वेदों, उपनिषदों और पुराणों में राधारानी: एक गुप्त दिव्यता की खोज जानिए उन रहस्यों को, जो वेदों में भी छिपाए गए हैं।

Neha Pandey

वेदों में श्री राधारानी का पहला संकेत

"स्तोत्रम राधानम पते गिरवाहोविरा..." 

यह ऋग्वेद में एक गोपनीय उद्घोषणा है — राधानाथ की महिमा! 

छान्दोग्य उपनिषद और श्री राधारानी

श्यामाच चाबलं प्रपद्ये…” 

यह श्लोक दर्शाता है कि राधा ही श्यामा (कृष्ण) की पूर्ण स्रोत हैं। 

गोपाल-तापनी श्रुति का उल्लेख 

गोपियों में राधा सर्वोपरि हैं 

गोलोक में भगवान के द्विभुज रूप के साथ विराजमान। 

श्री राधा - आद्या शक्ति

“तस्य आद्या प्रकाईटी राधिका नित्या निर्गुणा…” 

भगवान की मूल शक्ति — राधिका, सभी देवियों की अधिष्ठात्री हैं। 

पद्म पुराण में राधा-कुंड की महिमा 

“यथा राधा प्रिया विष्णोः…” 

राधा और राधा-कुंड — दोनों श्रीकृष्ण को अत्यंत प्रिय हैं। 

वेदों में छुपी क्यों हैं श्री राधारानी? वेद-गोप्या — श्री राधारानी का नाम सामान्य लोगों की पहुँच से परे, भगवान की इच्छा से छिपाया गया।

भागवत में नाम क्यों नहीं? 

श्री शुकदेव गोस्वामी श्री राधा नाम लेते ही 

भावविभोर हो जाते, कथा रुक जाती। 

इस श्लोक में 'आराधिता' शब्द से राधा का अप्रत्यक्ष उल्लेख हुआ है — एक दिव्य संकेत। 

"अनया आराधितो नूनं" 

अप्रत्यक्ष उल्लेख 

निष्कर्ष — राधा तत्व समझने योग्य नहीं, अनुभव करने योग्य है  राधा वह आद्याशक्ति हैं जिनसे सम्पूर्ण सृष्टि की लीलाएँ संचालित होती हैं।  क्या आप भी उस दिव्यता को महसूस कर पाए?

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