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पुराणों के अनुसार कौन असुर शिवजी से ही वरदान लेकर उन्हें ही भस्म करना चाहता था?

हिंदू धर्म में भगवान शिव को भोलेनाथ कहा जाता है। वे अपने भक्तों की भक्ति से जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं और उन्हें मनचाहा वरदान दे देते हैं। लेकिन कई बार उनके इसी स्वभाव के कारण असुरों ने अनुचित वरदान प्राप्त कर, उसका दुरुपयोग किया। यह स्थिति कई बार देवताओं और स्वयं भगवान शिव के लिए भी संकट का कारण बन गई। ऐसी ही एक पौराणिक कथा है, जिसमें भगवान शिव स्वयं अपने दिए हुए वरदान के कारण परेशानी में फंस गए थे। उनकी इस समस्या का समाधान भगवान विष्णु ने एक स्त्री का रूप धारण करके किया।

भस्मासुर की कथा (Bhasmasur ki Katha)

पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार भस्मासुर नामक राक्षस ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कठोर तपस्या की। उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव प्रकट हुए और उससे वरदान मांगने को कहा। भस्मासुर ने ऐसा वरदान मांगा कि वह जिस पर भी अपना हाथ रखे, वह तुरंत भस्म हो जाए। भोलेनाथ ने उसकी भक्ति देखकर उसे यह वरदान दे दिया।

भस्मासुर इस वरदान को पाकर अत्यंत प्रसन्न हो गया। लेकिन जल्द ही उसने अपने इस वरदान का दुरुपयोग करने की ठान ली।

वरदान पाने के बाद जब भस्मासुर वहां से निकला, तो उसने माता पार्वती को देखा। उनकी अद्भुत सुंदरता को देखकर वह मोहित हो गया और उन्हें पाने की इच्छा करने लगा। जब उसे यह पता चला कि वे भगवान शिव की पत्नी हैं, तो उसने माता पार्वती को पाने के लिए भगवान शिव पर ही अपने वरदान का प्रयोग करने का निश्चय कर लिया।

भस्मासुर के इरादों को समझकर भगवान शिव उससे बचने के लिए भागने लगे। वह अपनी जान बचाने के लिए एक गुफा में छिप गए। इस दौरान भगवान विष्णु ने शिवजी की इस समस्या का समाधान करने के लिए एक चतुराई भरी युक्ति सोची।

भगवान विष्णु ने स्त्री का रूप धारण किया और भस्मासुर के सामने प्रकट हुए। स्त्री रूप में भगवान विष्णु ने अपनी अदाओं से भस्मासुर को मोहित कर लिया। वह भस्मासुर को अपने साथ नृत्य करने के लिए प्रेरित करने लगी।

भस्मासुर को किसने मारा? (Bhasmasur ko Kisne Mara)

स्त्री रूपी विष्णु भगवान ने भस्मासुर को अपने साथ नृत्य करने के लिए विवश कर दिया। नृत्य के दौरान भस्मासुर ने हर वह मुद्रा दोहराई, जो विष्णु भगवान ने की। अंत में विष्णु भगवान ने ऐसी मुद्रा बनाई, जिसमें उन्होंने अपना हाथ अपने सिर पर रखा। भस्मासुर ने भी वही किया। जैसे ही उसने अपना हाथ अपने सिर पर रखा, वह स्वयं ही भस्म हो गया।

इस प्रकार भगवान विष्णु ने अपने चतुराई भरे स्त्री रूप से भस्मासुर का अंत कर दिया और भगवान शिव को उनके दिए हुए वरदान से उत्पन्न संकट से बचाया।

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