महाकुंभ एक अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजन है जो हर 12 साल में चार प्रमुख स्थानों पर आयोजित होता है: हरिद्वार, प्रयागराज (इलाहाबाद), उज्जैन, और नासिक। 

महाकुंभ का आयोजन उन स्थानों पर होता है जहां पवित्र नदियाँ गंगा, यमुना, गोदावरी, और क्षिप्रा प्रवाहित होती हैं। 

यह आयोजन हिन्दू धर्म के अनुयायियों के लिए अत्यंत श्रद्धा और आस्था का प्रतीक है। 

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महाकुंभ का आयोजन आध्यात्मिक और धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। 

लाखों श्रद्धालु इस पवित्र स्नान के लिए एकत्रित होते हैं और अपने पापों से मुक्ति पाने के लिए गंगा, यमुना, गोदावरी, और क्षिप्रा नदियों में डुबकी लगाते हैं।  

महाकुंभ के दौरान विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान, सत्संग, और भजन-कीर्तन का आयोजन किया जाता है, जो श्रद्धालुओं के मन और आत्मा को शुद्ध करने में सहायक होते हैं। 

हर 12 साल में ही क्यों लगता है महाकुंभ? महाकुंभ का आयोजन हर 12 साल में होता है क्योंकि यह ज्योतिषीय गणनाओं और ग्रहों के संयोगों पर आधारित है।

हिन्दू धर्म में मान्यता है कि जब गुरु (बृहस्पति) और सूर्य, मकर राशि में होते हैं, तब गंगा, यमुना, गोदावरी, और क्षिप्रा नदियों का जल अमृत समान हो जाता है। 

इसलिए इस समय में स्नान और पूजा का विशेष महत्व होता है। इस महायोग के कारण ही महाकुंभ का आयोजन हर 12 साल में होता है। 

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