उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में होने वाले महाकुंभ 2025 की तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं।
महाकुंभ भारतीय संस्कृति और आस्था का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन माना जाता है, जिसका धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से विशेष महत्व है।
प्रयागराज का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि यह गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदियों के संगम स्थल पर स्थित है, जिसे त्रिवेणी संगम कहा जाता है।
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महाकुंभ 2025 का आयोजन पूरे देश में चार पवित्र स्थलों पर किया जाता है, जो प्रयागराज, नासिक, उज्जैन और हरिद्वार हैं।
यह आयोजन साधु-संतों और श्रद्धालुओं के लिए बेहद खास होता है, जिसका वे बेसब्री से इंतजार करते हैं। मान्यता है कि महाकुंभ में स्नान करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और आत्मा व शरीर की शुद्धि होती है।
मान्यता है कि महाकुंभ के दौरान ग्रह और नक्षत्रों की विशेष स्थिति के कारण संगम का जल चमत्कारी गुणों से भर जाता है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, महाकुंभ 2025 का पहला शाही स्नान पौष पूर्णिमा के पावन दिन 13 जनवरी को होगा। यह शुभ तिथि सुबह 5:03 से शुरू होकर 14 जनवरी की रात 3:56 तक रहेगी।
इस दौरान ब्रह्म मुहूर्त सुबह 5:27 से 6:21 तक रहेगा, जो स्नान और पूजा के लिए अत्यंत शुभ माना गया है। इसके अलावा विजय मुहूर्त दोपहर 2:15 से 2:57 तक रहेगा।
इस पवित्र अवसर पर लाखों श्रद्धालु गंगा में आस्था की डुबकी लगाकर पुण्य लाभ प्राप्त करेंगे। शाही स्नान का यह दिन आध्यात्मिक और धार्मिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है।
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