पीलिया जोहड़: भारतवर्ष की धरा पर अनेकानेक अद्भुत स्थल हैं, जहां श्रद्धा और विश्वास की पराकाष्ठा देखने को मिलती है। इन्हीं विलक्षण स्थानों में से एक है हरियाणा के झज्जर जनपद का छारा गांव, जो एक रहस्यमयी जलस्रोत के लिए देशभर में प्रसिद्ध है। यहां स्थित ‘पीलिया जोहड़’ नामक एक प्राचीन तालाब को लेकर यह जनविश्वास व्याप्त है कि इसकी पवित्र जलधारा में एक बार भी स्नान कर लेने से पीलिया रोग स्वतः ही विलीन हो जाता है। इस विलक्षण मान्यता के चलते देश के कोने-कोने से लोग यहां निरोगी जीवन की कामना लेकर आते हैं।

पीलिया जोहड़ की अलौकिकता
छारा गांव बहादुरगढ़ तहसील की सीमा में बसा एक शांत और धार्मिक वातावरण से युक्त स्थान है। यहां मौजूद ‘पीलिया जोहड़’ नामक तालाब मात्र एक जलाशय नहीं, बल्कि आस्था का प्रतीक बन चुका है। वर्षों से लोग इस जलकुंड में डुबकी लगाकर पीलिया जैसी जटिल बीमारी से छुटकारा पाने का अनुभव साझा करते आए हैं। यहां आने वाले जनसमूहों की भक्ति और विश्वास इस स्थान की ख्याति को और अधिक प्रबल बनाते हैं।
इस पवित्र जोहड़ से जुड़ी पौराणिक कथा
इस तालाब की दिव्यता के पीछे एक श्रद्धापूर्ण कथा भी लोकमानस में प्रचलित है, जो श्रवण कुमार से संबंधित है। कहा जाता है कि जब श्रवण कुमार अपने वृद्ध माता-पिता को तीर्थ यात्रा पर लेकर जा रहे थे, तब उन्होंने इस स्थान पर विश्राम किया था। उस वृक्ष की छाया में बैठकर उन्होंने अपने माता-पिता की सेवा की, और वहीं इस जलाशय को पवित्रता का वरदान प्राप्त हुआ। तभी से इस स्थान को चमत्कारी माना जाता है। श्रवण कुमार की भक्ति का यह स्थल आज भी लोगों को प्रेरित करता है, और यहां एक छोटा मंदिर भी स्थापित है जो उनके स्मरण में समर्पित है।
पीलिया जोहड़ में स्नान की विशिष्ट विधि
यहां केवल स्नान करना पर्याप्त नहीं होता, बल्कि एक विशिष्ट परंपरा का निर्वहन भी आवश्यक होता है। आगंतुकों को एक खाली बोतल, हल्दी की गांठ, कोयला, चने की दाल, बताशे या गुड़ अपने साथ लाना होता है। स्नान से पूर्व जोहड़ का एक घूंट जल पिया जाता है, तत्पश्चात डुबकी लगाई जाती है। स्नान के उपरांत श्रद्धालु मंदिर के निकट इन सामग्रियों को अर्पित करते हैं और तालाब से थोड़ा जल तथा मिट्टी अपने साथ ले जाते हैं। इसे बाद में दैनिक स्नान जल में मिलाकर उपयोग किया जाता है। ऐसा विश्वास है कि यह प्रक्रिया पीलिया को जड़ से समाप्त करने में सहायक होती है।
क्या यह मान्यता केवल पीत पीलिया तक सीमित है?
स्थानीय जनों का कहना है कि यह चमत्कारी जल विशेष रूप से सामान्य पीलिया के लिए प्रभावी है। हालांकि काले पीलिया (हेपेटाइटिस बी जैसी स्थितियों) पर इसका कितना प्रभाव होता है, यह स्पष्ट रूप से प्रमाणित नहीं किया गया है। फिर भी, लोगों की श्रद्धा और वर्षों की मौखिक परंपरा इस स्थान को चमत्कारी बनाती है।
आस्था और विज्ञान की सीमा पर खड़ा एक अद्वितीय स्थान
भारत जैसे देश में जहां आध्यात्मिकता और प्राकृतिक चिकित्सा का गहरा संबंध रहा है, वहां ऐसे स्थलों का विशेष महत्व होता है। छारा गांव का यह जोहड़ चिकित्सा विज्ञान से परे एक ऐसी आशा की किरण बन चुका है, जहां न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक शुद्धि भी प्राप्त होती है। यह स्थल उन लोगों के लिए आश्रयस्थली बन गया है जो औषधियों से हार मान चुके होते हैं।
छारा गांव का पीलिया जोहड़ एक अद्वितीय जीवंत उदाहरण है भारतीय लोकश्रद्धा, पौराणिक परंपरा और आत्मिक विश्वास का। जहां आधुनिक चिकित्सा उपचार भी सीमित हो जाते हैं, वहीं यह तालाब अपनी दिव्यता और मान्यता से हजारों लोगों की आशाओं का केंद्र बन चुका है। चाहे यह प्रभाव मानसिक हो या आत्मिक, लोगों को राहत अवश्य मिलती है — यही इसकी सबसे बड़ी उपलब्धि है।
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