भगवान कार्तिकेय, जिन्हें युद्ध और विजय का देवता माना जाता है, की पूजा इस दिन विशेष रूप से की जाती है। इस दिन विधि-विधान से भगवान कार्तिकेय की पूजा करने से बुरी शक्तियों का नाश होता है और जीवन में सफलता का मार्ग प्रशस्त होता है।
पंचांग के अनुसार, पौष मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि 4 जनवरी 2025 को रात 10 बजे प्रारंभ होगी और 5 जनवरी 2025 को रात 8:15 बजे समाप्त होगी। उदयातिथि के आधार पर स्कंद षष्ठी का पर्व 5 जनवरी 2025 को मनाया जाएगा।
स्कंद षष्ठी पूजा विधि भगवान कार्तिकेय की पूजा करने के लिए सबसे पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
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पूजा के लिए एक साफ और पवित्र स्थान का चयन करें और उसे फूलों और दीपक से सजाएं। भगवान कार्तिकेय की मूर्ति या चित्र को एक स्वच्छ आसन पर स्थापित करें।
पूजा सामग्री जैसे गंगाजल, दूध, दही, घी, शहद, शक्कर, चंदन, अक्षत, फूल, धूप, दीपक और नैवेद्य को पहले से एकत्रित कर लें। भगवान के समक्ष घी का दीपक जलाएं और गंगाजल, दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से अभिषेक करें।
चंदन, अक्षत और फूल अर्पित करें, विशेष रूप से कमल का फूल चढ़ाना शुभ माना जाता है। भगवान को फल, मिठाई या अन्य नैवेद्य अर्पित करें।
भगवान कार्तिकेय के मंत्रों जैसे "ॐ षडाननाय नमः", "ॐ स्कंददेवाय नमः", "ॐ शरवणभवाय नमः" और "ॐ कुमाराय नमः" का जाप करें।
भगवान की आरती करें और स्कंद षष्ठी व्रत कथा का पाठ करें।
पूजा के दौरान मन को शांत और श्रद्धा से भरा रखें। इस समय किसी भी प्रकार का विवाद या झगड़ा न करें और व्रत के नियमों का पालन करते हुए मांस-मदिरा का सेवन न करें।
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