Neha Pandey
विंध्य पर्वत की ईर्ष्या
विंध्य पर्वत ने हिमालय से ईर्ष्या करके एक सौभाग्यशाली पुत्री चाहता था जिसका पति महादेव को युद्ध में पराजित कर सके और इस प्रकार राजेन्द्र (सम्राट) का पद प्राप्त कर सके। ब्रह्मा ने वर दे दिया, पर वे भी चिंतित हो उठे…
राधारानी का गर्भ परिवर्तन
योगमाया के माध्यम से विंध्य की पत्नी के गर्भ में प्रवेश किया।
पूतना का अपहरण
पूतना राधा को उठाकर उड़ गई, पर ब्राह्मणों की मंत्र-शक्ति से वह विफल हो गई और राधा व्रज में गिर पड़ी।
मुखरा और
पूर्णमासी देवी ने राधा को मुखरा को सौंपा और कहा – “यह वृषभानु की पुत्री है।”
सूर्यदेव की इच्छा
सूर्यदेव ने राधा को पुत्री रूप में पाने की इच्छा की। श्रीहरि ने उन्हें वृषभानु के रूप में धरती पर भेजा।
हरिनाम की महिमा और कात्यायनी का वरदान- वृषभानु ने हरिनाम जपते हुए कठोर तप किया, जिससे कात्यायनी देवी प्रसन्न हुईं और राधा उन्हें प्राप्त हुईं।
राधा का स्वर्णकमल से प्रकट होना
ध्यान करते हुए कमल पर शिशु राधा को देखा – पिघले सोने के समान!
जब कृष्ण ने उन्हें छुआ, तभी उन्होंने नेत्र खोले।
राधा की आंखें केवल कृष्ण के लिए खुलीं