क्या आप जीवन के सच्चे अर्थ की खोज में हैं? प्रेमानंद जी महाराज के आध्यात्मिक विचार आत्मबोध और मोक्ष की ओर मार्गदर्शन करते हैं। जानिए उनके 9 प्रेरणादायक विचार जो जीवन को नई दिशा दे सकते हैं। 

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आप हैं परमात्मा का अंश महाराज जी कहते हैं कि मनुष्य स्वयं को शरीर या पुरुष मानता है, लेकिन असल में वह परमात्मा का अंश है। यही पहचान आत्मज्ञान की पहली सीढ़ी है।

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कर्ता नहीं, निमित्त बनें “निमित्तमात्रं भव सव्यसाचिन्” – यानी खुद को भगवान के कार्यों का माध्यम मानें, स्वामी नहीं। यह दृष्टिकोण जीवन के तनाव और भ्रम को समाप्त करता है।

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कर्म का फल निश्चित है प्रेमानंद जी के अनुसार, जैसा कर्म करेंगे वैसा ही फल मिलेगा। शुभ कर्म स्वर्ग की ओर, अशुभ नरक की ओर, और मिश्रित कर्म मृत्यु लोक में लौटाते हैं।

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कर्म से ऊपर उठें, मुक्ति पाएं अगर आप शुभ और अशुभ दोनों कर्मों के भाव से ऊपर उठ जाएं, तो आप मोक्ष प्राप्त कर सकते हैं। यही है सच्ची आत्मिक स्वतंत्रता।

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माया और प्रकृति का खेल संसार की हर घटना माया और प्रकृति से प्रेरित है। जब आप इसे समझते हैं, तो आप दुख और सुख दोनों को समान रूप से देखना सीख जाते हैं।

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काम और क्रोध से छुटकारा कर्तापन के भाव में ही काम और क्रोध पनपते हैं। जब आप निमित्त भाव को अपनाते हैं, तो ये विकार स्वतः दूर हो जाते हैं।

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आत्मबोध की ओर पहला कदम केवल यह समझ लेना कि "मैं कुछ नहीं, सब कुछ प्रभु कर रहे हैं" – यही है आत्मबोध की शुरुआत, जो व्यक्ति को महात्मा बना देती है।

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प्रेमानंद जी महाराज के विचार केवल पढ़ने के लिए नहीं, जीने के लिए हैं। उन्हें अपने जीवन में उतारिए और एक शांत, सच्चा, और मुक्त जीवन पाएं। 

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मौत से डर लगता है? प्रेमानंद जी महाराज से जाने इस डर पर विजय कैसे पाये