नारद और स्कंद पुराण के अनुसार, माघ मास की द्वादशी तिथि पर तिल का दान करना अत्यधिक पुण्यदायक माना गया है। षटतिला एकादशी के अगले दिन तिल द्वादशी व्रत का पालन किया जाता है।  

इस दिन प्रातःकाल सूर्योदय से पहले उठकर तीर्थ स्नान करना शुभ माना जाता है। 

यदि तीर्थ स्नान संभव न हो, तो घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं।  

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स्नान के बाद तिल मिश्रित जल से भगवान विष्णु का अभिषेक किया जाता है और अन्य पूजन सामग्री के साथ तिल अर्पित किए जाते हैं। 

तिल दान से मिलता है अश्वमेध यज्ञ का फल माघ मास की द्वादशी तिथि पर तिल दान का अत्यधिक महत्व है। 

इस दिन प्रातःकाल सूर्योदय से पहले उठकर तिल मिश्रित जल का सेवन करना शुभ माना जाता है। 

इसके बाद तिल का उबटन लगाएं और गंगाजल के साथ तिल मिलाकर स्नान करें। 

इस पवित्र तिथि पर तिल से हवन करना और भगवान विष्णु को तिल से बने नैवेद्य का भोग लगाकर प्रसाद के रूप में तिल का सेवन करना चाहिए। 

ऐसा करने से व्यक्ति को अश्वमेध यज्ञ और स्वर्णदान के समान पुण्य की प्राप्ति होती है। 

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