Basant Panchami 2026 Date: हिंदू पंचांग के अनुसार वर्ष 2026 में बसंत पंचमी का पावन पर्व 23 जनवरी, शुक्रवार को मनाया जाएगा। (Basant Panchami 2026 Date and Time) माघ शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि का उदय इसी दिन होने के कारण यह पर्व विशेष रूप से फलदायी माना जा रहा है। बसंत पंचमी को ऋतु परिवर्तन का भी प्रतीक माना जाता है, क्योंकि इसी समय शीत ऋतु विदा लेने लगती है और प्रकृति में नई चेतना का संचार होता है। खेतों में सरसों के पीले फूल खिल उठते हैं, वातावरण में उल्लास और उमंग का भाव दिखाई देता है।

धार्मिक दृष्टि से यह दिन ज्ञान, बुद्धि और कला की देवी मां सरस्वती को समर्पित होता है, इसलिए इसका महत्व और भी बढ़ जाता है।
बसंत पंचमी 2026 तिथि का शुभ संयोग
ऋषिकेश पंचांग के अनुसार माघ शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि की शुरुआत 22 जनवरी 2026 को दोपहर 3 बजकर 20 मिनट से होगी और इसका समापन 23 जनवरी को दोपहर 2 बजकर 20 मिनट पर होगा। शास्त्रों में उदयातिथि को मान्यता दी गई है, इसलिए पंचमी तिथि का पर्व 23 जनवरी को ही मनाया जाना श्रेष्ठ माना गया है। इस तिथि पर किए गए धार्मिक कार्य, पूजा-पाठ और साधना विशेष पुण्य फल प्रदान करते हैं। पंचमी तिथि का यह शुभ संयोग विद्यार्थियों, कलाकारों और विद्या साधकों के लिए अत्यंत लाभकारी माना जा रहा है।
मां सरस्वती की कृपा का पर्व
बसंत पंचमी को ज्ञान, विवेक, वाणी और संगीत की अधिष्ठात्री देवी मां सरस्वती की आराधना का विशेष दिन माना जाता है। मान्यता है कि जिन भक्तों पर मां सरस्वती की कृपा हो जाती है, उनके जीवन से अज्ञान का अंधकार दूर हो जाता है और ज्ञान का प्रकाश फैलने लगता है। विद्यार्थियों के लिए यह दिन अत्यंत महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि इस दिन की गई पूजा से स्मरण शक्ति बढ़ती है, एकाग्रता में सुधार होता है और अध्ययन में सफलता प्राप्त होती है। इसी कारण देशभर में विद्यालयों, महाविद्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों में विशेष रूप से सरस्वती पूजा का आयोजन किया जाता है।
पूजा का धार्मिक महत्व
बसंत पंचमी की पूजा केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि आध्यात्मिक उन्नति का माध्यम मानी जाती है। इस दिन मां सरस्वती की उपासना करने से वाणी में मधुरता, विचारों में स्पष्टता और कर्मों में शुद्धता आती है। माना जाता है कि यह दिन विद्या आरंभ के लिए भी अत्यंत शुभ है। छोटे बच्चों को अक्षर ज्ञान दिलाने की परंपरा इसी दिन से जुड़ी हुई है। लेखक, कवि, संगीतकार और कलाकार भी इस दिन अपनी साधना आरंभ करते हैं, क्योंकि बसंत पंचमी को रचनात्मक ऊर्जा का पर्व माना गया है।
बसंत पंचमी की पूजा विधि
बसंत पंचमी के दिन प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण किए जाते हैं और शुद्ध मन से मां सरस्वती की पूजा की जाती है। पूजा स्थल पर देवी की प्रतिमा या चित्र स्थापित कर विधिपूर्वक आराधना की जाती है। मां को सफेद और पीले फूल अर्पित किए जाते हैं, साथ ही पुस्तकों, कलम, वाद्य यंत्रों को भी पूजा में सम्मिलित किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इससे पढ़ाई में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं और ज्ञान में निरंतर वृद्धि होती है। पूजा के बाद मां सरस्वती से विद्या, विवेक और सद्बुद्धि का आशीर्वाद मांगा जाता है।
बसंत पंचमी के दिन पीले रंग का आध्यात्मिक महत्व
बसंत पंचमी के दिन पीले और सफेद रंग का विशेष महत्व बताया गया है। पीला रंग बसंत ऋतु, ऊर्जा, प्रसन्नता और सकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है। यही कारण है कि इस दिन पीले वस्त्र पहनने, पीले पुष्प अर्पित करने और पीले रंग के पकवान बनाने की परंपरा है। धार्मिक मान्यता के अनुसार पीला रंग मन को प्रसन्न रखता है और आत्मविश्वास को बढ़ाता है। सफेद रंग शुद्धता, ज्ञान और शांति का प्रतीक है, इसलिए मां सरस्वती को सफेद वस्त्रों में दर्शाया जाता है।
बसंत पंचमी के दिन अबूझ मुहूर्त का महत्व
बसंत पंचमी को अबूझ मुहूर्त माना गया है, अर्थात इस दिन किसी भी शुभ कार्य के लिए अलग से पंचांग देखने की आवश्यकता नहीं होती। नए कार्य की शुरुआत, शिक्षा आरंभ, लेखन कार्य, संगीत और कला साधना, व्यवसाय की योजना या किसी नए संकल्प के लिए यह दिन अत्यंत शुभ माना जाता है। मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन किया गया शुभ आरंभ लंबे समय तक सफलता और समृद्धि प्रदान करता है। इसी कारण विवाह, गृह प्रवेश और अन्य मांगलिक कार्य भी कई स्थानों पर इसी दिन संपन्न किए जाते हैं।
बसंत पंचमी केवल एक पर्व नहीं, बल्कि जीवन में नई ऊर्जा और नई सोच का संदेश लेकर आती है। यह दिन हमें ज्ञान के मार्ग पर चलने, अज्ञान को त्यागने और सकारात्मकता को अपनाने की प्रेरणा देता है। प्रकृति में खिलते फूल, वातावरण में बहती सुगंध और मन में उमड़ता उत्साह इस पर्व को और भी विशेष बना देता है। बसंत पंचमी 2026 का यह शुभ अवसर हर व्यक्ति के जीवन में ज्ञान, सफलता और आनंद लेकर आए, यही कामना की जाती है।
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