महाभारत के प्रमुख पात्रों में से एक अंगराजकर्ण का जीवन अनेक रहस्यों और संघर्षों से भरा हुआ था। जन्म से कुंती पुत्र होने के बावजूद वह सूत पुत्र के नाम से जाना गया, जिससे उसे समाज में बार-बार अपमान सहना पड़ा।
क्या द्रौपदी कर्ण का पहला प्यार थी, यह सवाल आज भी चर्चा का विषय है। हालांकि अंगराज कर्ण का विवाह वृषाली नामक स्त्री से हुआ था, जोकि एक सारथी परिवार से थीं। वृषाली ने कर्ण के साथ उनका हर सुख-दुःख साझा किया और अंत तक उनका साथ निभाया।
कर्ण की पत्नी का नाम क्या था?अंगराज कर्ण का विवाह वृषाली से हुआ था, जो दुर्योधन के सारथी सत्यसेन की बेटी थीं। वृषाली को एक पतिव्रता स्त्री के रूप में जाना जाता है।
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लोक कथाओं के अनुसार, कुरुक्षेत्र के युद्ध में कर्ण के वीरगति प्राप्त करने के बाद वृषाली ने उनकी चिता पर ही समाधि ले ली थी।
अंगराज कर्ण की दूसरी पत्नी का नाम पद्मावती था, जिसे विभिन्न स्थानों पर सुप्रिया और पोन्नारुवि के नाम से भी जाना जाता है।
पद्मावती राजा चित्रवत की पुत्री अंसावरी की दासी धूम सेन की बेटी थीं। पद्मावती को अंगराज कर्ण से प्रेम था, और कर्ण के विवाह प्रस्ताव को उसने सहर्ष स्वीकार कर लिया।
कर्ण के कितने पुत्र थे? अंगराज कर्ण के कुल दस पुत्र थे, जिनके नाम सुदामा, शत्रुंजय, द्विपाता, बनसेन, प्रसेन, वृषकेतु, वृषसेन, चित्रसेन, सत्यसेन और सुषेण थे।
महाभारत के अनुसार, अंगराज कर्ण के इन दस पुत्रों में से नौ ने कुरुक्षेत्र के युद्ध में हिस्सा लिया और वीरगति को प्राप्त हुए। केवल वृषकेतु ही ऐसा पुत्र था जो इस युद्ध के भीषण विनाश से बच पाया।
वृषकेतु ने आगे चलकर पांडवों के सानिध्य में अपने पिता के शौर्य और पराक्रम की विरासत को आगे बढ़ाया।