चातुर्मास 2025 की शुरुआत क्या आप जानते हैं भगवान विष्णु हर साल चार महीने "योग निद्रा" में रहते हैं? चातुर्मास 2025 की शुरुआत 6 जुलाई से हो रही है।

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चातुर्मास का धार्मिक महत्व चातुर्मास को तप, संयम और भक्ति का पवित्र काल माना जाता है। इस दौरान मांगलिक कार्य जैसे विवाह, मुंडन और गृह प्रवेश नहीं होते।

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चातुर्मास की पौराणिक कथा राजा बलि ने भगवान विष्णु से वरदान लिया था कि वे पाताल लोक में निवास करें। इसी कारण भगवान विष्णु आषाढ़ शुक्ल एकादशी से कार्तिक शुक्ल एकादशी तक योग निद्रा में रहते हैं।

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वामन अवतार और राजा बलि भगवान विष्णु ने वामन रूप में राजा बलि से तीन पग भूमि मांगी थी। इसके बाद बलि को पाताल लोक का राजा बनाकर खुद पाताल में निवास करने चले गए।

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देवी लक्ष्मी की युक्ति देवी लक्ष्मी गरीब स्त्री बनकर राजा बलि के पास गईं और राखी बांधी। उन्होंने भगवान विष्णु को वचन से मुक्त करने का आग्रह किया, जिसे बलि ने स्वीकार किया।

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चातुर्मास के पीछे ज्योतिषीय कारण इस दौरान सूर्य दक्षिणायन हो जाता है, जिसे शुभ कार्यों के लिए निषेध माना जाता है। यह समय तप और ध्यान के लिए आदर्श होता है।

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क्या सच में सोते हैं भगवान? भगवान विष्णु की योग निद्रा साधारण नींद नहीं होती। यह एक गहरी समाधि होती है जिसमें वे चेतन अवस्था में रहते हैं।

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चातुर्मास में क्या करें इस दौरान सात्विक आहार लें, ब्रह्मचर्य का पालन करें, प्रातः स्नान करके विष्णु मंत्रों का जाप करें और दान-पुण्य करें।

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चातुर्मास 2025 की समाप्ति चातुर्मास 2 नवंबर 2025 को तुलसी विवाह के साथ समाप्त होगा। इसी दिन से फिर शुभ कार्य शुरू हो जाएंगे।

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