महाकुंभ का आरंभ हो चुका है और रोजाना लाखों श्रद्धालु स्नान के लिए पहुंच रहे हैं। यह आयोजन सनातन धर्म और परंपरा की गहराई को दर्शाता है।
कुंभ मेला हर 12 वर्षों में होता है, लेकिन इस बार का महाकुंभ 144 साल बाद आयोजित किया जा रहा है। शाही स्नान का महाकुंभ में विशेष महत्व है।
पहला स्नान मकर संक्रांति के दिन हुआ था। आइए जानते हैं, महाकुंभ का दूसरा शाही स्नान कब होगा और इसका क्या महत्व है।
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महाकुंभ का दूसरा शाही स्नान महाकुंभ का दूसरा शाही स्नान 29 जनवरी को मौनी अमावस्या के दिन होगा।
मौनी अमावस्या के शाही स्नान को प्रमुख पुण्यदायी माना गया है। इस बार कई शुभ योग बन रहे हैं, क्योंकि चंद्रमा और सूर्य मकर राशि में रहेंगे, और गुरु वृषभ राशि में।
इस योग के कारण मौनी अमावस्या के शाही स्नान का विशेष महत्व है, जिसे अमृत स्नान भी कहा जाता है।
महाकुंभ 2025 का दूसरा स्नान क्यों है खासमौनी अमावस्या के अवसर पर महाकुंभ में त्रिवेणी संगम में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
इसके साथ ही व्यक्ति की आध्यात्मिक शुद्धि होती है और पापों का प्रायश्चित होता है।
ऐसा माना जाता है कि अमावस्या के दिन पितर धरती पर आते हैं, और इस दिन उनके नाम से महाकुंभ में डुबकी लगाने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है।
Mahakumbh 2025: 45 दिन के महाकुंभ में होंगे सिर्फ 6 शाही स्नान,नोट करे तारीख me text