ब्रज मण्डल का बहुलावन एक अत्यंत रमणीय और आकर्षक वन है, जिसे वृंदावन के बारह प्रमुख वनों में पंचवां स्थान प्राप्त है। यह पवित्र वन मथुरा से पश्चिम में सात मील की दूरी पर, राधाकुंड और वृंदावन के मध्य स्थित है। वर्तमान समय में इसे “वाटी” के नाम से भी जाना जाता है। आइए, इस पावन वन और इसके मंदिर के दर्शन करते हैं।
बहुलावन और भगवान श्री कृष्ण की कथा (Bahulavan Story in Hindi)
बहुलावन में स्थित मंदिर में श्री कृष्ण, एक बाघ, एक गाय, उसका बछड़ा और एक ब्राह्मण की प्रतिमाएं स्थापित हैं। पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार बहुला नामक गाय इस वन के तालाब में पानी पी रही थी, तभी एक बाघ ने उसे पकड़ लिया। अपनी बुद्धिमत्ता और करुणा का परिचय देते हुए, बहुला ने बाघ से विनती की कि उसे जाने दे ताकि वह अपने मालिक के घर जाकर अपने बछड़े को दूध पिला सके। उसने यह वादा किया कि वह वापस आकर बाघ का भोजन बन जाएगी।
बाघ के छोड़ने पर, बहुला ने घर लौटकर अपने बछड़े को जी भरकर दूध पिलाया और अपनी प्रतिज्ञा के बारे में बताया। यह सुनकर बछड़ा भी मां के साथ जाने की जिद करने लगा। ब्राह्मण ने यह जानकर गाय और बछड़े को घर पर छोड़ने का निश्चय किया और स्वयं बाघ का भोजन बनने के लिए तैयार हो गया। जब तीनों बाघ के पास पहुंचे, तो श्री कृष्ण वहां प्रकट हुए और बाघ का हृदय परिवर्तन कर दिया। उन्होंने ब्राह्मण, गाय और बछड़े को बचा लिया।
तब से बहुला नामक गाय की पूजा यहां होती है। बहुलावन के भीतर “श्री राधा कुंड” नामक प्रसिद्ध तालाब भी है, जहां हर साल बहुलाष्टमी के अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु स्नान करने के लिए आते हैं। कहा जाता है कि श्री चैतन्य महाप्रभु जब ब्रज के वनों में भ्रमण कर रहे थे, तो इस स्थान की अनुपम सुंदरता ने उन्हें मंत्रमुग्ध कर दिया था।
बहुलावन का महत्व (Bahulavan Ka Mahatva)
बहुलावन श्री कृष्ण और राधा रानी की लीलाओं के लिए प्रसिद्ध है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार राधा रानी श्री कृष्ण से नाराज़ होकर इस वन के एक कुंज में छिप गई थीं। राधा से अलग होने के कारण व्यथित श्री कृष्ण ने अपनी सखियों की सहायता से राधा रानी को ढूंढ निकाला और उनका मान शांत किया। यह वन उनकी अनमोल लीलाओं का साक्षी है।
बहुलावन में दो प्रमुख कुंड स्थित हैं—संकर्षण कुंड और राधा कुंड। संकर्षण कुंड का नाम भगवान कृष्ण के बड़े भाई बलराम या भगवान विष्णु के नाम पर रखा गया है। कहा जाता है कि इस कुंड में स्नान करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है। कुंड के पास भगवान बलराम का एक सुंदर मंदिर भी है।
इसके अतिरिक्त, बहुलावन को बहुला नामक गोपी, जो श्रीहरि की सखी थीं, के निवास स्थल के रूप में भी जाना जाता है। यह भी मान्यता है कि इस पावन वन में आने वाले साधक मृत्यु के पश्चात् अग्निलोक की प्राप्ति करते हैं। बहुलावन आध्यात्मिक और धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है।
ALSO READ:-
Mahabharat:महाभारत के बाद धृतराष्ट्र, गांधारी और कुंती की मृत्यु कैसे हुई?
Khatu Shyam Ji Katha:बर्बरीक कौन थे, क्या है बर्बरीक से खाटू श्याम बनने की कथा?