श्री राधारानी ने मायापुर, नवद्वीप-धाम क्यों रचा? एक दिव्य कथा जिसे जानकर आपका हृदय प्रेम में डूब जाएगा।

Neha Pandey

श्रीकृष्ण विरजा संग लीला में

वृंदावन में श्रीकृष्ण विरजा के संग रास में लीन थे।

यह सुनकर राधारानी के हृदय में हलचल मच गई। 

श्री राधारानी की व्याकुल खोज

सखियों से पुष्टि कर राधा जी श्रीकृष्ण को खोजने दौड़ीं। 

लेकिन वहाँ पहुँचने पर कृष्ण अदृश्य हो चुके थे। 

विरजा बनी नदी

श्रीकृष्ण विरजा बन गए नदी, राधा जी उन्हें न पा सकीं।

तब राधा ने उन्हें अपनी ओर आकर्षित करने का उपाय सोचा। 

दिव्य उपवन की रचना 

गंगा-यमुना के मध्य राधा जी ने एक अनुपम उपवन रचा। 

लताएं, पुष्प, भौंरे और पक्षियों से भरा दिव्य धाम। 

बांसुरी की धुन 

श्री राधारानी ने मधुर राग छेड़ा बांसुरी पर — प्रेम का आह्वान।

यह धुन श्रीकृष्ण को खींच लाई। 

श्रीकृष्ण का आगमन - श्रीकृष्ण प्रकट हुए, राधा जी ने उनका हाथ थामा। श्री राधारानी की भक्ति की जीत हुई।

श्रीकृष्ण की प्रतिज्ञा 

हे राधे, आप ही मेरी प्राण हैं। इस धाम को मैं नववृंदावन बनाऊँगा। 

यही स्थान कहलाया ‘नवद्वीप’। 

यह धाम अब गौरांग महाप्रभु की लीलाओं का केंद्र है। 

जो यहाँ आएगा, उसे सभी तीर्थों का फल मिलेगा। 

मायापुर, नवद्वीप-धाम की महिमा 

अनंत संहिता का संदेश - जो नवद्वीप की कथा सुने, वह भक्तियोग प्राप्त करता है। शिव-पार्वती संवाद से मिली यह दिव्य शिक्षा।

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