हनुमान जयंती, जिसे बजरंग जयंती और केसरी जयंती के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। भगवान हनुमान को शक्ति, भक्ति, ज्ञान और विनम्रता का प्रतीक माना जाता है। हनुमान जयंती न केवल उनके जन्म का उत्सव है, बल्कि उनके आदर्शों और जीवन मूल्यों को याद करने का अवसर भी है।

2024 में हनुमान जयंती तिथि (Hanuman Jayanti 2024 Date)
2024 में हनुमान जयंती 13 दिसंबर को पड़ रही है। तिथि के शुभ मुहूर्त और पूजा के लिए विशेष समय के बारे में जानने के लिए आप किसी पंडित या धार्मिक कैलेंडर से सलाह ले सकते हैं।
हनुमान जयंती का महत्व (Hanuman Jayanti Significance)
हनुमान जयंती का महत्व बहुआयामी है। आइए इसके कुछ प्रमुख पहलुओं को देखें:
- भगवान हनुमान की भक्ति: हनुमान जयंती भगवान हनुमान की भक्ति और उनके जीवन से प्रेरणा लेने का अवसर है। उनकी भक्ति, शक्ति, और ज्ञान का गुणगान करने का दिन है। भक्त इस दिन हनुमान जी की पूजा कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
- बुराई पर अच्छाई की विजय: हनुमान जयंती सीधे तौर पर बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। रामायण में भगवान हनुमान ने भगवान राम की तरफ से रावण के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। रावण का वध असत्य और अधर्म पर सत्य और धर्म की विजय का प्रतीक है। हनुमान जयंती इसी विजय का उत्सव है।
- कष्टों से मुक्ति: हनुमान जी को संकटमोचन, यानी कष्टों से मुक्ति दिलाने वाला देवता माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि हनुमान जी की सच्चे मन से पूजा करने से भक्तों को कष्टों से मुक्ति मिलती है और उनकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। भक्त अपने जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करने और सकारात्मकता लाने के लिए हनुमान जयंती पर उनका आशीर्वाद लेते हैं।
हनुमान जयंती की पूजा विधि (Hanuman Jayanti Puja Vidhi)
हनुमान जयंती पर की जाने वाली पूजा विधि सरल है, लेकिन इसमें गहरी भक्ति भाव शामिल होती है। आप इस विधि का पालन कर सकते हैं:
- पूर्व तैयारियां: हनुमान जयंती के दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान कर के स्वच्छ वस्त्र पहनें। अपना पूजा स्थान साफ करें और सजाएं।
- मूर्ति स्थापना: अपने पूजा स्थान पर भगवान हनमान की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
- षोडशोपचार पूजा: षोडशोपचार पूजा विधि से भगवान हनुमान की पूजा करें। इसमें उन्हें स्नान कराना, वस्त्र और आभूषण अर्पित करना, और लगाना, धूप और दीप जलाना, पुष्प अर्पित करना, और भोग लगाना शामिल है।
- मंत्र जाप और आरती: बजरंग बाण या हनुमान चालीसा का पाठ करें। इसके बाद हनुमान जी की आरती गाएं। आप “ॐ श्री हनुमते नमः” मंत्र का भी जाप कर सकते हैं।
हनुमान जयंती से जुड़ी खास परंपराएं (Special Traditions Associated with Hanuman Jayanti)
हनुमान जयंती सिर्फ पूजा-पाठ तक ही सीमित नहीं है। इस पर्व से जुड़ी कई खास परंपराएं हैं जो भारत के विभिन्न क्षेत्रों में मनाई जाती हैं। आइए उन पर एक नजर डालते हैं:
- व्रत: हनुमान जयंती के दिन कई लोग व्रत रखते हैं। यह व्रत सूर्योदय से लेकर अगले दिन सूर्योदय तक रखा जाता है। व्रत के दौरान सात्विक भोजन ग्रहण किया जाता है और शाम को भगवान हनुमान की पूजा के बाद फलाहार किया जाता है।
- हनुमान जी की मूर्ति का स्नान: कुछ स्थानों में भक्त हनुमान जयंती के दिन नदियों या सरोवरों में ले जाकर हनुमान जी की मूर्ति का स्नान कराते हैं। यह भगवान हनुमान को श्रद्धांजलि देने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने का एक अनूठा तरीका है।
- हनुमान जयंती उत्सव: कई शहरों और गांवों में हनुमान जयंती के दिन धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इन उत्सवों में भजन, कीर्तन, हनुमान चालीसा का पाठ और रामलीला का मंचन होता है। ये उत्सव समुदाय के लोगों को एकजुट होने और हनुमान जी के प्रति अपनी आस्था व्यक्त करने का अवसर प्रदान करते हैं।
- लंगूरों को प्रसाद: हनुमान जी का वानर रूप काफी प्रसिद्ध है। इसलिए कई जगहों पर हनुमान जयंती के दिन लंगूरों को मीठे पदार्थ और फल जैसे प्रसाद चढ़ाए जाते हैं। यह माना जाता है कि इससे हनुमान जी प्रसन्न होते हैं।
- हनुमान वंदना: हनुमान जयंती के अवसर पर कई कवियों और लेखकों ने भगवान हनुमान की वंदना में भजन और स्तुतियां लिखी हैं। इन भजनों और स्तुतियों का पाठ या श्रवण कर भक्त हनुमान जी के प्रति अपनी भक्तिभाव प्रकट करते हैं।
हनुमान जयंती की कथा (Hanuman Jayanti Katha)
हनुमान जयंती हिन्दू धर्म में भगवान हनुमान के जन्म दिवस के रूप में मनाई जाती है। यह पर्व चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि को बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। भगवान हनुमान, जिन्हें पवनपुत्र, अंजनीपुत्र, और केसरीनंदन के नाम से भी जाना जाता है, को शिव के ग्यारहवें रुद्रावतार के रूप में पूजा जाता है। हनुमान जी के जन्म की कथा अत्यंत रोचक और प्रेरणादायक है।
हनुमान जी का जन्म वानरराज केसरी और माता अंजनी के घर में हुआ था। माता अंजनी एक अप्सरा थीं जो श्राप के कारण वानरी रूप में धरती पर जन्मी थीं। उनके श्राप के निवारण के लिए उन्हें शिव जी की कठोर तपस्या करनी थी। माता अंजनी की तपस्या से प्रसन्न होकर शिव जी ने उन्हें वरदान दिया कि वे उनके गर्भ से जन्म लेंगे।
हनुमान जयंती सिर्फ एक धार्मिक उत्सव नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा अवसर है जहां हम हनुमान जी के जीवन और आदर्शों से प्रेरणा ले सकते हैं। उनकी अटूट भक्ति, शक्ति, बुद्धि, सेवाभाव और विनम्रता ऐसे गुण हैं जिन्हें हम अपने जीवन में अपनाकर सफलता और खुशी प्राप्त कर सकते हैं। हनुमान जयंती हमें यह भी याद दिलाती है कि धर्म, जाति और राष्ट्रीयता की सीमाओं से परे सच्ची भक्ति और आदर्शों का महत्व है।
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