अक्षय नवमी, जिसे सीता नवमी और आंवला नवमी के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म के पवित्र और कल्याणकारी त्योहारों में से एक है। यह दिन भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी के दिव्य वैवाहिक समारोह के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। इस वर्ष अक्षय नवमी 10 नवंबर 2024 को पड़ रही है। मान्यता है कि इस दिन किए गए सभी कार्य शुभ फलदायी होते हैं और इनका फल अक्षय अर्थात अविनाशी रहता है। आइए, इस लेख में हम अक्षय नवमी की तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, महत्व और कुछ खास बातों के बारे में विस्तार से जानें।
अक्षय नवमी 2024: तिथि और शुभ मुहूर्त (Akshaya Navami 2024 Date/ Amla Navami 2024)
अक्षय नवमी का पर्व प्रतिवर्ष भाद्रपद माह की शुक्ल नवमी तिथि को मनाया जाता है. इस वर्ष अक्षय नवमी से जुड़ी महत्वपूर्ण तिथि इस प्रकार हैं:
- अक्षय नवमी तिथि प्रारम्भ: 9 नवंबर रात 10:50
- अक्षय नवमी तिथि समाप्त: 10 नवंबर रात 09:00
अक्षय नवमी की विधि-विधान (Akshaya Navami Vidhi)
अक्षय नवमी के पावन पर्व पर भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की विधिवत पूजा का विशेष महत्व है। आइए, जानते हैं इस पूजा को करने की सरल विधि:
- प्रातः स्नान और शुद्धिकरण: अक्षय नवमी के दिन प्रातःकाल उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहन लें। इसके पश्चात पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें।
- मूर्ति या चित्र स्थापना: एक चौकी या आसन पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं। इस पर भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
- आवाहन और स्नान: स्थापित मूर्तियों का ध्यानपूर्वक आवाहन करें और उन्हें पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और शक्कर का मिश्रण) से स्नान कराएं। इसके बाद उन्हें साफ जल से स्नान कराएं।
- षोडशोपचार पूजन: भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी को वस्त्र, चंदन, पुष्प, अक्षत, सिंदूर, धूप, दीप, नैवेद्य आदि सोलह प्रकार की सामग्री अर्पित करें।
- मंत्र जाप और आरती: भगवान विष्णु के “ॐ नमो नारायणाय” और देवी लक्ष्मी के “ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः” मंत्र का जाप करें। इसके बाद विधिवत रूप से आरती उतारें।
- कथा श्रवण: अक्षय नवमी की कथा का श्रवण करें। इस कथा में भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी के विवाह का वर्णन होता है।
- दान का महत्व: अक्षय नवमी के दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व है।
अक्षय नवमी का महत्व (Akshaya Navami Significance)
अक्षय नवमी का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। आइए, इस दिन के महत्व को विस्तार से जानते हैं:
- भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी का विवाह: अक्षय नवमी के दिन भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी के विवाह का पर्व मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन इन दोनों देवी-देवताओं की पूजा करने से वैवाहिक जीवन में सुख-शांति आती है और दांपत्य जीवन मजबूत होता है। अविवाहित लोगों को भी इस दिन पूजा करने से मनचाहा जीवनसाथी मिलने का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
- अक्षय पुण्य की प्राप्ति: अक्षय नवमी को अक्षय पुण्य प्राप्ति का दिन माना जाता है। इस दिन किए गए सभी कर्म शुभ फलदायी होते हैं और इनका फल अक्षय अर्थात अविनाशी रहता है। दान-पुण्य, जप-तप, स्नान आदि धार्मिक कार्यों का फल इस दिन कई गुना बढ़ जाता है।
- आध्यात्मिक जागरण का अवसर: अक्षय नवमी आध्यात्मिक जागरण का भी एक महत्वपूर्ण अवसर है। इस दिन भगवान विष्णु की भक्ति करने से मन को शांति मिलती है और आध्यात्मिक विकास होता है। भगवान विष्णु को सत्य, धर्म और वैराग्य का स्वरूप माना जाता है, इसलिए उनकी पूजा करने से व्यक्ति सत्पथ पर चलने की प्रेरणा प्राप्त करता है।
- विद्या आरंभ का शुभ मुहूर्त: अक्षय नवमी विद्या आरंभ के लिए भी एक बहुत ही शुभ मुहूर्त माना जाता है। इस दिन बच्चे अपनी शिक्षा की शुरुआत कर सकते हैं। मान्यता है कि इस दिन विद्या आरंभ करने से बुद्धि का विकास होता है और शिक्षा के क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है।
- आंवला पूजा का विधान: अक्षय नवमी को आंवला नवमी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन आंवले का विशेष महत्व होता है। आंवले का पेड़ भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय माना जाता है। इस दिन पूजा के दौरान भगवान विष्णु को आंवले अर्पित किए जाते हैं। साथ ही, आंवले का सेवन करने से स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होता है और दीर्घायु का आशीर्वाद मिलता है।
अक्षय नवमी के कुछ खास पहलू
अक्षय नवमी से जुड़ी कुछ खास बातें और परंपराएं हैं, जिन्हें जानना रोचक होगा:
- सोने-चांदी की खरीदारी: अक्षय नवमी के दिन सोना और चांदी खरीदना बहुत शुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन किए गए धातुओं के लेन-देन से धन-धान्य में वृद्धि होती है और ये धातु लंबे समय तक टिकते हैं।
- व्रत का विधान: कुछ लोग अक्षय नवमी के दिन व्रत रखते हैं। इस व्रत को करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। व्रत रखने वाले लोग फलाहार का सेवन करते हैं।
- कन्या पूजन का महत्व: कुछ क्षेत्रों में अक्षय नवमी के दिन कन्या पूजन करने की भी परंपरा है। इसमें नौ कन्याओं को घर बुलाकर उनका पूजन किया जाता है और उन्हें भोजन कराया जाता है। ऐसा करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।
- अक्षय नवमी की कथा: अक्षय नवमी की पूजा के दौरान इसकी कथा अवश्य सुननी चाहिए। इस कथा में भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी के विवाह का वर्णन होता है। साथ ही, इसमें यह भी बताया जाता है कि किस प्रकार अक्षय नवमी के दिन किए गए कार्य अक्षय फल प्रदान करते हैं।
अक्षय नवमी का पर्व धर्म, आध्यात्मिकता और सांसारिक सुखों का संगम है। इस दिन भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि, वैवाहिक जीवन में मधुरता, आर्थिक उन्नति और आध्यात्मिक जागरण का मार्ग प्रशस्त होता है। अक्षय नवमी हमें यह संदेश देती है कि हमारे कर्मों का फल अक्षय होता है। इस दिन किए गए सत्कर्म और धार्मिक अनुष्ठानों का फल हमें जीवन भर प्राप्त होता रहता है।
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