षटतिला एकादशी हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण व्रत माना जाता है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है और इसे करने से पापों का नाश होता है तथा मोक्ष की प्राप्ति होती है।
यह एकादशी माघ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है।इस दिन व्रत और पूजा के साथ तिल का विशेष महत्व होता है।
तिल का दान, तिल से स्नान और तिल का सेवन करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।
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मान्यता है कि इस व्रत को विधिपूर्वक करने से पापों का अंत होता है और जीवन में शांति व सुख का संचार होता है।
षटतिला एकादशी के दिन कुछ नियमों का पालन करना आवश्यक होता है।
व्रतधारी को सात्विक भोजन करना चाहिए और भगवान विष्णु का ध्यान व उनकी आराधना करनी चाहिए।
इस दिन क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए, इसके बारे में पूरी जानकारी होना जरूरी है ताकि व्रत का फल पूर्ण रूप से प्राप्त हो सके।
षटतिला एकादशी के दिन क्या करें? – इस पावन दिन पर भगवान विष्णु की विधिपूर्वक पूजा करें और उन्हें तुलसी के पत्ते, फूल, धूप, दीप आदि अर्पित करें।– तिल से स्नान करें, पूजा में तिल अर्पित करें और तिल से बने प्रसाद का भोग लगाएं, इसे अत्यंत शुभ माना गया है।– यदि पूर्ण व्रत करना संभव न हो, तो सात्विक भोजन ग्रहण कर सकते हैं।– जरूरतमंदों को दान देने का विशेष महत्व है, इससे असीम पुण्य की प्राप्ति होती है।– इस दिन भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें, यह न केवल मन को शांति देता है बल्कि आध्यात्मिक प्रगति का मार्ग भी प्रशस्त करता है।
षटतिला एकादशी के दिन क्या न करें? – इस दिन चावल का सेवन वर्जित है, क्योंकि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, चावल की उत्पत्ति भगवान विष्णु के रोम से मानी जाती है।– क्रोध, झूठ और नकारात्मक विचारों से बचें। मानसिक और शारीरिक शुद्धता बनाए रखना आवश्यक है।– बैंगन का सेवन इस व्रत में निषेध है। इस दिन आपको जमीन पर ही सोने का नियम अपनाना चाहिए।– एकादशी के दिन घर में झाड़ू लगाने से बचें, ताकि किसी सूक्ष्म जीव की हानि न हो।– व्रत से पहले तामसिक वस्तुओं का सेवन न करें, अन्यथा व्रत का पुण्य फल नहीं मिलता।