Neha Pandey
राधारानी की एकांत सेवा
कृष्ण अचानक विरजा के कुंज चले गए। राधा को यह बात पता चली और उनका हृदय चीत्कार कर उठा।
राधा का क्रोध और निर्णय
उन्होंने रत्नजटित दिव्य रथ मँगवाया और सखियों सहित विरजा के कुंज की ओर चलीं।
दिव्य रथ का वर्णन
घोड़ों की गति से उड़ता वह रथ अद्भुत था। रथ के भीतर बग़ीचे, झीलें, पलंग, झंडियाँ, और घंटियाँ थीं।
श्रीदामा से टकराव
राधा ने कहा – "हे व्यभिचारी के सेवक! हटो मेरे मार्ग से!" गोपियों ने श्रीदामा को बलपूर्वक हटा दिया।
विरजा की नदी में परिणति
विरजा ने शरीर त्याग दिया और योगबल से एक दिव्य नदी बन गईं – विरजा नदी।
विरजा के पुत्र और महासागरों की उत्पत्ति - विरजा ने 7 पुत्रों को जन्म दिया। क्रोध में उन्हें श्राप दिया और वे 7 महासागरों के रूप में धरती पर प्रकट हुए।
राधा का क्रोध चरम पर
"हे विराजकांत! अब मेरे पास मत आओ!" गोपियाँ बोलीं – "तुम नदी के पति बनो, वहीं रहो!"
"हे श्रीदामा! अब तू राक्षस बन और गोलोक से गिर जा।"
श्री राधारानी का श्राप