण्य अत्यधिक है।
  • ब्रह्म मुहूर्त: सूर्योदय से पहले का समय जप के लिए सर्वोत्तम माना जाता है।
  • धार्मिक अनुष्ठानों और पूजन के समय: आरती या भोग लगाने से पहले नाम जप करना शुभ फलदायी होता है।
  • संकट या मानसिक अशांति के समय: जब भी जीवन में परेशानियां आएं, नाम जप मानसिक बल और आत्मविश्वास देता है।

श्रीकृष्ण के 108 नाम जप की विधि

  • स्नान कर शुद्ध वस्त्र पहनें।
  • पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुंह करके बैठें।
  • तुलसी माला या रुद्राक्ष माला से 108 नामों का जप करें।
  • हर नाम के साथ भगवान के स्वरूप का ध्यान करें।
  • जप के बाद आरती और प्रसाद अर्पित करें।

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