हरतालिका तीज एक प्रमुख हिन्दू पर्व है, जिसे विशेष रूप से महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सौभाग्य की कामना के लिए मनाती हैं। इस साल हरतालिका तीज का व्रत 6 सितंबर, शुक्रवार के दिन रखा जाएगा । इस दिन 16 श्रृंगार करने का विशेष महत्व होता है। श्रृंगार सिर्फ सौंदर्य प्रदर्शन का साधन नहीं, बल्कि यह भारतीय संस्कृति में एक धार्मिक और सांस्कृतिक अनुष्ठान का हिस्सा भी है। इस लेख में हम हरतालिका तीज के दिन 16 श्रृंगार के महत्व, धार्मिक पक्ष और इसे कैसे किया जाता है, इसके बारे में विस्तार से जानेंगे।
हरतालिका तीज का धार्मिक महत्व
हरतालिका तीज मुख्य रूप से शिव-पार्वती की कथा से जुड़ा है। इस दिन माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी। उनकी भक्ति और समर्पण से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें अपना जीवन साथी बनाया। इस दिन महिलाएं माता पार्वती की तरह अपने पति के दीर्घायु और सौभाग्य की कामना के लिए व्रत रखती हैं और 16 श्रृंगार करती हैं, जिसे सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है।
16 श्रृंगार की सूची और उनका महत्व
- बिंदी: माथे पर बिंदी लगाना शुभ माना जाता है। यह तीसरे नेत्र को दर्शाता है और बुद्धि को बढ़ाता है।
- सिंदूर: सुहागिन महिलाओं के लिए सिंदूर का विशेष महत्व है। यह पति की लंबी उम्र और सुखी वैवाहिक जीवन का प्रतीक है।
- काजल: आंखों में काजल लगाना बुरी नजर से बचाता है और आंखों को सुंदर बनाता है।
- मंगलसूत्र: मंगलसूत्र विवाहित महिलाओं का गहना है। यह पति-पत्नी के बीच के बंधन का प्रतीक है।
- बाजूबंद: बाजूबंद हाथों को सजाता है और शक्ति का प्रतीक है।
- चूड़ी: चूड़ियां सुहागिन महिलाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। यह खुशहाली और समृद्धि का प्रतीक है।
- नथ: नथ नाक को सजाता है और स्त्रीत्व का प्रतीक है।
- मांग टीका: मांग टीका माथे को सजाता है और सुहागिन होने का प्रतीक है।
- हाथ फूल: हाथ फूल हाथों को सजाता है और सौभाग्य का प्रतीक है।
- पायल: पायल पैरों को सजाती है और नृत्य की कला का प्रतीक है।
- बिछिया: बिछिया पैरों की उंगलियों को सजाती है और सुख-समृद्धि का प्रतीक है।
- कमरबंद: कमरबंद कमर को निखारता है और स्त्रीत्व का प्रतीक है।
- गले का हार: गले का हार गर्दन को सजाता है और सौभाग्य का प्रतीक है।
- कान के झुमके: कान के झुमके कानों को सजाते हैं और सुंदरता का प्रतीक हैं।
- बालों में फूल: बालों में फूल लगाना सौंदर्य और युवावस्था का प्रतीक है।
- इत्र: शरीर पर इत्र लगाना सुगंधित और आकर्षक बनाता है।
16 श्रृंगार का आध्यात्मिक महत्व
16 श्रृंगार का केवल सौंदर्य से ही संबंध नहीं है, बल्कि इसका गहरा आध्यात्मिक महत्व भी है। प्रत्येक श्रृंगार एक विशेष चक्र या देवी के गुण से जुड़ा हुआ है।
- बिंदी: आज्ञा चक्र से जुड़ी है, जो कि बुद्धि और अंतर्ज्ञान का केंद्र है।
- सिंदूर: ब्रह्मरंध्र से जुड़ी है, जो कि आध्यात्मिक जागरण का केंद्र है।
- काजल: भ्रूमध्य चक्र से जुड़ी है, जो कि अंतर्दृष्टि और ज्ञान का केंद्र है।
इसी तरह, प्रत्येक श्रृंगार का एक विशेष आध्यात्मिक अर्थ है। जब महिलाएं 16 श्रृंगार करती हैं, तो वे देवी के विभिन्न रूपों को अपने अंदर प्रकट करती हैं।
हरतालिका तीज पर 16 श्रृंगार करने के नियम
हरतालिका तीज पर 16 श्रृंगार करते समय कुछ नियमों का पालन किया जाता है। जैसे कि श्रृंगार करते समय महिलाएं साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखती हैं, क्योंकि शारीरिक स्वच्छता के बिना श्रृंगार का कोई महत्व नहीं होता। इसके अलावा, श्रृंगार करते समय मन में सकारात्मकता और प्रेमभाव रखना भी अनिवार्य है। हर श्रृंगार के पीछे एक विशेष भावना होती है, जो नारीत्व, सौभाग्य और पति के प्रति समर्पण को दर्शाती है।
हरतालिका तीज और 16 श्रृंगार का आध्यात्मिक महत्व
हरतालिका तीज के दिन किया जाने वाला 16 श्रृंगार सिर्फ सौंदर्य प्रदर्शन नहीं है, बल्कि यह एक आध्यात्मिक अनुष्ठान भी है। जब महिलाएं 16 श्रृंगार करती हैं, तो वे माता पार्वती की तरह दिव्य शक्ति का आह्वान करती हैं। यह श्रृंगार उन्हें मानसिक और आत्मिक शांति प्रदान करता है और वे इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा में पूरी तरह समर्पित होती हैं।
निष्कर्ष
हरतालिका तीज के दिन 16 श्रृंगार करने का अत्यधिक धार्मिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व है। यह नारी के सौंदर्य, प्रेम और समर्पण का प्रतीक होता है। इस दिन महिलाएं माता पार्वती के समान सौभाग्यशाली और सुहागन बनने की कामना करती हैं और 16 श्रृंगार के माध्यम से अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति करती हैं।
ALSO READ:-
Shiv Ji Ki Aarti : शिव जी की आरती – ओम जय शिव ओंकारा…..
Bhagavad Gita Chapter 2 Verse-Shloka 18 – गीता अध्याय 2 श्लोक 18 अर्थ सहित – अन्तवन्त इमे देहा…..
Ganesh Chaturthi 2024 :गणेश चतुर्थी 2024 कब है, पूजा विधि, महत्व और पौराणिक कथा