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Anant Chaturdashi 2024 :अनंत चतुर्दशी कब है 2024, तिथि, पूजा विधि और पौराणिक कथा

हिंदू धर्म में अनंत चतुर्दशी का विशेष महत्व है. इस दिन को भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप की पूजा के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है. अनंत का अर्थ है “अंतहीन” और भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप का अर्थ है उनकी असीम शक्ति, दया और सत्ता. ऐसा माना जाता है कि इस दिन उनकी विधि-विधान से पूजा करने से भक्तों को उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है और उनके जीवन में सुख-समृद्धि आती है.

Anant Chaturdashi 2024

इसके साथ ही, अनंत चतुर्दशी का संबंध गणेश चतुर्थी से भी है. गणेश चतुर्थी के दस दिवसीय उत्सव का समापन अनंत चतुर्दशी के दिन होता है. इस दिन गणेश जी की स्थापित मूर्तियों को विसर्जित करने की परंपरा है.

अनंत चतुर्दशी 2024 की तिथि और मुहूर्त (Anant Chaturdashi 2024 Date & Time)

अनंत चतुर्दशी वर्ष 2024 में मंगलवार, 17 सितंबर को मनाई जाएगी.

  • अनंत चतुर्दशी तिथि प्रारंभ: 16 सितंबर 2024, रविवार, शाम 06:16 बजे
  • अनंत चतुर्दशी तिथि समाप्त: 17 सितंबर 2024, मंगलवार, शाम 06:13 बजे
  • अनंत पूजा का शुभ मुहूर्त: 17 सितंबर 2024, मंगलवार, सुबह 06:13 बजे से 08:26 बजे तक

अनंत चतुर्दशी की पूजा विधि (Anant Chaturdashi 2024 Puja Vidhi)

अनंत चतुर्दशी पर भगवान विष्णु की पूजा विधि सरल है. आप इन चरणों का पालन करके विधि-विधान से पूजा कर सकते हैं:

  1. पूजा की तैयारी: सबसे पहले पूजा की तैयारी करें. स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें. पूजा स्थान की साफ-सफाई करें और चौकी या आसन बिछाएं.
  2. आवाहन और स्नान: पूजा स्थान पर भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें. इसके बाद हाथ में जल लेकर उनका आवाहन करें. फिर पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और शक्कर का मिश्रण) या शुद्ध जल से उनका स्नान कराएं.
  3. अष्टगंध और वस्त्र: भगवान विष्णु को चंदन, सिंदूर, धूप, दीप आदि अर्पित करें. इसके बाद उन्हें सुंदर वस्त्र भी अर्पित करें.
  4. अनंत धागा निर्माण: अब 14 सूत्रों से मिलकर बना हुआ एक पवित्र धागा लें. इस धागे में 14 गांठें लगाएं. हर गांठ लगाते समय भगवान विष्णु के एक-एक नाम का उच्चारण करें. इन नामों में श्री महाविष्णु, श्री हरि, वासुदेव, नारायण, मधुसूदन, केशव, माधव, त्रिविक्रम, वामन, श्रीधर, हृषीकेश, पद्मनाभ और दामोदर शामिल हैं.
  5. अनंत पूजन: इस तैयार किए गए अनंत धागे को भगवान विष्णु को अर्पित करें. भगवान विष्णु को तुलसी दल, फल और मिष्ठान का भोग भी लगाएं.
  6. आरती और स्तुति: इसके बाद भगवान विष्णु की आरती करें और उनका ध्यान करते हुए भक्ति भाव से स्तुति पाठ करें. आप विष्णु सहस्रनाम का पाठ भी कर सकते हैं.
  7. अनंत धागा वितरण: पूजा के उपरांत सभी उपस्थित लोगों को यह पवित्र अनंत धागा कलाई पर बांधें. ऐसा माना जाता है कि अनंत धागा पहनने से व्यक्ति को भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है और उसके जीवन में सुख-समृद्धि आती है.
  8. व्रत का पारण: यदि आपने अनंत चतुर्दशी का व्रत रखा है, तो शाम के समय पूजा के बाद ही व्रत का पारण करें.

अनंत चतुर्दशी की पौराणिक कथा (Anant Chaturdashi Katha)

अनंत चतुर्दशी से जुड़ी एक प्रचलित कथा है, जो भगवान विष्णु और दिति के पुत्रों, दैत्यों से जुड़ी है.

कथा के अनुसार, दिति, ऋषि कश्यप की पत्नी थीं. उन्होंने भगवान विष्णु से अमरत्व का वरदान प्राप्त करना चाहा. भगवान विष्णु ने उन्हें समझाया कि अमरत्व प्राप्त करना असंभव है, लेकिन दिति नहीं मानीं. इसके बाद, दिति ने गर्भधारण किया और उन्हें 13 पुत्र हुए, जो सभी दैत्य कहलाए. ये दैत्य अत्यंत बलशाली और अभिमानी थे.

समय के साथ दैत्यों का बल इतना बढ़ गया कि उन्होंने देवताओं पर आक्रमण कर दिया और उन्हें स्वर्ग से भगा दिया. देवताओं को भगवान विष्णु की शरण में जाना पड़ा. भगवान विष्णु ने वामन रूप धारण कर दैत्यों के राजा बलि से तीन पग भूमि दान में मांगी. बलि ने सहर्ष दान दे दिया.

अपने पहले पग से भगवान विष्णु ने स्वर्ग और पृथ्वी को नाप लिया. दूसरे पग से उन्होंने वायुमंडल और आकाश को नाप लिया. दान के अनुसार बलि के पास तीसरा पग रखने के लिए कोई जगह नहीं बची.

बलि ने अपनी भक्ति का परिचय देते हुए भगवान विष्णु को अपना तीसरा पग अपने सिर पर रखने का आग्रह किया. भगवान विष्णु ने ऐसा ही किया और बलि को मोक्ष प्रदान किया. इसके बाद, भगवान विष्णु ने दैत्यों का वध कर देवताओं को स्वर्ग वापस दिलाया.

यह कथा इस बात का प्रतीक है कि भगवान विष्णु सदैव धर्म की रक्षा करते हैं और अपने भक्तों की सहायता करते हैं. अनंत चतुर्दशी इसी विजय का प्रतीक है.

अनंत चतुर्दशी की लोक परंपराएं

अनंत चतुर्दशी से जुड़ी कई लोक परंपराएं भी हैं. इनमें से कुछ प्रमुख परंपराएं इस प्रकार हैं:

  • अनंत धागा: अनंत चतुर्दशी का मुख्य प्रतीक अनंत धागा ही है. इस पवित्र धागे को कलाई पर बांधने की परंपरा है. ऐसा माना जाता है कि इससे व्यक्ति को भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है और उसके जीवन में सुख-समृद्धि आती है.
  • व्रत: कुछ लोग अनंत चतुर्दशी का व्रत भी रखते हैं. इस व्रत में पूरे दिन अन्न ग्रहण नहीं किया जाता है और शाम को पूजा के बाद ही व्रत का पारण किया जाता है.
  • गणेश विसर्जन: अनंत चतुर्दशी के दिन ही गणेश चतुर्थी के दस दिवसीय उत्सव का समापन होता है. इस दिन लोग अपने घरों में स्थापित गणेश जी की मूर्तियों को विसर्जित करने के लिए जुलूस निकालते हैं. विसर्जन के दौरान ढोल-ढमाकों की धूमधाम होती है और लोग गणपति बप्पा मोरया अगले बरस तू जल्दी आ जैसे मंत्रों का उच्चारण करते हैं.
  • अन्नकूट: अनंत चतुर्दशी के अगले दिन यानी कि प्रदोष को अन्नकूट का पर्व मनाया जाता है. इस दिन विभिन्न प्रकार के व्यंजनों का भोग भगवान विष्णु को लगाया जाता है और प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है.
  • क्षीरसागर स्नान: दक्षिण भारत में अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु के क्षीरसागर में निवास करने का स्मरण करते हुए दूध से स्नान करने की परंपरा है. इसे पालाभिषेकम भी कहा जाता है.

उपरोक्त वर्णन के अनुसार, अनंत चतुर्दशी भगवान विष्णु की पूजा, धर्म की विजय और लोक परंपराओं का एक सुंदर संगम है. इस दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करने से उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है.

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