Last Updated: 11 April 2025
Hanuman Jayanti 2025: हनुमान जी को उनकी अतुलनीय शक्तियों और दिव्यता के लिए जाना जाता है, जिनमें अष्ट सिद्धियाँ और नव निधियाँ विशेष रूप से महत्वपूर्ण मानी जाती हैं। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, जब जीवन में संकट आता है और समस्याओं से निकलने का मार्ग दिखाई नहीं देता, तब एक नाम है जो हिम्मत और उम्मीद देता है—वह है हनुमान जी का नाम।

भगवान हनुमान को कई उपनामों से पुकारा जाता है—संकटमोचन, बजरंगबली, अंजनी सुत और भक्ति तथा बल के प्रतीक। उनका जन्मोत्सव हनुमान जयंती के रूप में पूरे भारत में बड़े श्रद्धा भाव से मनाया जाता है।
ऐसा माना जाता है कि माता सीता ने उन्हें अष्ट सिद्धियाँ और नव निधियाँ प्रदान की थीं, जो उन्हें विशेष रूप से दिव्य बनाती हैं। ये शक्तियाँ न केवल उन्हें अद्भुत क्षमताओं से युक्त बनाती हैं, बल्कि उनके भक्तों के लिए भी शक्ति, विश्वास और सफलता का आधार बनती हैं। हनुमान जी न सिर्फ श्रीराम के परम भक्त हैं, बल्कि ब्रह्मांडीय ऊर्जा के धारक भी हैं, जो हर युग में अपने भक्तों की रक्षा करते हैं।
हनुमान जी को प्राप्त दिव्य शक्तियाँ: अष्ट सिद्धियाँ और नव निधियाँ
भगवान हनुमान को प्राप्त अष्ट सिद्धियाँ योगबल से अर्जित विशेष आध्यात्मिक शक्तियाँ थीं, जबकि नव निधियाँ समृद्धि, वैभव और संपन्नता की प्रतीक मानी जाती हैं। हनुमान जयंती के पावन पर्व पर, आइए जानें इन दोनों दिव्य शक्तियों का रहस्य और उनका आध्यात्मिक महत्व।
पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान हनुमान को ये दिव्य वरदान माता सीता से उस समय प्राप्त हुआ था जब उन्होंने लंका में सीता माता को ढूंढ़ निकाला था और श्रीराम का संदेश उन्हें देने का आश्वासन दिया था। माता सीता उनके समर्पण और निष्ठा से प्रसन्न होकर उन्हें यह दिव्य आशीर्वाद प्रदान किया।

हनुमान चालीसा में शक्तियों का उल्लेख
हनुमान जी की इन शक्तियों का सुंदर वर्णन हनुमान चालीसा में भी मिलता है। प्रसिद्ध चौपाई —
‘अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता, अस बर दीन्ह जानकी माता’ — यह स्पष्ट रूप से बताती है कि माता सीता ने उन्हें ये अद्वितीय वरदान प्रदान किया था।
इन शक्तियों का तात्पर्य न केवल आध्यात्मिक सिद्धि से है, बल्कि जीवन में आने वाले हर प्रकार के संकट से उबरने की क्षमता भी इनमें निहित है। अष्ट सिद्धियाँ आत्मबल, चमत्कारिक क्षमताओं और योग की उच्च अवस्था को दर्शाती हैं, वहीं नव निधियाँ भौतिक और मानसिक समृद्धि का प्रतीक हैं।
भगवान हनुमान को प्राप्त अष्ट सिद्धियाँ उन्हें अद्भुत आध्यात्मिक शक्तियों से सम्पन्न बनाती हैं। ये शक्तियाँ न केवल उन्हें भौतिक और आध्यात्मिक जगत में अद्वितीय बनाती हैं, बल्कि उनके भक्तों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत हैं। इन सिद्धियों के माध्यम से हनुमान जी को शरीर की आकृति बदलने, इच्छानुसार गति प्राप्त करने, ज्ञान अर्जन करने तथा भौतिक सीमाओं को पार करने जैसी असाधारण क्षमताएँ प्राप्त थीं।
वहीं नव निधियाँ ऐश्वर्य, वैभव और समृद्ध जीवन की प्रतीक मानी जाती हैं। हनुमान चालीसा की प्रसिद्ध चौपाई –
“अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता, अस बर दीन्ह जानकी माता” – से यह स्पष्ट होता है कि वे केवल शक्ति और भक्ति के स्वरूप ही नहीं, बल्कि समस्त वैभव और समृद्धि के भी दाता हैं।
अष्ट सिद्धियाँ: आठ दिव्य शक्तियाँ
1. अणिमा – यह शक्ति शरीर को अति सूक्ष्म करने की क्षमता देती है, जिससे साधक अदृश्य हो सकता है। हनुमान जी इस सिद्धि से अपने आकार को इतना छोटा कर सकते थे कि वे किसी की नजर में न आएं।
2. महिमा – इस सिद्धि से वे अपने शरीर को विशाल रूप में परिवर्तित कर सकते थे। लंका दहन के समय उनका यह रूप विशेष रूप से देखा गया।
3. गरिमा – इससे शरीर को इतना भारी बनाया जा सकता है कि कोई उसे हिला भी न सके। हनुमान जी को यह शक्ति प्राप्त थी, जिससे वे अडिग और अचल बन सकते थे।
4. लघिमा – इस सिद्धि के प्रभाव से वे अत्यंत हल्के हो जाते थे और वायु के समान गति से आकाश में उड़ सकते थे।
5. प्राप्ति – इस सिद्धि द्वारा वे किसी भी वस्तु या स्थान को शीघ्रता से प्राप्त कर सकते थे। स्थान, समय और दूरी उनके लिए बाधा नहीं बनती थी।
6. प्राकाम्य – इससे वे पंचमहाभूतों जैसे जल, अग्नि, वायु आदि पर नियंत्रण प्राप्त कर सकते थे। यह शक्ति उन्हें प्रकृति पर प्रभावी बनाती थी।
7. ईशित्व – दूसरों पर प्रभुत्व स्थापित करने की क्षमता। इस सिद्धि से वे किसी भी परिस्थिति को अपने अनुकूल बना सकते थे।
8. वशित्व – मन, इंद्रियों और स्वभाव को नियंत्रित करने की क्षमता। यह सिद्धि उन्हें आत्मसंयमी और इच्छाशक्ति में सर्वोच्च बनाती थी।
हनुमान जी की नौ निधियाँ: समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति का प्रतीक
भगवान हनुमान को केवल बल, बुद्धि और भक्ति के अवतार के रूप में नहीं, बल्कि नौ निधियों के अधिपति के रूप में भी पूजा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, उन्हें यह दिव्य निधियाँ माता सीता के आशीर्वाद से प्राप्त हुई थीं। ‘निधि’ शब्द का अर्थ केवल भौतिक धन नहीं है, बल्कि यह उन शक्तियों और ऊर्जा का संकेत है जो जीवन को हर स्तर पर समृद्ध बनाती हैं – चाहे वह मानसिक संतुलन हो, आध्यात्मिक उन्नति या आत्मविश्वास।
श्री हनुमान जी को प्राप्त नौ निधियों के नाम इस प्रकार हैं:
पद्म, महापद्म, शंख, मकर, कच्छप, मुकुंद, नंद, नील, और खर्जूरवा।
इनमें प्रत्येक निधि एक विशेष प्रकार की ऊर्जा और समृद्धि का प्रतिनिधित्व करती है। ये केवल धन प्राप्ति के साधन नहीं हैं, बल्कि जीवन को संतुलित, उन्नत और शक्तिशाली बनाने में सहायक मानी जाती हैं।
जब संकट मोचन हनुमान किसी भक्त पर कृपा करते हैं, तो उसके जीवन के तीनों क्षेत्रों—भौतिक, मानसिक और आत्मिक—में आश्चर्यजनक रूप से प्रगति और संतुलन आता है। यह सिद्ध करता है कि यदि कोई भक्त सच्चे मन, श्रद्धा और निष्ठा से हनुमान जी का स्मरण करे, तो उसके जीवन से हर प्रकार की कमी स्वतः समाप्त हो जाती है।
हनुमान जी की नौ निधियाँ यह संदेश देती हैं कि भक्ति और सेवा से जीवन में न केवल ऐश्वर्य आता है, बल्कि शांति और आत्मबल भी प्राप्त होता है।
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