कुंभ पुराण में महाकुंभ का रहस्य वर्णित है। हर 12 साल में पूर्ण कुंभ आयोजित होता है 

क्योंकि हिंदू मान्यताओं के अनुसार, देवताओं के 12 दिन मनुष्यों के 12 साल के बराबर होते हैं।  

वहीं, महाकुंभ हर 144 सालों बाद होता है। कूर्म पुराण के अनुसार, चार कुंभ धरती पर होते हैं और शेष आठ देवलोक में होते हैं।  

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इसी मान्यता के अनुसार, प्रत्येक 144 वर्ष बाद प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन होता है, जिसका महत्व अन्य कुंभों से अधिक होता है। यह धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। 

कूर्म पुराण के अनुसार, अमृत के लिए देवताओं और असुरों के बीच बारह दिनों तक भयंकर युद्ध हुआ था, जो मनुष्यों के बारह सालों के बराबर है। 

इस युद्ध में देवताओं की विजय हुई और उन्होंने देवलोक में स्नान किया। 

इसी मान्यता के अनुसार, कुंभ मेला हर बारह साल में आयोजित होता है। 

कूर्म पुराण में यह भी उल्लेख है कि जैसे धरती पर गंगा पवित्र नदी है, वैसे ही देवलोक में भी कई पवित्र नदियाँ हैं, जिनमें केवल देवता स्नान कर सकते हैं। 

कूर्म पुराण में यह भी उल्लेख है कि जैसे धरती पर गंगा पवित्र नदी है, वैसे ही देवलोक में भी कई पवित्र नदियाँ हैं, जिनमें केवल देवता स्नान कर सकते हैं। 

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