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Bhanu Saptami 2024 :भानु सप्तमी 2024 कब है, क्या है तिथि और पौराणिक कथा

भानु सप्तमी, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो सूर्य देव की उपासना के लिए समर्पित है। यह हर महीने के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाया जाता है। 2024 में, भानु सप्तमी रविवार, 11 अगस्त को पड़ रही है। इस दिन को सूर्य जयंती और रथ सप्तमी के नाम से भी जाना जाता है।

Bhanu Saptami 2024

भानु सप्तमी का महत्व (Importance of Bhanu Saptami)

भानु सप्तमी का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। सूर्य देव को ब्रह्मांड की ऊर्जा का स्रोत माना जाता है। वह जीवन, स्वास्थ्य, सफलता और समृद्धि का प्रतीक हैं। भानु सप्तमी के दिन सूर्य देव की पूजा करने से कई लाभ प्राप्त होते हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • ग्रह दोषों से मुक्ति (Freedom from Planetary Afflictions): ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, ग्रहों की दशा का हमारे जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। भानु सप्तमी के दिन सूर्य देव की आराधना से ग्रहों के दोष कम होते हैं और उनका सकारात्मक प्रभाव बढ़ता है।
  • रोगों से मुक्ति (Freedom from Diseases): सूर्य देव को आरोग्य का कारक माना जाता है। इस दिन उनकी पूजा करने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और व्यक्ति स्वस्थ रहता है।
  • सफलता और समृद्धि (Success and Prosperity): सूर्य देव सफलता और समृद्धि के प्रदाता हैं। भानु सप्तमी के दिन उनकी उपासना से करियर में उन्नति, धन लाभ और व्यापार में वृद्धि होती है।
  • आत्मविश्वास में वृद्धि (Increased Self-Confidence): सूर्य देव तेज और ऊर्जा के प्रतीक हैं। उनकी पूजा करने से आत्मविश्वास बढ़ता है और व्यक्ति अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में सक्षम होता है।
  • मनोकामना पूर्ति (Fulfillment of Desires): सच्चे मन से भगवान सूर्य की आराधना करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।

भानु सप्तमी की तिथि और शुभ मुहूर्त (Bhanu Saptami 2024 Date and Time)

भानु सप्तमी हर महीने के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाई जाती है। वर्ष 2024 में, भानु सप्तमी का पर्व रविवार, 11 अगस्त को पड़ रहा है। इस दिन के कुछ महत्वपूर्ण शुभ मुहूर्त इस प्रकार हैं:

  • सूर्योदय का समय: 06:04 AM
  • अभिजित मुहूर्त: 11:55 AM – 12:44 PM
  • प्रदोष काल: 06:45 PM – 08:27 PM

यह ध्यान रखना जरूरी है कि उपरोक्त तिथियां और समय आपके स्थान के अनुसार थोड़ा भिन्न हो सकते हैं। आप किसी ज्योतिषी या पंचांग की सहायता से अपने स्थान के लिए सटीक तिथि और समय प्राप्त कर सकते हैं।

भानु सप्तमी की पूजा विधि (Rituals for Bhanu Saptami Puja)

भानु सप्तमी के दिन सूर्य देव की पूजा करने के लिए निम्नलिखित विधि का पालन किया जा सकता है:

  1. पूर्व तैयारी (Preparation): भानु सप्तमी के दिन सूर्योदय से पहले उठें। स्नान कर के स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल को साफ करके गंगाजल से शुद्ध करें।
  2. सूर्य देव की स्थापना (Installation of Surya Dev Idol): एक चौकी पर लाल रंग का आसन बिछाएं। इस आसन पर तांबे या पीतल का कलश स्थापित करें। कलश में शुद्ध जल भरकर उस पर आम के पत्ते रखें। इसके बाद कलश के ऊपर सूर्य देव की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
  3. सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करना (Offering Arghya to Surya Dev): सूर्योदय से पहले तांबे के लोटे में जल लें। उसमें थोड़ा सा सिंदूर, कुमकुम, अक्षत और पुष्प डालें। सूर्य देव का ध्यान करते हुए “ॐ सूर्याय नमः” मंत्र का जाप करें। फिर सूर्य को पूर्व दिशा की ओर मुख करके खड़े होकर धीरे-धीरे यह जल सूर्य को अर्पित करें।
  4. षोडशोपचार पूजन (Shodashopachara Puja): सूर्य देव को जल अर्पित करने के बाद उन्हें पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य आदि सोलह उपचार अर्पित करें। पुष्प के रूप में सूर्य देव को कमल का फूल अति प्रिय होता है। आप चाहें तो उन्हें लाल रंग के अन्य फूल भी अर्पित कर सकते हैं। नैवेद्य के रूप में आप उन्हें मीठा भोजन या फल चढ़ा सकते हैं।
  5. मंत्र जाप और आरती (Chanting Mantras and Performing Aarti): सूर्य देव को उपचार अर्पित करने के बाद “ॐ ह्रां ह्रीं ह्रां सूर्याय नमः” या “ॐ आदित्याय नमः” जैसे सूर्य देव के मंत्रों का जप करें। इसके बाद सूर्य देव की आरती करें। आप किसी भी आरती का पाठ कर सकते हैं या फिर स्वयं भी सूर्य देव की स्तुति में गीत गा सकते हैं।
  6. दान का महत्व (Importance of Donation): भानु सप्तमी पर दान का विशेष महत्व है। आप इस दिन गरीबों को भोजन दान कर सकते हैं। साथ ही सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए आप गेहूं और गुड़ का दान भी कर सकते हैं।
  7. सूर्यास्त के बाद भोजन ग्रहण करना (Taking Food After Sunset): सूर्य देव की उपासना के बाद पूरे दिन उपवास रखा जा सकता है। सूर्यास्त के बाद ही भोजन ग्रहण करना चाहिए। भोजन सात्विक और शुद्ध होना चाहिए।

भानु सप्तमी से जुड़ी कथा (Story Associated with Bhanu Saptami)

भानु सप्तमी से जुड़ी एक लोक कथा है। इस कथा के अनुसार, प्राचीन काल में एक राजा था, जिसका नाम चित्ररथ था। राजा चित्ररथ को कोई संतान नहीं थी। संतान प्राप्ति की इच्छा से उसने कई यज्ञ किए और दान-पुण्य किए। लेकिन उसे कोई संतान नहीं हुई।

एक दिन राजा चित्ररथ जंगल में शिकार के लिए गया। वहां उसे एक ऋषि मिले। राजा ने ऋषि को अपने दुख का वर्णन किया। ऋषि ने राजा को बताया कि संतान प्राप्ति के लिए उसे सूर्य देव की उपासना करनी चाहिए। ऋषि ने राजा को सूर्य देव की उपासना करने की विधि भी बताई।

राजा चित्ररथ ने ऋषि के बताए अनुसार सूर्य देव की विधि-विधान से पूजा की। भानु सप्तमी के दिन उन्होंने सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए कठोर उपवास भी रखा। उनकी भक्ति से सूर्य देव प्रसन्न हुए और उन्होंने राजा चित्ररथ को पुत्र प्राप्ति का वरदान दिया। कुछ समय बाद रानी को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई।

यह कथा इस बात का प्रतीक है कि सच्चे मन से सूर्य देव की उपासना करने से सभी मनोवांछित फल प्राप्त होते हैं।

भानु सप्तमी के दिन ध्यान रखने योग्य बातें (Things to Keep in Mind on Bhanu Saptami)

  • भानु सप्तमी के दिन सूर्य देव को अर्घ्य देते समय तांबे के लोटे का उपयोग करें।
  • सूर्य देव को लाल रंग के फूल और फल अति प्रिय होते हैं। आप उन्हें इस दिन लाल रंग के फूल और फल अर्पित करें।
  • भानु सप्तमी पर सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए आप गेहूं और गुड़ का दान कर सकते हैं।

भानु सप्तमी से जुड़े वैज्ञानिक महत्व (Scientific Significance of Bhanu Saptami)

भले ही भानु सप्तमी एक धार्मिक त्योहार है, लेकिन इससे जुड़े कुछ वैज्ञानिक महत्व भी हैं। सूर्य पृथ्वी के लिए ऊर्जा का सबसे बड़ा स्रोत है। सूर्य का प्रकाश और गर्मी जीवन के लिए आवश्यक हैं। सूर्योदय के समय सूर्य का प्रकाश कम तीव्र होता है। इस समय सूर्य की किरणों को नंगी आंखों से देखना संभव होता है।

भानु सप्तमी के दिन सूर्य देव को अर्घ्य देने की परंपरा वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी फायदेमंद मानी जाती है। सूर्योदय के समय सूर्य की किरणों में विटामिन डी की मात्रा अधिक होती है। तांबे के लोटे में जल लेकर सूर्य को अर्घ्य देने से सूर्य की किरणें जल के संपर्क में आती हैं। इस प्रक्रिया में जल विद्युत विभाजन (Photoelectric Effect) के कारण सक्रिय हो जाता है। इस सक्रिय जल को पीने से शरीर को विभिन्न लाभ मिलते हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि (Increased Immunity): विटामिन डी शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करता है। भानु सप्तमी के दिन सूर्य को अर्घ्य देने से प्राप्त जल में विटामिन डी की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे शरीर को रोगों से लड़ने की शक्ति मिलती है।
  • हड्डियों का मजबूत होना (Stronger Bones): विटामिन डी कैल्शियम के अवशोषण में सहायक होता है, जो हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए आवश्यक है।
  • मानसिक स्वास्थ्य में सुधार (Improved Mental Health): विटामिन डी मस्तिष्क में सेरोटोनिन नामक हार्मोन के निर्माण में सहायता करता है। सेरोटोनिन हार्मोन मूड को अच्छा रखता है और अवसाद को कम करता है।

यह ध्यान रखना जरूरी है कि उपरोक्त जानकारी केवल सामान्य जानकारी के लिए है और वैज्ञानिक तौर पर किए गए शोधों के आधार पर ठोस निष्कर्ष निकालने के लिए और अधिक अध्ययन की आवश्यकता है।

भानु सप्तमी का समापन (Conclusion of Bhanu Saptami)

भानु सप्तमी सूर्य देव की उपासना का एक पवित्र पर्व है। इस दिन सूर्य देव की पूजा करने से ग्रह दोषों से मुक्ति, रोगों से निवारण, सफलता और समृद्धि की प्राप्ति होती है। भानु सप्तमी हमें प्रकृति के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का भी अवसर प्रदान करती है। सूर्य देव की उपासना से हमें यह सीख मिलती है कि कठिन परिश्रम और सच्ची भक्ति से कोई भी लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है।

भानु सप्तमी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर सूर्य देव की पूजा करने और उन्हें अर्घ्य देने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। यह परंपरा न केवल धार्मिक आस्था को मजबूत करती है बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी कुछ लाभ प्रदान करती है।

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