हिंदू धर्म में एकादशी का विशेष महत्व है। हर महीने में दो बार कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को भगवान विष्णु को समर्पित व्रत के रूप में मनाया जाता है।

इनमें से कुछ एकादशियों का विशेष महत्व होता है, जिनमें मोक्षदा एकादशी भी शामिल है.

मोक्षदा एकादशी का महत्व पापों से मुक्ति मन की शांति और सकारात्मकता इच्छाओं की पूर्ति अच्छे स्वास्थ्य का वरदान

Fill in some text

मोक्षदा एकादशी पूजा विधि व्रत प्रारंभ: मोक्षदा एकादशी के व्रत की शुरुआत एकादशी तिथि के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करने से होती है। स्नान के बाद स्वच्छ और धुले हुए वस्त्र धारण करें। पूजन की तैयारी: इसके बाद पूजा के लिए एक पवित्र स्थान को साफ करके वहां भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। पूजा के लिए गंगाजल, धूप, दीप, फल, फूल, तुलसी आदि सामग्री एकत्रित कर लें।

व्रत संकल्प: भगवान विष्णु की प्रतिमा के समक्ष हाथ जोड़कर मोक्षदा एकादशी का व्रत रखने का संकल्प लें। संकल्प लेते समय व्रत को पूर्ण श्रद्धा और निष्ठा के साथ रखने का मनोभाव रखें। दिन भर का भोजन: मोक्षदा एकादशी के दिन सात्विक भोजन का ही सेवन करना चाहिए।

मोक्षदा एकादशी 2024: तिथि वर्ष 2024 में मोक्षदा एकादशी 11 दिसंबर को मनाई जाएगी।

मोक्षदा एकादशी का संबंध केरल के प्रसिद्ध मोक्षदा मंदिर से भी है। यह मंदिर भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है, जिन्हें भगवान विष्णु का ही स्वरूप माना जाता है। मोक्षदा एकादशी के अवसर पर इस मंदिर में विशेष पूजा-अनुष्ठान का आयोजन किया जाता है।

मंदिर को एकादशी के महीने भर पहले से ही सजाया जाता है। भक्तगण पूरे महीने भर भगवान कृष्ण की विशेष पूजा करते हैं और भजन-कीर्तन करते हैं। एकादशी के दिन भक्त बड़ी संख्या में मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं और भगवान कृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

मोक्षदा एकादशी के अवसर पर मंदिर में होने वाले विशेष आयोजनों में से एक है - एकादशी विलाक्कु जुलूस। यह जुलूस एकादशी के दिन शाम को निकाला जाता है और इसमें भक्त हाथों में जलते हुए दीप लेकर भगवान कृष्ण की भक्ति में लीन होकर चलते हैं। इस जुलूस में शामिल होने के लिए भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है।

Matsya Dwadashi 2024:वेदो की रक्षा के लिए श्री हरि विष्णु ने लिया मत्स्य अवतार