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Bhaum Pradosh 2025 Vrat,Katha,Muhurat:भौम प्रदोष व्रत महाशिवरात्रि से एक दिन पहले रखा जाएगा, जाने शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और व्रत कथा

जब प्रदोष व्रत मंगलवार को पड़ता है, तो इसे मंगल प्रदोष व्रत या भौम प्रदोष व्रत कहा जाता है। इस वर्ष भौम प्रदोष व्रत 25 फरवरी को रखा जाएगा। इस दिन श्रद्धालु भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा विधिपूर्वक करते हैं। मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से कर्ज से मुक्ति मिलती है, आर्थिक स्थिति में सुधार होता है और स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां दूर होती हैं। विशेष रूप से प्रदोष काल में भगवान शिव की आराधना से शुभ फल की प्राप्ति होती है। 24 फरवरी को भी यह व्रत रखा जाएगा, अतः इसकी पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और व्रत कथा अवश्य जाननी चाहिए।

भौम
Bhaum Pradosh 2025 Vrat

भौम प्रदोष व्रत 2025 का शुभ मुहूर्त (Bhaum Pradosh Vrat 2025 Shubh Muhurat)

भौम प्रदोष व्रत की पूजा का शुभ समय 25 फरवरी 2025 को शाम 6:18 बजे से रात 8:49 बजे तक रहेगा। इस अवधि में विधिपूर्वक की गई पूजा अत्यंत मंगलकारी मानी जाती है और भक्तों को विशेष फल प्रदान करती है।

प्रदोष व्रत पूजन विधि (Pradosh Vrat Puja Vidhi)

  1. प्रातः स्नान कर शुद्ध भाव से व्रत का संकल्प लें।
  2. भगवान शिव एवं माता पार्वती की विधिपूर्वक पूजा करें।
  3. शिवलिंग पर भांग, बेलपत्र, धतूरा आदि चढ़ाने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
  4. गंगाजल से भगवान शिव का अभिषेक करें।
  5. शिव मंत्रों का जाप कर भगवान को चंदन अर्पित करें।
  6. श्रद्धा भाव से शिव आरती करें और भोग अर्पित करें।
  7. इस दिन प्रदोष व्रत की कथा सुनना अत्यंत शुभ माना जाता है।

भौम प्रदोष व्रत कथा (Bhaum Pradosh Vrat Katha)

प्राचीन काल की एक कथा के अनुसार, एक गांव में तीन घनिष्ठ मित्र रहते थे—एक राजकुमार का पुत्र, दूसरा ब्राह्मण का पुत्र और तीसरा धनिक का पुत्र। इनमें से राजकुमार और ब्राह्मण के पुत्र विवाहित थे और अपनी पत्नियों के साथ सुखी जीवन बिता रहे थे, जबकि धनिक पुत्र की शादी तो हो चुकी थी, लेकिन उसकी पत्नी का गौना अभी नहीं हुआ था।

एक दिन तीनों मित्र आपस में बैठकर अपनी पत्नियों की प्रशंसा कर रहे थे। बातचीत के दौरान ब्राह्मण पुत्र ने कहा, “जिस घर में स्त्रियों का वास नहीं होता, वहां नकारात्मक शक्तियां और भूतों का डेरा हो जाता है।” यह सुनकर धनिक पुत्र ने तुरंत अपनी पत्नी को लाने का निश्चय कर लिया, हालांकि उस समय शुक्र अस्त थे, जिसके कारण विवाहिता स्त्रियों को मायके से ससुराल विदा नहीं किया जाता।

परिवार वालों के मना करने के बावजूद, धनिक पुत्र अपनी पत्नी को विदा कराकर ले जाने लगा। यात्रा के दौरान अचानक उनकी बैलगाड़ी का पहिया निकल गया, जिससे बैल की दोनों टांगें टूट गईं और पति-पत्नी को भी गंभीर चोटें आईं। फिर भी वे यात्रा जारी रखते रहे।

थोड़ी दूर जाने पर डाकुओं ने उन्हें घेर लिया और उनका सारा धन लूट लिया, फिर भी वे आगे बढ़ते रहे। जब वे अपने गांव पहुंचे, तो धनिक पुत्र को एक विषैले सांप ने डस लिया। वैद्य को बुलाया गया, जिसने बताया कि तीन दिन के भीतर उसकी मृत्यु निश्चित है।

जब यह समाचार ब्राह्मण पुत्र को मिला, तो उसने धनिक पुत्र के माता-पिता और पत्नी को प्रदोष व्रत करने की सलाह दी। साथ ही उसने धनिक पुत्र की पत्नी को मायके वापस भेजने की बात भी कही। परिवार ने श्रद्धा और नियमपूर्वक प्रदोष व्रत का पालन किया, जिसके फलस्वरूप धनिक पुत्र पूरी तरह स्वस्थ हो गया। इस तरह प्रदोष व्रत की शक्ति ने उसे मृत्यु के मुख से बचा लिया।

भौम प्रदोष व्रत का महत्व (Bhaum Pradosh Vrat Mahatva)

मान्यता है कि जो भी श्रद्धा और सच्चे मन से भौम प्रदोष व्रत का पालन करता है, उसे आर्थिक परेशानियों से राहत मिलती है। इसके साथ ही, इस व्रत का नियमित रूप से पालन करने से व्यक्ति के स्वास्थ्य में भी सुधार होता है और विभिन्न रोगों से मुक्ति प्राप्त होती है।

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