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August Pradosh Vrat 2024 :अगस्त 2024 में शुक्ल प्रदोष व्रत कब है, जाने तिथि और पूजा लाभ

हिंदू धर्म में, भगवान शिव को शिव, महादेव, शंभू सहित अनेक नामों से जाना जाता है। वह सृष्टि के विनाशक और पुनर्निर्माणकर्ता दोनों हैं। उन्हें शांति और कल्याण के देवता के रूप में भी पूजा जाता है। भगवान शिव की कृपा पाने के लिए कई व्रत और पूजा-पाठ किए जाते हैं, जिनमें से एक महत्वपूर्ण व्रत है – शुक्ल प्रदोष व्रत।

August Pradosh Vrat 2024

शुक्ल प्रदोष व्रत क्या है?

शुक्ल प्रदोष व्रत, हिंदू कैलेंडर के अनुसार हर महीने के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस शुभ दिन पर भगवान शिव भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।

अगस्त 2024 में शुक्ल प्रदोष व्रत कब है? (August Pradosh Vrat 2024 Date)

अगस्त 2024 में, शुक्ल प्रदोष व्रत 1 अगस्त, शनिवार को पड़ रहा है। इस दिन भक्त विधि-विधान से पूजा करके भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।

शुक्ल प्रदोष व्रत की तिथि और मुहूर्त (August Pradosh Vrat 2024 Tithi)

आप अपनी पूजा की तैयारी के लिए शुभ मुहूर्त और तिथियों को नोट कर सकते हैं:

  • तिथि: शुक्ल त्रयोदशी, 1 अगस्त 2024
  • व्रत का प्रारंभ: 31 जुलाई 2024 , शाम 6:13 बजे से
  • व्रत का पारण: 2 अगस्त 2024, शाम 6:45 बजे तक
  • अभिजीत मुहूर्त: 1 अगस्त 2024 , दोपहर 12:10 बजे से 12:58 बजे तक

शुक्ल प्रदोष व्रत की विधि (August Pradosh Vrat Vidhi 2024)

शुक्ल प्रदोष व्रत को विधि-विधान से करने से शुभ फल प्राप्त होते हैं। आइए जानते हैं इस व्रत को करने की सरल विधि:

1. व्रत की पूर्व संध्या पर:

  • प्रातःकाल जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • घर की साफ-सफाई करें और पूजा स्थल को सजाएं।
  • एक चौकी या आसन पर भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
  • दीप प्रज्वलित करें और धूप जलाएं।
  • भोग के लिए ताजे फल, फूल और उनकी पसंद की मिठाई तैयार करें।

2. व्रत के दिन:

  • ब्रह्म मुहूर्त में उठें और स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  • मन में शुभ संकल्प लें कि आप आज शुक्ल प्रदोष व्रत रख रहे हैं और विधि-विधानपूर्वक पूजा करेंगे।
  • भगवान शिव और माता पार्वती का ध्यान करें और उनकी पूजा आरंभ करें।
  • शिवलिंग पर जल, दूध, दही, घी, शहद और बेलपत्र चढ़ाएं।
  • शिव चालीसा का पाठ करें और आरती गाकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।
  • पूरे दिन फलाहार ग्रहण करें। सात्विक भोजन करें और तामसिक भोजन से बचें।
  • शाम को सूर्यास्त के समय प्रदोष काल में पुनः भगवान शिव की पूजा करें।
  • रात्रि में भजन-कीर्तन करके भगवान शिव का गुणगान करें। 

शुक्ल प्रदोष व्रत का पारण और महत्व (August Pradosh Vrat 2024 Significance)

3. व्रत का पारण:

  • अगले दिन, सूर्योदय के बाद स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  • सर्वप्रथम भगवान शिव की पूजा करें और उनका आभार व्यक्त करें।
  • अपनी सामर्थ्य अनुसार ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दान दें। गरीबों की सहायता करने से भी पुण्य लाभ मिलता है।
  • गोबर से गणेश जी की छोटी प्रतिमा बनाकर विधि-विधान से उनकी पूजा करें। इसके बाद उस प्रतिमा को विसर्जित करें।
  • अंत में शुभ मुहूर्त में व्रत का पारण करें। आप चाहें तो शास्त्रों में बताए गए शुभ समय पर या शाम को प्रदोष काल समाप्त होने के बाद पारण कर सकते हैं।

शुक्ल प्रदोष व्रत के लाभ: शिव कृपा से सुखी जीवन

हिंदू धर्म में शुक्ल प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। इस व्रत को करने से भक्तों को अनेक लाभ प्राप्त होते हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख लाभ इस प्रकार हैं:

  • भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा: इस व्रत को विधि-विधान से करने वाले भक्तों पर भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष कृपा बरसती है। उनकी कृपा से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है।
  • मनोकामना पूर्ति: मान्यता है कि शुक्ल प्रदोष व्रत रखने से भगवान शिव भक्तों की मनोकामनाएं अवश्य पूरी करते हैं। सच्चे मन से की गई प्रार्थनाएं स्वीकार होती हैं।
  • पापों का नाश: यह व्रत पापों के नाश का भी माध्यम माना जाता है। इस व्रत को करने से व्यक्ति के पूर्व जन्मों के कर्मों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।
  • ग्रहों के दोषों से मुक्ति: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस व्रत को करने से ग्रहों के प्रतिकूल प्रभाव कम होते हैं। शनि और राहु के दोषों से मुक्ति मिलती है।
  • रोगों से मुक्ति: शुक्ल प्रदोष व्रत करने से व्यक्ति स्वस्थ रहता है और गंभीर रोगों से बचा रहता है।
  • वैवाहिक जीवन में सुख: अविवाहित लोगों को अच्छे जीवनसाथी की प्राप्ति होती है। विवाहित जोड़ों के जीवन में सुख-शांति बनी रहती है। संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाले दंपत्तियों को भी संतान सुख प्राप्त होता है।

शुक्ल प्रदोष व्रत से जुड़ी कथा (August Pradosh Vrat Katha 2024)

पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार देवी पार्वती भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कठोर तपस्या कर रही थीं। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिए और उनसे वर मांगने को कहा। तब माता पार्वती ने इच्छा जताई कि भगवान शिव हर महीने के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को उन पर कृपा करें। भगवान शिव ने माता पार्वती की इच्छा को स्वीकार किया। यही कारण है कि इस दिन को शुक्ल प्रदोष व्रत के रूप में मनाया जाता है।

शुक्ल प्रदोष व्रत को लेकर सावधानियां

  • उपरोक्त जानकारी सामान्य ज्ञान के लिए है। किसी भी व्रत या पूजा को करने से पहले किसी विद्वान पंडित या गुरु से सलाह अवश्य लें। वे आपकी राशि और जन्मतिथि के अनुसार पूजा विधि बता सकते हैं।
  • अपनी शारीरिक क्षमता के अनुसार ही व्रत रखें। यदि आपको कोई स्वास्थ्य समस्या है तो डॉक्टर की सलाह अवश्य लें। निर्जला व्रत रखने से पहले डॉक्टरी परामर्श जरूरी है।

शुक्ल प्रदोष व्रत से जुड़ी मान्यताएं और परंपराएं

शुक्ल प्रदोष व्रत से जुड़ी कुछ रोचक मान्यताएं और परंपराएं भी हैं, जिन्हें जानना आपके लिए लाभदायक हो सकता है:

  • शिवलिंग अभिषेक का महत्व: शुक्ल प्रदोष व्रत के दिन शिवलिंग पर जल, दूध, दही, घी, शहद और बेलपत्र आदि से अभिषेक करना बहुत शुभ माना जाता है। ऐसा करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और भक्तों को मनचाहा फल प्राप्त होता है।
  • बिल्व पत्र चढ़ाने का विज्ञान: भगवान शिव को बिल्व पत्र अति प्रिय हैं। शुक्ल प्रदोष व्रत के दिन शिवलिंग पर तीन पत्तियां चढ़ाई जाती हैं। इन तीन पत्तियों का संबंध त्रिमूर्ति (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) से माना जाता है। साथ ही, तीनों पत्तियां सत्व, रज और तम गुणों का भी प्रतिनिधित्व करती हैं।
  • धतूरे का चढ़ावा: भगवान शिव को धतूरे का चढ़ावा भी चढ़ाया जाता है। हालांकि, ध्यान रहे कि धतूरा जहरीला होता है। इसका सेवन नहीं करना चाहिए।
  • उपवास का फल: कुछ लोग निर्जला व्रत रखते हैं, तो कुछ लोग फलाहार करते हैं। अपनी शारीरिक क्षमता के अनुसार ही व्रत रखें। मान्यता है कि निर्जला व्रत रखने से विशेष फल प्राप्त होते हैं, लेकिन यह हर किसी के लिए संभव नहीं है।
  • जागरण का महत्व: रात में भजन-कीर्तन और जागरण करने से शुभ फल मिलते हैं। आप अपने आस-पड़ोस के लोगों को भी शामिल कर सकते हैं और भक्तिमय वातावरण बना सकते हैं।

शुक्ल प्रदोष व्रत से जुड़ी सामाजिक सरोकार

शुक्ल प्रदोष व्रत धार्मिक महत्व के साथ-साथ सामाजिक सरोकारों को भी बढ़ावा देता है। इस व्रत के दौरान दान करने और गरीबों की सहायता करने की परंपरा है। इससे समाज में सद्भावना का भाव बढ़ता है। साथ ही, व्रत के दौरान सात्विक भोजन ग्रहण करने और सादा जीवन अपनाने पर बल दिया जाता है, जो पर्यावरण संरक्षण में भी सहायक होता है।

निष्कर्ष

शुक्ल प्रदोष व्रत भगवान शिव की कृपा पाने और जीवन में सुख-शांति प्राप्त करने का एक सरल उपाय है। इस व्रत को पूरी श्रद्धा और भक्तिभाव से करने से निश्चित रूप से शुभ फल प्राप्त होते हैं।

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