हिंदू धर्म में महानंदा नवमी का व्रत अत्यंत शुभ माना जाता है। यह व्रत माघ, भाद्रपद और मार्गशीर्ष के महीनों में शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को रखा जाता है। 

पंचांग के अनुसार, माघ मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को महानंदा नवमी का व्रत किया जाता है। 

गुप्त नवरात्रि की नवमी तिथि के कारण इस दिन का महत्व और भी बढ़ जाता है।  

इस दिन मां लक्ष्मी की विधिवत पूजा की जाती है। 

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मान्यता है कि इस दिन स्नान और दान करने से शुभ फल प्राप्त होते हैं। महानंदा नवमी को 'ताल नवमी' भी कहा जाता है। 

महानंदा नवमी पूजा विधि महानंदा नवमी के दिन देवी लक्ष्मी की पूजा विशेष फलदायी मानी जाती है। इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर घर की सफाई करें और कूड़ा-कचरा सूप में भरकर बाहर निकाल दें।

इसे अलक्ष्मी का विसर्जन माना जाता है। इसके बाद नित्यकर्मों से निवृत्त होकर स्नान करें और साफ वस्त्र धारण करें। 

पूजन स्थल पर देवी महालक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करें और उनका आवाहन करें। मां को अक्षत, पुष्प, धूप, गंध आदि अर्पित करें और बीच में अखंड दीपक जलाएं। विधि-विधान से पूजा करते समय महालक्ष्मी के मंत्र "ॐ ह्रीं महालक्ष्म्यै नम:" का जाप करें। मां को बताशे और मखाने का भोग लगाएं और श्री यंत्र की पूजा अवश्य करें। 

महानंदा नवमी 2025 तिथि साल 2025 में महानंदा नवमी 6 फरवरी को मनाई जाएगी। इस तिथि की शुरुआत रात 12:36 बजे होगी और 10:54 बजे समाप्त होगी।

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